एटीएम ठगी में ग्राहक को हुए नुकसान की बैंक करेगा भरपाई
देहरादून, एटीएम ठगी में ग्राहक को हुए नुकसान की भरपाई बैंक को करनी होगी। जिला उपभोक्ता फोरम ने एक मामले में कहा है कि ग्राहक के हितों की सुरक्षा में ठोस कदम उठाना बैंक की जिम्मेदारी है। ऐसा न करना सेवा में कमी है। बता दें, जिस एटीएम से पैसे निकाले गए वहां सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं था।
दरअसल, त्यागी रोड निवासी आरके राम ने भारतीय स्टेट बैंक की राजपुर रोड शाखा के प्रबंधक व स्वर्णनाथ नगर, हरिद्वार शाखा के प्रबंधक के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल किया। वादी के अनुसार एक मार्च 2011 को वे शिव मंदिर, हरिद्वार स्थित स्टेट बैंक के एटीएम में गए थे। उस दौरान एक व्यक्ति एटीएम का प्रयोग कर रहा था। बाहर आने के बजाय वह एटीएम कक्ष के भीतर ही एक कोने में खड़ा हो गया और उसने उन्हें एटीएम कार्ड का प्रयोग करने को कहा।
इसी बीच वहां और भी कुछ लोग दाखिल हो गए। वह पैसे नहीं निकाल सके, क्योंकि मशीन हैंग हो गई। इसके बाद वे देहरादून चले आए और बैंक के एटीएम से पैसे निकालने का प्रयास किया। पर उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उनकी उस दिन की अधिकतम सीमा पूरी हो चुकी है। बैंक में पूछताछ पर पता लगा कि उनके खाते से 40 हजार रुपये हरिद्वार स्थित एटीएम से निकाले गए हैं। जबकि 50 हजार रुपये अंबाला निवासी किसी व्यक्ति को ट्रांसफर हुए हैं। इनमें भी 36 हजार रुपये निकाले जा चुके हैं। वीडियो रिकॉर्डिग देखने पर पता लगा कि एटीएम में उनसे पहले मौजूद रहे व्यक्ति ने इससे छेड़छाड़ की और उक्त धनराशि आहरित कर दी। वादी का कहना था कि एटीएम पर सुरक्षा गार्ड न होने की वजह से यह घटना घटित हुई। फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने साक्ष्यों के आधार पर यह माना कि सुरक्षा उपाय न करना बैंक की सेवा में कमी है। उन्होंने आदेश दिया कि ग्राहक के 90 हजार रुपये के नुकसान की भरपाई बैंक करे। इसके अलावा 10 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व तीन हजार रुपये वाद व्यय के रूप में देने का भी आदेश दिया है।
बीमा कंपनी को देना होगा इलाज का खर्च
जिला उपभोक्ता फोरम ने मेडिक्लेम से जुड़े एक मामले में बीमा कंपनी को 30 दिन के भीतर क्लेम अदा करने का आदेश दिया है। बीमा कंपनी ने यह कहकर भुगतान रोक दिया था कि क्लेम निर्धारित समय में प्रस्तुत नहीं किया गया।
आदर्श नगर, ऋषिकेश निवासी अशोक शर्मा व उनकी पत्नी संचिता शर्मा ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक व गुड़गांव की विपुल मेडिकॉर्प के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। उन्होंने नेशनल इंश्योरेंस से मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी, जिसमें उनकी पत्नी-बच्चे भी कवर थे। उनकी पत्नी के पेट में अचानक कुछ समस्या हुई। गाजियाबाद स्थित गैमेद क्लीनिक में दिखाने पर चिकित्सक ने बताया कि उन्हें हर्निया है। उन्होंने पत्नी को सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती करा दिया। लिखित में इसकी सूचना बीमा कंपनी को दी। डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने सभी दस्तावेज बीमा कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधि विपुल मेडिकॉर्प को भेज दिए। जिन्होंने आश्वस्त किया कि क्लेम का भुगतान जल्द कर दिया जाएगा।
बाद में बताया कि क्लेम 19 दिन विलंब से प्रस्तुत किया गया है। कई बार लिखित व मौखिक प्रार्थना पत्र देने के बाद भी उन्हें क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने साक्ष्यों के आधार पर ये आदेश दिया कि वादी को क्लेम की राशि 2,12,420 रुपये अदा करे। इसी के साथ दस हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व तीन हजार रुपये वाद व्यय के रूप में भी देने को कहा है।