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स्वार्थ छोड़िए – “अनुभव व दृष्टि का ज्ञान एवं विवेक के साथ सामंजस्य हो जाये, बस यही सार्थक जीवन है।”

प्रेरणाप्रद नैतिक कहानी – स्वार्थ छोड़िए

 

एक छोटे बच्चे के रूप में, मैं बहुत स्वार्थी था, हमेशा अपने लिए सर्वश्रेष्ठ चुनता था।
धीरे-धीरे, सभी दोस्तों ने मुझे छोड़ दिया और अब मेरे कोई दोस्त नहीं थे। मैंने नहीं सोचा था कि यह मेरी गलती थी और मैं दूसरों की आलोचना करता रहता था लेकिन मेरे पिता ने मुझे जीवन में मदद करने के लिए 3 दिन में 3 संदेश दिए।

[box type=”shadow” ]पहला सन्देश:
एक दिन, मेरे पिता ने हलवे के 2 कटोरे बनाये और उन्हें मेज़ पर रख दिए।
एक के ऊपर 2 बादाम थे, जबकि दूसरे कटोरे में हलवे के ऊपर कुछ नहीं था।
फिर उन्होंने मुझे हलवे का कोई एक कटोरा चुनने के लिए कहा, क्योंकि उन दिनों तक हम गरीबों के घर बादाम आना मुश्किल था……… मैंने 2 बादाम वाले कटोरे को चुना।
मैं अपने बुद्धिमान विकल्प / निर्णय पर खुद को बधाई दे रहा था और जल्दी जल्दी मुझे मिले 2 बादाम वाला हलवा खा रहा था।
परंतु मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था, जब मैंने देखा कि की मेरे पिता वाले कटोरे के नीचे 8 बादाम छिपे थे।
बहुत पछतावे के साथ, मैंने अपने निर्णय में जल्दबाजी करने के लिए खुद को डांटा।
मेरे पिता मुस्कुराए और मुझे यह याद रखना सिखाया कि,
“आपकी आँखें जो देखती हैं वह हरदम सच नहीं हो सकता”, उन्होंने कहा कि “यदि आप स्वार्थ की आदत को ही, अपनी आदत बना लेते हैं तो आप जीत कर भी हार जाएंगे।”

दूसरा सन्देश:
अगले दिन, मेरे पिता ने फिर से हलवे के 2 कटोरे पकाए और टेबल पर रखे एक कटोरा के शीर्ष पर 2 बादाम और दूसरा कटोरा जिसके ऊपर कोई बादाम नहीं था।
फिर से उन्होंने मुझे अपने लिए कटोरा चुनने को कहा। इस बार मुझे कल का संदेश याद था, इसलिए मैंने शीर्ष पर बिना किसी बादाम वाली कटोरी को चुना।
परंतु मेरे आश्चर्य करने के लिए इस बार इस कटोरे के नीचे एक भी बादाम नहीं छिपा था।
फिर से, मेरे पिता ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, “मेरे बच्चे, आपको हमेशा अनुभवों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये कभी-कभी जीवन आपको धोखा दे सकता है या आप पर चालें खेल सकता है। स्थितियों से कभी भी ज्यादा परेशान या दु:खी न हों, बस अनुभव को एक सबक के रूप में समझें, जो किसी भी पाठ्य-पुस्तकों से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।”

तीसरा सन्देश:
तीसरे दिन, मेरे पिता ने फिर से हलवे के 2 कटोरे पकाए।
पहले 2 दिन की ही तरह, एक कटोरे के ऊपर 2 बादाम, और दूसरे के शीर्ष पर कोई बादाम नहीं।
मुझे उस कटोरे को चुनने के लिए कहा जो मुझे चाहिए था।
लेकिन इस बार, मैंने अपने पिता से कहा, पिताजी, आप पहले चुनें, आप परिवार के मुखिया हैं और आप परिवार में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं। आप मेरे लिए जो अच्छा होगा वही चुनेंगे।”
मेरे पिता मेरे लिए खुश थे।
उन्होंने शीर्ष पर 2 बादाम के साथ कटोरा चुना, लेकिन जैसा कि मैंने अपने कटोरे का हलवा खाया, कटोरे के हलवे के एकदम नीचे 4 बादाम और थे।
मेरे पिता मुस्कुराए और मेरी आँखों में प्यार से देखते हुए, उन्होंने कहा मेरे बच्चे, “तुम्हें याद रखना होगा कि जब तुम भगवान पर सब कुछ छोड़ देते हो, तो वे हमेशा तुम्हारे लिए सर्वोत्तम का चयन करेंगे।”
और “जब तुम दूसरों की भलाई के लिए सोचते हो, अच्छी चीजें स्वाभाविक तौर पर आपके साथ भी हमेशा होती रहेंगी।”[/box]

[box type=”shadow” ][highlight]शिक्षा: परोपकारी बनें, बड़ों का सम्मान करते हुए उन्हें पहले मौका व स्थान दें, बड़ों का आदर-सम्मान करोगे तो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटोगे।
“अनुभव व दृष्टि का ज्ञान व विवेक के साथ सामंजस्य हो जाये, बस यही सार्थक जीवन है।”[/highlight][/box]

साभार: श्रीमती गीता जोशी
देहरादून

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Ghanshyam Chandra Joshi

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