पर्युषण पर्व के उत्तम क्षमा के प्रथम दिन सभी श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से की पूजा अर्चना
[highlight]सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रंखला में जैन मिलन प्रगति द्वारा “कलश सजाओ प्रतियोगिता”, “फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता”, “थाल सजाओ प्रतियोगिता” आयोजित की गयी : मीडिया प्रभारी मधु सचिन जैन[/highlight]
- “कलश सजाओ प्रतियोगिता” में सरिता को मिला प्रथम स्थान।
आकाश ज्ञान वाटिका, 11 सितम्बर 2021, शनिवार, देहरादून। शुक्रवार, 10 सितम्बर को पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व की विस्तृत जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी मधु सचिन जैन ने बताया कि आज इस शुभ अवसर पर 60 गाँधी रोड, जैन धर्मशाला में 108 मुनि श्री विबुद्ध सागर जी एवम क्षुल्लक 105 श्री समर्पण सागर जी महाराज जी के परम् सानिध्य में प्रातः 6:30 अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा,108 दिवसीय णमोकार महामंत्र विधान, साँय 35 मिनट णमोकार मंत्र का पाठ, सामूहिक आरती एवम सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रंखला में जैन मिलन प्रगति द्वारा “कलश सजाओ प्रतियोगिता”, “फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता”, “थाल सजाओ प्रतियोगिता” आयोजित की गयी, जिसमें सभी महिलायें दीपक थाल सजा कर घर से लाई और थालों के साथ नृत्य कर आरती की।
शहर के अन्य मंदिरों में भी पूजा प्रक्षाल बड़े हर्षोल्लास और आनंद के साथ किया गया। जिसमें कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी श्रद्धालुओं ने अपने भक्ति भाव से पूजा अर्चना की।
इस अवसर पर 108 श्री विबुद्ध सागर जी एवं 105 क्षुल्लक श्री समर्पण सागर जी ने पर्युषण पर्व के उत्तम क्षमा के प्रथम दिन अपने प्रवचन मे कहा कि “क्रोध एक कषाय है। जो व्यक्ति को अपनी स्थिति से विचलित कर देती है। इस कषाय के आवेग में व्यक्ति विचार शून्य हो जाता है और हिताहित का विवेक खोकर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। लकड़ी में लगने वाली आग जैसे दूसरों को जलाती ही है पर स्वयं लकड़ी को भी जलाती है। इसी तरह क्रोध कषाय के स्वरूप को समझ लेना और उस पर विजय पा लेना ही क्षमा धर्म है।”
[highlight]मनीषियों ने कहा है कि क्रोध अज्ञानता से शुरू होता है और पश्चाताप से विचलित नहीं होना ही क्षमा धर्म है।[/highlight]
इस अवसर पर जैन भवन मंत्री संदीप जैन, हर्ष जैन (महामंत्री), आशीष जैन, अर्जुन जैन (सयोजक), अमित जैन, अजित जैन, नरेश चंद जैन, ममलेश जैन (संरक्षिका), शिल्पी, पूनम, उमा, सुदेश, सुनील, अलका जैन (अध्यक्ष) आदि महिलायें उपस्थित रही।
[box type=”shadow” [highlight]“कलश सजाओ प्रतियोगिता” के विजेता :[/highlight]
प्रथम – सरिता
द्वितीय – शिल्पी
तृतीय – नीतू जैन
पर्युषण पर्व – उत्तम क्षमा – प्रथम दिन
पीडैं दुष्ट अनेक, बांध मार बहु विधी करै ।
धरिये छिमा विवेक, कोप ना कीजिये पीतमा ॥
उत्तम छिमा गहो रे भाई, इह भव जस पर भव सुखदाई ।
गाली सुनि मन खेद ना आनो, गुन को औगुन कहे अयानो ॥
कहि है अयानो वस्तु छीने, बांध मार बहु विधि करै ।
घरतैं निकारे तन विदारै, बैर जो ना तहा धरै ॥
जे करम पूरब किये खोटे, सहै क्यों नहिं जीयरा ।
अति क्रोध अगनि बुझाय प्रानी, साम्य-जल ले सीयरा ॥