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शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि – प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है देवी के नौ रूपों की पूजा

  • नवरात्रि पूजन से होती है – समृद्धि, शक्ति, ध्यान, यश एवं ज्ञान की प्राप्ति

आकाश ज्ञान वाटिका, शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020, देहरादून। ‘नवरात्रि’ अर्थात ‘नौ रातें’, हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध धार्मिक त्यौहार है। नवरात्रि के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ़ एवं अश्विन माह में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाती है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें ‘नवदुर्गा’ कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, देवी अर्थात शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारतवर्ष में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि पूजन से समृद्धि, शक्ति, ध्यान, यश एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्री में हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पत्र की प्रतिपदा तिथि से नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की अराधना की जाती है।

नवरात्रि के दौरान महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री अर्थात पहाड़ों की पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा अर्थात चाँद की तरह चमकने वाली, कूष्माण्डा अर्थात पूरा जगत जिसके पैर में है, स्कंदमाता अर्थात कार्तिक स्वामी की माता, कात्यायनी अर्थात कात्यायन आश्रम में जन्मि, कालरात्रि अर्थात काल का नाश करने वली, महागौरी अर्थात सफेद रंग वाली माँ, एवं सिद्धिदात्री अर्थात सर्व सिद्धि देने वाली हैं।

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान कर विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।

नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम व प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

[box type=”shadow” ]भारतवर्ष के अलग अलग स्थानों में नवरात्रि अलग अलग ढंग से मनायी जाती है। गुजरात में इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह एवं धूम धाम के साथ मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में अपनी अलग पहचान रखता है। यहाँ पूरी नवरात्रि में, पूरी रात-रत भर डांडिया और गरबा नृत्य चलता है। डांडिया का अनुभव बड़ा ही अनोखा है। प्रतिदिन आरती से पहले, देवी के सम्मान में, भक्ति प्रदर्शन के रूप में ‘गरबा’, किया जाता है और उसके पश्चात् सम्पूर्ण रात्रि भर डांडिया का मनमोहक नृत्य होता है। दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल में बंगालियों के मुख्य त्यौहारों में एक है।

नवरात्रि उत्सव देवी अंबा का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। यही दो समय माँ दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं। नवरात्रि पर्व को माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति की पूजा का सबसे शुभ और पावन अवधि माना जाता है।

नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी, समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित हैं। ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है, भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है। इसलिए नवरात्रि के सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती की पूजा की है। प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं। आठवे दिन पर एक ‘यज्ञ’ किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है। नवरात्रि का नौवा दिन, नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कन्या पूजन होता है। उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची हैं। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार दिए जाते हैं।[/box]

[box type=”shadow” ]इस वर्ष 2020 की शारदीय नवरात्रि के शुभ मुहूर्त/कार्यक्रम:

17 अक्टूबर 2020 ( शनिवार) : सर्वार्थसिद्धि योग – नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन
18 अक्टूबर 2020 (रविवार) : त्रिपुष्कर और सर्वार्थसिद्धि योग – नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारिणी पूजन
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार) : सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग – नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार) : सौभाग्य और शोभन योग – नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार) : रवियोग – नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार) : सुकर्मा और प्रजापति योग – नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) : धृति और आनंद योग – नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, कात्‍यायनी पूजन
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार) : सर्वार्थसिद्धि योग – नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, कालरात्रि पूजन, कन्‍या पूजन
25 अक्टूबर 2020 (रविवार) रवियोग – नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण
26 अक्टूबर 2020 (सोमवार) – रवियोग – विजयदशमी या दशहरा[/box]

[box type=”shadow” ]माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके मंत्र:

नवरात्रि का पहला दिन – माँ शैलपुत्री
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

नवरात्रि का दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी
ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्रि का तीसरा दिन – माँ चंद्रघण्टा
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का चौथा दिन – माँ कूष्माण्डा
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का पांचवा दिन – माँ स्कंदमाता
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का छठा दिन – माँ कात्यायनी
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का सातवां दिन – माँ कालरात्रि
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का आठवां दिन – माँ महागौरी
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का नौवां दिन – माँ सिद्धिदात्री
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥[/box]

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Ghanshyam Chandra Joshi

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