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जानलेवा ना बने निर्दोष जनता के लिए

अनिरुद्ध गौड़
मुंबई में गत 13 मई को एक भयंकर धूल भरी आंधी, तूफान और भारी बारिश आई, जिससे मुंबई महानगर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। पेड़ उखड़ गए, बिजली गुल हो गई, चल रहा यातायात रुक गया, बचने को लोग जहां तहां छिप गए। इस तूफान से बचने को मुंबई के घाटकोपर के पूर्वी उपनगर में भी एक फ्यूल स्टेशन के शेल्टर के नीचे सौ से अधिक लोग खड़े थे। इस बीच फ्यूल सेंटर के साइड में खड़ा 120 गुणा 120 फीट लंबा चैड़ा विशालकाय टनों वजनी लोहे का विज्ञापन होर्डिंग फयूल स्टेशन पर गिर गया। हादसे में दबकर अबतक करीब 16 लोगों की मौत हो चुकी हैं और करीब 70 घायलों का इलाज चल रहा है।

देश की व्यावसायिक राजधानी मुंबई में हुआ यह हादसा बेहद गंभीर है। हादसे के बाद अभी भी राहत और बचाव के कार्य चल रहे हैं, महाराष्ट्र सरकार ने हताहतों को मुआवजे की धनराशि देने की घोषणा और घायलों के इलाज के इंतजाम किए है, जबकि मुंबई में लगे सभी होर्डिंगस के सुरक्षा ऑडिट के निर्देश दिए हैं। होर्डिंग एजेंसी पर भी मामला दर्ज आरोपी की तलाश है, लेकिन साफ तौर पर यह हादसा व्यवस्था में आमूलचूल लापरवाही का नतीजा है।

रेलवे पुलिस की जमीन पर खड़ा ये होर्डिंग गिरा और जिम्मेदारी की बात उठी तो बीएमसी ने रेलवे पर और रेलवे ने बीएमसी को जिम्मेदार ठहराया है। जिम्मेदारी के आरोप प्रत्यारोप में राजनीति भी गरमा रही है, जबकि इस दुर्घटना में महाराष्ट्र की आई गई सरकार से लेकर हर उस एजेंसी की जिम्मेदारी है जो बड़े इंफ्रास्टक्चर के निर्माण से लेकर उस पर निगरानी तक रखती हैं। सवाल उठता है आखिर व्यावसायिक नगरी मुंबई में मानक से कहीं अधिक बड़ा होर्डिंग कैसे खड़ा हो गया? जबकि मुंबई में 40 गुणा 40 फीट से अधिक बड़ा होर्डिंग लगाने की मंजूरी नहीं है। क्या इस होर्डिंग को लगाने वाली विज्ञापन एजेंसी ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के पास बीएमसी से इस विशालकाय होर्डिंग को लगाने की अनुमति थी? क्यों रेलवे ने बिना बीएमसी की मंजूरी के इतना बड़ा होर्डिंस लगने दिया?

नियमों का उलंघन कर इतने बड़े होर्डिंग की लोगों ने शिकायत की तो क्यों बीएमसी और रेलवे ने इसे हटाने को कदम नहीं उठाएं? क्या शिकायत पर बीएमसी का रेलवे और विज्ञापन एजेंसी को दो साल बाद नोटिस देना ही काफी था? सवाल यह भी है कि विशालकाय होर्डिंग को लगाने के दौरान निर्माण सामग्री की जांच और सभी सुरक्षा पहलुओं पर क्यों नहीं निगरानी की गई? क्योंकि जब होर्डिंग गिरा तो देखा गया कि होर्डिंग मानक से बहुत कम गहरी नींव पर खड़ा था। आखिर क्यों नहीं जिम्मेदार संस्थाओं ने इस होर्डिंग को लगाने के दौरान निर्माण मानकों और सुरक्षा की जांच परख की? क्या होर्डिंग लगाने वाली एजेंसी व्यवस्था से अधिक ताकतवर है जिसके कारण जिम्मेदार अधिकारी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सके। मुंबई शहर समुद्र के किनारे बसा है, कभी भी बारिश होना और तेज हवाओं का चलना यहां आम बात है। जब मुंबई में बड़े इंफ्रास्टक्चर खड़े किए जाते हैं तो बीएमसी सुरक्षा मानकों को पूरी तरह परखकर ही अनुमति देती है।

फिर सुरक्षा मानकों और नियम कायदों में कोताही बरतकर बेहद असुरक्षित विशालकाय होर्डिंग का खड़ा हो जाना बीएमसी और रेलवे की लापरवाही नही तो और क्या है? पेट्रोल और गैस फ्यूल स्टेशन एक बेहद संवेदनशील यूनिट होती हैं, इसके समीप विशाल होर्डिंग लगाने में सुरक्षा मापदंडों में पूरी कोताही रही है। वैसे जलवायु परिवर्तन से देश ही नहीं वल्कि पूरा विश्व प्रभावित है। प्राकृतिक आपदाओं के हर दिन हादसे देखे जा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंंग के कारण अरब सागर में चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि हुई है। भारत में समुद्री चक्रवातों की बात करें तो हर साल बंगाल और अरेबियन सी के समुद्र तटों पर कोई न कोई तेज रफ्तार चक्रवाती तूफान तबाही का मंजर लेकर आता है। मुंबई अरेबियन सी के तट पर बसी है। अतीत में झांकें तो पता चलता है कि अरेबियन सी में कई भयंकर तूफान ने कहर बरपाया है। तेज हवाओं और आंधी तूफान से गुजरात के तटों और तटीय गांवों पर बुनियादी ढांचे तहस नहस हुए।

इन चक्रवातों के दृष्टिगत समुद्र किनारे के शहरों में अधिक एहतिया बरतने की आवश्यकता है। विज्ञापन होर्डिंग नगर निकायों की अतिरिक्त आय के साधन हैं। जबकि विशालकाय विज्ञापन होर्डिंग उपभोक्ताओं को दूर से आकषिर्त करते हैं। जहां तक देश के राज्यों में विज्ञापन होर्डिंस लगाने की बात है अलग-अलग राज्यों और शहरों में इनको लगाने के दिशा-निर्देश अलग हो सकते हैं। इन पर प्रतिबंध लगाना तो ठीक नहीं क्योंकि ये नगर निकायों की आय के साधन हैं, लेकिन नगर निकायों को इनके मानकों और आमजन की सुरक्षा को देखना भी बहुत जरूरी है। विज्ञापन एजेंसी मनमर्जी से किसी भी आकार, भार और मानकों के होर्डिंस लगाए यह मंजूर नहीं है। ऐसी एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। नगर निकायों को होर्डिंस लगाने के नियम और मानको को स्पष्टता के साथ एक अंतराल पर इनका सुरक्षा ऑडिट करना भी जरूरी है। ताकि संबंधित संस्थाओं की लापरवाही मुंबई के इस होर्डिंग की तरह निर्दोष जनता के लिए जानलेवा ना बने।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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