सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के चीन सीमा से सटे गाँवों के विकास पर रहेगा विशेष फोकस, ‘एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम’ की तर्ज पर बनेगी कार्ययोजना
आकाश ज्ञान वाटिका, 30 दिसम्बर 2020, बुधवार। केंद्र सरकार द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित किए जाने के बाद राज्य सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत राज्य के चीन और नेपाल की सीमा से लगे क्षेत्रों के गांवों के लिए एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम (आइएमए विलेज) योजना की तर्ज पर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने मंगलवार शाम को विधानसभा में हुई समीक्षा बैठक में इस संबंध में अधिकारियों को निर्देशित किया गया। उन्होंने कहा कि सीमांत गांवों में हर्बल फार्मिंग पर भी ध्यान केंद्रित किया जाए।
सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के सिलसिले में आयोजित समीक्षा बैठक में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य के सीमांत क्षेत्रों के निवासियों के लिए आजीविका और सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा की दृष्टि से कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसमें संबंधित क्षेत्र की कृषि जलवायु की परिस्थितियों और विपणन, प्रसंस्करण से संबंधित पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्ययोजना में सीमांत क्षेत्रों में कृषि, बागवानी की फसलों को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता भी लगाया जाएगा। साथ ही आजीविका विकल्पों से संबंधित रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सीमांत गांवों से पलायन रोकना सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम की कार्ययोजना में संबंधित क्षेत्र के एक से 10 किमी के क्षेत्र को शामिल किया जाएगा। इस क्षेत्र में कृषि और कृषि से संबंधित व्यवसायों पर फोकस किया जाएगा। साथ ही मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी विकास, मौनपालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। बैठक में अपर सचिव राम विलास यादव समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत पांच जिलों के 11 विकासखंडों का चयन किया गया है। इनमें पिथौरागढ़ जिले के चार, चमोली का एक, उत्तरकाशी के तीन, ऊधमसिंहनगर के एक और चंपावत के दो विकासखंड शामिल हैं। कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कार्ययोजना जल्द तैयार कर केंद्र सरकार को भेजना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि कार्ययोजना का मकसद सीमांत गांवों में समृद्धि लाकर पलायन को थामना है।