राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बसपा मुखिया मायावती ने NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु को दिया अपना समर्थन
आकाश ज्ञान वाटिका, 25 जून 2022, शनिवार, लखनऊ। 18 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा हैं। बसपा की मुखिया मायावती ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए द्रौपदी मुर्मु को अपना समर्थन दिया। द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के साथ ही मायावती ने विपक्षी दलों पर बसपा को अलग-थलग रखने का आरोप लगाया।
राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी भूमिका रहती है। राजग उम्मीदवार को यहीं से सबसे अधिक वोट मिलेंगे। देशभर के मतदाता जनप्रतिनिधियों के कुल मत मूल्य 10,86,431 का 14.86 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश के पास है। राष्ट्रपति चुनाव में सभी राज्यों के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के वोट का मूल्य बराबर है, जो कि 700 है। विधायकों के वोट का मूल्य आबादी की गणना के अनुसार तय होता है। यूपी के प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 208 है। यहाँ 80 लोकसभा सदस्य, 31 राज्यसभा सदस्य और 403 विधायक हैं। लोकसभा सदस्यों के मतों का कुल मूल्य 56,000 होता है। बसपा के पास दस लोकसभा सदस्य तथा एक राज्यसभा सदस्य है। इनके पास एक विधानसभा सदस्य भी है।
उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति पद के चुनाव में BJP तथा सहयोगी दल और समाजवादी पार्टी (SP) तथा सहयोगी दलों के पत्ते खोलने के बाद बारी बहुजन समाज पार्टी (BSP) की है। बसपा के वोट काफी मायने रखते हैं। ऐसे में बसपा की मुखिया मायावती शनिवार को अपना मत रखा दिया। मायावती ने कहा कि हमने एनडीए के राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है। हमने यह फैसला न तो भाजपा या एनडीए के समर्थन में और न ही विपक्ष के खिलाफ लिया है, बल्कि अपनी पार्टी और आंदोलन को ध्यान में रखते हुए लिया है।
बसपा की मुखिया मायावती ने कहा कि “हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने सामाजिक आंदोलन का खास हिस्सा मानते हुए, द्रौपदी मुर्मू समर्थन देने का फैसला किया। हमने अपनी पार्टी के मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए एक आदिवासी समाज की योग्य और कर्मठ महिला को देश की राष्ट्रपति बनाने के लिए यह फैसला लिया है। हमने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में खुलकर अपना समर्थन देने का निर्णय लिया है। बसपा प्रमुख ने कहा एनडीए के समर्थन में नहीं बल्कि आदिवासी समाज के समर्थन में बसपा ने यह निर्णय लिया है। वह अपने इस कदम को बसपा के सामाजिक आंदोलन का हिस्सा मानती हैं।”