जोशी निवास नेहरू कॉलोनी में “अपनी पहचान रंगमंच” द्वारा कुमाऊँनी होली का रंगारंग आयोजन किया गया
आकाश ज्ञान वाटिका। देहरादून, ८ मार्च, २०२० (रविवार)।
[box type=”shadow” ]
शुक्रवार, ६ मार्च को आकाश ज्ञान वाटिका के सम्पादक घनश्याम जोशी के नेहरू कॉलोनी स्थित आवास पर “अपनी पहचान रंगमंच” द्वारा कुमाऊँनी होली का रंगारंग कार्यक्रम का आयोजित किया गया। अपने पारम्परिक परिधानों से सुसज्जित कुमाऊँनी होली के गायक (होलियार)
प्रातः ११ बजे ए – १९२, नेहरू कॉलोनी पहुँचे, जिनका श्रीमती निर्मला जोशी द्वारा दीप प्रज्वलित करने के उपरांत, टीका-अक्षत लगाकर, पारम्परिक अंदाज़ में स्वागत किया गया। तदुपरांत होलियारों द्वारा खरी होली का गायन प्रारम्भ किया। उपस्थित जनों को अबीर-गुलाल लगाया गया। खरी होली, झोड़े व गीतों के इस अनुपम अंदाज ने यहाँ उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुमाऊँ के पारम्परिक वाद्य-यंत्रों की धुन व “अपनी पहचान रंगमंच” के अनोखे गायन शैली ने तेज वर्षा में भी समां बंधे रखी।
[/box]
[box type=”shadow” ]
होली गायन के दौरान गुड़ की भेली को तोड़कर प्रसाद वितरित किया गया तथा आलू के गुटके, रायता व सूजी का प्रसाद भी वितरित किया गया।
[/box]
[box type=”shadow” ]अंत में आशीर्वचन के गायन के साथ की होली गायन संपन्न हुआ।
[/box]
कुमाऊँनी होली का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। आधुनिक दौर में जहाँ एक ओर परंपरागत, पौराणिक संस्कृति एवं कलाओं के प्रचलन में कमी देखने को मिल रही है, वही दूसरी ओर कुमाऊँ अंचल में आज भी कई त्यौहार, धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में पौराणिक संस्कृति की शानदार व अनुपम झलक दिखाई पड़ती है। कुमाऊँनी होली एक सांस्कृतिक विरासत है जिसे सहेजने–संजोने का कार्य कूर्मांचल परिषद् एक लम्बे समय से करती आ रही है। आज मुझे अपने निवास में देवभूमि की अनुपम संस्कृति की छटा देखने को मिली। कुमाऊँनी होली के माध्यम से अपनी संस्कृति एवं पौराणिक विरासत को संरक्षित रखने का जो कार्य “अपनी पहचान रंगमंच” विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यमों से कर रही है, वह वास्तव में सराहनीय हैं। मैं “अपनी पहचान रंगमंच” के सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार प्रकट करता हूँ।
आकाश ज्ञान वाटिका परिवार की ओर से समस्त सम्मानित जनों को होली की हार्दिक शुभ-कामनायें।