Breaking News :
>>दिल्ली पहुंचे सीएम धामी ने आप को बनाया निशाना, कहा- स्कूल कॉलेज के नाम पर खोले शराब के अड्डे>>यूपी वालों की हो गई मौज, उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के लिए एक और वंदे भारत ट्रेन भरेगी फर्राटा >>फिट रहने के लिए रोजाना करें मिनी वॉक, जानें इसके फायदे और सही टाइमिंग>>आज सुबह पांच बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले गए चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट>>अब तक 94,218 से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की जा चुकी- डॉ विनीता शाह>>अर्थव्यवस्था मजबूत करते सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम>>प्लास्टिक फ्री श्री केदारनाथ की दिशा में बढे कदम, दो प्लास्टिक वेंडिंग मशीन यात्रा मार्ग पर की गई स्थापित>>11 गर्ल्स बटालियन ने सीआईएमएस कॉलेज को दी एनएसीसी खोलने की मान्यता>>बदरीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री में कार्यरत पर्यावरण मित्रों को दी जाए अतिरिक्त गर्म वर्दी- प्रेमचंद>>भीषण गर्मी से जूझ रहा देश, अगले पांच दिनों तक इन इलाकों में चलेगी लू>>आईपीएल 2024- लखनऊ सुपरजायंट्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज >>बड़कोट पहुंचे मुख्यमंत्री धामी, यमुनोत्री धाम की व्यवस्थाओं का लिया जायजा>>डबल इस्मार्ट का दमदार टीजर रिलीज, आमने-सामने नजर आए राम पोथिनेनी और संजय दत्त>>आगामी मानसून सीजन की तैयारी हुई शुरू, लगाए जा रहे आठ डॉप्लर रडार और 195 सेंसर >>रायबरेली में होने वाली रैली को संबोधित करेंगी सोनिया गांधी>>दांत निकल रहे हैं तो बच्चों के लिए घर में बनाएं टीथर, जानें कैसे>>चारधाम यात्रा – मंदिर परिसर के 50 मीटर के दायरे में रील बनाने पर लगा प्रतिबंध >>सीएम योगी ने मतदाताओं से की अपील, पार्टी लाइन और जाति से ऊपर उठकर देश के समग्र विकास के लिए करें वोट>>पीओके में बढ़ता जा रहा है जनता का गुस्सा>>मोदी सरकार में देश का रक्षा तंत्र मजबूत हुआ- महाराज
उत्तराखण्डधार्मिकपर्यावरणबाल-जगतसामाजिक गतिविधियाँसुर्खियाँ

प्रकृति व मानव के बीच प्रेम का प्रतीक, लोक-पर्व “फूलदेई ‘

प्रकृति व मानव के बीच प्रेम का प्रतीक, लोक-पर्व “फूलदेई ‘

देवभूमि उत्तराखण्ड, अपनी कला, संस्कृति व रहन-सहन के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों ने भी देवभूमि को अपने वास व तप के लिए उपयुक्त समझा। प्राकृतिक छटा व् मनोहारी सौन्दर्य को देखते ही ऐसा लगता है कि ‘पृथ्वी में यदि कहीं स्वर्ग है तो वह यही है। यह राज्य न केवल प्राकृतिक सम्पदाओं व् सौन्दर्य का भंडारण है बल्कि अपनी विशेष प्राकृतिक विरासतों व यहॉं के वासियों के सरल, सौम्य व धार्मिक प्रवृति के लिए भी विशेष रूप से जाना है।
यहाँ मौसम के चक्र के साथ-साथ, समय-समय पर विविन्न त्यौहार मनाये जाते हैं। प्रत्येक त्यौहार का प्रकृति व मौसम के साथ सीधा-सीधा सम्बन्ध है। यहाँ की प्राचीन सांस्कृतिक व पारम्परिक परम्परायें मुख्य रूप से धर्म व प्रकृति में निहित है। प्रत्येक त्यौहार में प्रकृति का कुछ न कुछ महत्त्व झलकता है।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक, धार्मिक व् लोक-परम्पराओं पर आधारित बाल-पर्व प्रत्येक बर्ष चैत्र मास के प्रथम दिवस (संक्रांति) को मनाया जाने वाला एक अति महत्वपूर्ण व बसंत ऋतु के आगमन स्वागत का पर्व है – ”फूलदेई”
कुमाऊं और गढ़वाल के ज्यादातर इलाकों में आठ दिनों तक यह त्योहार मनाया जाता है। वहीं, टिहरी के कुछ इलाकों में एक माह तक भी यह पर्व मनाने की परंपरा है।
फूलदेई से एक दिन पहले शाम को बच्चे रिंगाल की टोकरी लेकर फ्यूंली, बुरांस, बासिंग, आडू, पुलम, खुबानी के फूलों को इकट्ठा करते हैं। अगले दिन सुबह नहाकर वह घर-घर जाकर लोगों की सुख-समृद्धि के पारंपरिक गीत गाते हुए देहरियों में फूल बिखेरते हैं। इस अवसर पर कुमाऊं के कुछ स्थानों में देहरियों में ऐपण बनाने की परंपरा भी है।

‘फूलदेई, छम्मा देई,
दैणी द्वार, भरी भकार’
घोघा माता फुल्यां फूल,
दे-दे माई दाल चौंल’

बच्चों को लोग उपहार स्वरुप दाल, चावल, आटा, गुड़, घी और दक्षिणा दान करते हैं। पूरे माह में यह सब जमा किया जाता है। इसके बाद घोघा देवी की पुजा की जाती है। चावल, गुड़, तेल से मीठा भात बनाकर प्रसाद के रूप में सबको बांटा जाता है। कुछ क्षेत्रों में बच्चे घोघा की डोली बनाकर देव डोलियों की तरह घुमाते हैं। अंतिम दिन उसका पूजन किया जाता है।
आधुनिकता के इस दौर में प्रकृति व मानव के बीच स्नेह के प्रतिक त्यौहारों का महत्त्व धीरे-धीरे काम होता जा रहा है, जो शुभ संकेत नहीं है। हमें अपने पूर्वजों द्वारा प्रदत्त रीति-रिवाजों, तीज-त्यौहारों का मन से सम्मान करना चाहिए तथा जीवन के लिए इनकी जरूरत को समझते हुए आपसी भाईचारे के साथ मिलजुल कर अपने लोक- पर्वों को मानना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी भी संस्कारवान बनेगी।
जय हिन्द, जय उत्तराखण्ड।

घनश्याम चन्द्र जोशी
                                                                                                                                                                सम्पादक

 

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!