‘गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के बाद जो भी जरूरी काम होंगे वह सरकार करेगी’ : मुख्यमंत्री धामी
आकाश ज्ञान वाटिका, 9 नवम्बर 2021, मंगलवार, देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के बाद जो भी जरूरी काम होंगे, वह सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि गैरसैंण सबकी भावनाओं का केंद्र है, इसे लेकर किसी को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें ग्राम सभा स्तर तक विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य करने वाले पांच व्यक्तियों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में प्रदेश सरकार ने 400 से अधिक फैसले लिए हैं। सभी को धरातल पर उतारने का काम हो रहा है। प्रदेश को आपदा का सामना करना पड़ा, उससे भी हम धीरे-धीरे उबर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने आपदा के दौरान तत्परता के साथ राहत बचाव कार्य किए।
उत्तराखंड आज देश के अन्य राज्यों के मुकाबले तेजी से तरक्की की राह पर है : कौशिक
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बीते 21 वर्षों में राज्य ने विकास के अनगिनत आयाम छुए हैं। उन्होंने कहा कि शहीदों के बलिदान और आंदोलन की कोख से जन्मे उत्तराखंड ने गठन के बाद अपनी विकास यात्रा के दौरान आपदाएं भी झेलीं, लेकिन राज्य मजबूत इरादों के साथ खड़ा रहा और संकट से निपटने में कामयाब हुआ।
कौशिक ने कहा कि 21 साल की विकास यात्रा में पानी, बिजली, सड़क, गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में राज्य सफल रहा है। इस विकास यात्रा में केंद्र का भी बड़ा सहयोग रहा है। राज्य को विशेष पैकेज मिलने से औद्योगिक विकास की नींव पड़ी और बुनियादी ढांचा विकसित हुआ। उत्तराखंड आज देश के अन्य राज्यों के मुकाबले तेजी से तरक्की की राह पर है।
श-दुनिया में उत्तराखंड की पहचान देवभूमि के रूप में है, हमें इस पहचान को बनाए रखना है : विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही प्रदेश की समृद्धि एवं तरक्की की नई ऊंचाइयों की कामना की है। अपने संदेश में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश-दुनिया में उत्तराखंड की पहचान देवभूमि के रूप में है। हमें इस पहचान को बनाए रखना है।