देर रात सफाई कर्मियों की हड़ताल खत्म, दूनवासियों ने ली राहत की सांस
देहरादून: शहर में पिछले 11 दिन से जारी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल गुरुवार की देर रात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खत्म करा दी।
गुरुवार सुबह से रात तक कई दौर के घटनाक्रम के बीच जब हड़ताली नहीं माने तो मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने मोहल्ला स्वच्छता समिति के कर्मचारियों का मानदेय 166 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाते हुए 275 रुपये प्रतिदिन करने का एलान किया। अभी तक 30 कार्य दिवस में कर्मचारियों को 5000 रुपये प्रतिमाह मिल रहे थे, जबकि नई व्यवस्था के तहत उन्हें 8250 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने एलान किया कि यह फैसला सूबे की सभी मोहल्ला स्वच्छता समिति पर लागू होगा।
मुख्यमंत्री ने हड़ताल के दौरान बर्खास्त किए गए नाला गैंग के 120 व रात्रि सफाई के 34 कर्मचारियों को दो-तीन दिन में फिर से काम पर रखने के आदेश दिए। साथ ही हड़ताल के दौरान नो वर्क-नो पे व्यवस्था को भी निरस्त कर दिया गया। हड़तालियों की आंदोलन के दौरान 11 दिनों की वेतन कटौती नहीं होगी।
इसके बाद हड़तालियों के नेता सफाई कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष राजेश कुमार और महामंत्री धीरज कुमार ने मुख्यमंत्री आवास पर हड़ताल खत्म करने का एलान किया। शुक्रवार सुबह से युद्धस्तर पर शहर की सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। इससे शहरवासियों ने राहत की सांस ली।
इससे पहले, गुरुवार को कई दौर में हड़ताली कर्मियों को मनाने के प्रयास होते रहे। भाजपा नेता सुनील उनियाल गामा को हड़तालियों को मनाने निगम में भेजा गया। देर शाम प्रशासन से सुलह वार्ता में हड़ताली मान गए थे, लेकिन सरकार की ओर से लिखित आश्वासन न मिलने पर वे फिर भड़क गए और अधिकारियों को घेर लिया।
उग्र हड़तालियों ने शहर में उत्पात काटना शुरू कर दिया। जगह-जगह कूड़े के ढेर सड़कों पर पलट दिए। स्थिति उग्र होती देखी मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर तत्काल बैठक बुलाई और एक सकारात्मक हल निकाला गया। हालांकि, हड़तालियों की संविदाकरण की मांग पर अभी सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीकी अड़चनों में संविदा पर नियुक्ति अभी नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद इस पर सरकार कोई भी कदम उठा पाएगी। मुख्यमंत्री आवास पर विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व अध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना आदि मौजूद रहे।
बता दें कि, सात मई से चल रही हड़ताल से पूरा शहर कूड़े का ढेर बना हुआ है व सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे थे। शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशें इस दौरान विफल रहीं और अब तक की यह सफाई कर्मियों की सबसे बड़ी हड़ताल बन गई।