किसान आन्दोलन का 38वां दिन : उत्तर प्रदेश गेट पर आंदोलन में शामिल एक बुजुर्ग किसान ने की खुदकुशी
आकाश ज्ञान वाटिका, 2 जनवरी 2021, शनिवार। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों का धरना-प्रदर्शन शनिवार को 38वें दिन में प्रवेश कर गया। सिंघु के साथ टीकरी और दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर भी बढ़ी संख्या में किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। वहीं, कृषि कानूनों को लेकर यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में प्रदेश के रामपुर जनपद के बिलासपुर निवासी कश्मीर सिंह ने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उनके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। जानकारी के मुताबिक, इसमें उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त करने के पीछे खुद को जिम्मेदार ठहराया है। किसान की मौत की खबर पर आंदोलन स्थल के किसानों में शोक है। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई है। वही किसान संगठनों ने आंदोलन स्थल के मंच से मृतक किसान को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का धरना शुक्रवार को भी जारी रहा। हालांकि नव वर्ष के आगमन का न तो किसानों में कोई उत्साह दिखा और न ही धरना स्थल पर भीड़ ही नजर आई। यहां घूमने-फिरने के मकसद से आने वाले लोगों की आवाजाही तो रही, लेकिन उनकी भी तादाद कम ही दिखी। लोगों की कमी के कारण दिनभर चलने वाले लंगर दोपहर में ही बंद कर दिए गए । किसान नेताओं ने पंजाब व हरियाणा के लोगों से आह्वान किया था कि वह नए साल में सिंघु बार्डर पर आकर आंदोलन का समर्थन करें। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि एक जनवरी को यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे। लेकिन, उम्मीद के विपरीत शुक्रवार को कम बेहद कम संख्या में लोग पहुंचे। बता दें कि किसान संगठन सिघु बार्डर पर पिछले एक माह से ज्यादा समय से डटे हुए हैं।
किसान नेताओं का केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं। लेकिन, उन वार्ताओं का अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। हालिया वार्ता 30 दिसंबर को हुई, जिसमें किसान नेताओं व केंद्र सरकार के बीच कुछ सहमति बनी है। अब अगली वार्ता चार जनवरी को होगी।
वहीं, कुंडली बॉर्डर (सिंघु बॉर्डर) पर बैठे किसान आंदोलन का रुख 4 जनवरी की वार्ता तय करेगी। इस बीच किसानों ने आंदोलन को आगे बढ़ाने की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।
किसानों ने कहा है कि अगर बातचीत सिरे नहीं चढ़ी, तो 6 जनवरी को कुंडली और टीकरी बार्डर से ट्रैक्टर यात्रा शुरू की जाएगी। दरअसल, छठे दौर की बातचीत में सरकार ने जिस तरह से सकारात्मक रुख दिखाया है, इसके बाद किसान भी शांत हैं और 4 जवरी तक सारे नये आंदोलन टाल रखे हैं। फिलहाल, कुंडली समेत अन्य बार्डर पर किसान नेता रूटीन में किसानों के बीच बात रख रहे हैं और अब तक आंदोलन को लेकर जो कुछ हुआ है, वही जानकारी दे रहे हैं। इधर, नये साल के मौके पर संयुक्त मोर्चा की दिनभर बैठक चली है। इसमें पंजाब के प्रमुख 32 संगठन और हरियाणा के 18 संगठन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
इनमें मुख्य रूप से ऋषिपाल अंबावता, डा. दर्शनपाल, जगजीत दल्लेवाल, मंजीत राय, बूटा सिंह बुर्जगिल, बलबीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैट, युद्धबीर सिंह, शमशेर दहिया, गुरनाम चढूनी आदि शामिल हैं। किसानों ने बैठक के बाद फाइनल किया है कि 4 जनवरी तक सरकार के पास समय है। वह किसानों के ड्राफ्ट के अनुसार बची हुई दो प्रमुख मांगों पर चर्चा शुरू करके इनका हल दे।
भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव शमशेर सिंह दहिया ने बताया कि दिनभर की बैठक में यही फैसला हुआ है कि तीन कानून रद हों और एमएसपी पर कानूनी गारंटी मिले। इस बारे में पिछली बैठक में ही सरकार को स्पष्ट कर दिया था और सरकार ने भरोसा दिया है कि 4 जनवरी की वार्ता में इसका हल निकाला जाएगा। किसानों ने भी चार तक शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया हुआ है और कोई नया निर्णय नहीं लिया है। नये साल के दिन संयुक्त मोर्चा ने तय किया है कि अगर चार जनवरी को बातचीत सिरे नहीं चढ़ी, तो वह छह जनवरी को ट्रैक्टर यात्रा करेंगे। अगर सरकार किसानों की मांग पूरी कर देती है, तो किसान अगले ही दिन धन्यवाद करते हुए अपने घरों को लौट जाएंगे, नहीं तो छह को किसान कुंडली और टिकरी बॉर्डर से ट्रैक्टरों के साथ शाहजहांपुर बार्डर के लिए कूच करेंगे। इसी कड़ी में 26 जनवरी की परेड में भी शामिल होना है और बीच के आंदोलन बाद में तय होंगे।