पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों ने नागरिकता संशोधन कानून का खुले दिल से स्वागत किया
पाकिस्तान में प्रताड़नाओं के कारण भारत आए शरणार्थियों ने नागरिकता संशोधन कानून का खुले दिल से स्वागत किया है। लोक अधिकार मंच की रैली में बड़ी संख्या में दून में रह रहे शरणार्थियों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की।
पाकिस्तान के हजारा भट्टाग्राम से देहरादून में शरण लेने पहुंचे कई परिवार इंद्रा नगर स्थित हिल व्यू कॉलोनी में रह रहे हैं। इन्हीं में से एक है रेखी परिवार। 1997 में दून आए रेखी परिवार के एक सदस्य अनिल रेखी बताते हैं कि पाकिस्तान में उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता था। बाबरी मस्जिद मामले के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति बदतर हो गई। वहां उनके घरों में तोड़फोड़ की गई।
अनिल ने बताया कि उनके चाचा की सरेराह गोली मारकर हत्या कर दी गई। बालिकाओं का स्कूल जाना भी मुश्किल था। अनिल बताते हैं कि वे महज छह साल के थे, जब उन्होंने देहरादून की शरण ली। उनके पिता राम रेखी और माता राजकुमारी रेखी उन्हें पाकिस्तान में बर्बरता के किस्से सुनाते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को किसी के मरने पर अंतिम संस्कार तक को स्थान नहीं मिलता था। घर से करीब 300 किमी दूर जाकर रात के अंधेरे में उन्हें अंतिम संस्कार करना पड़ता था।
वर्तमान में इंजीनियर्स एनक्लेव में रह रहे पाकिस्तान के हजारा भट्टाग्राम से ही आए रोहित मल्होत्रा और उनके परिवार को भी इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा। रोहित का कहना है कि पाकिस्तान में उनके घर के पास स्थित गुरुद्वारा में भी तोड़फोड़ की गई और उनके धार्मिक कार्यों में बाधा डाली गई। साथ ही घरों में लूटपाट की गई। जिससे परेशान होकर वे 1992 में ही भारत आ गए।
दून आने पर भी हुईं कई दिक्कतें
शरणार्थियों का कहना है कि दून आने के बाद कई साल तक उन्हें यहां आजीविका चलाने को काफी संघर्ष करना पड़ा। यहां अपना स्थायी निवास भी उन्हें नहीं मिल पाया। काफी कानूनी लड़ाइयां लड़ने के बाद उन्हें यहां घर मिल सका। अब केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून लाने से उन्हें अच्छे दिन आने की उम्मीद जगी है।
एक साल पहले पाकिस्तान से ही की शादी
शरणार्थी अनिल रेखी का एक साल पूर्व ही विवाह हुआ है। उनकी पत्नी शीना चंदोक पाकिस्तान की ही रहने वाली हैं। अनिल से शादी कर वे दून आ गई हैं, लेकिन उनका परिवार अभी भी वहीं रहता है। परिवार को यहां बुलाने के लिए वे लगातार वीजा को आवेदन कर रही हैं, लेकिन कई तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं।