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कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा

साभार : अजय दीक्षित
आकश ज्ञान वाटिका, बुधवार, 25 सितम्बर 2024, देहरादून। अगस्त 2019 को भाजपा की केन्द्रीय सरकार ने कश्मीर में धारा 370 और 35ए समाप्त करके जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया था। लद्दाख को अलग से केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया । अब सितम्बर 2024 को हरियाणा के साथ जम्मू कश्मीर में भी चुनाव हो रहे हैं। अभी तक आठ केन्द्र शासित प्रदेशों में मात्र दिल्ली और पांडिचेरी में विधानसभाएं हैं । इस समय कश्मीर में मुकाबला नेशनल कान्फ्रेंस, पी.डी.पी. और भाजपा के बीच में हैं । कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस के साथ है । यूं गुलाम नबी आजाद की पार्टी भी मैदान में है, परन्तु उसके पास काडर नहीं है । इंजीनियर रशीद जेल में बंद है । उन्हें केजरीवाल की तर्ज पर कश्मीर में इलेक्शन लडऩे के लिए कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया गया है । लेण्ड आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा से इंजीनियर राशिद से सांठ-गांठ है । परन्तु भाजपा इससे इंकार करती है।

अभी हाल में मोदी ने कश्मीर में भाषण देते हुये कश्मीर को लूटने में तीन लोगों का हाथ बतलाया। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पी.डी.पी. । कांग्रेस तो बहुत समय से कश्मीर में सत्ता में है ही नहीं । नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल्ला को अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी कैबिनेट में विदेश राज्य मंत्री बनाया था । पी.डी.पी. की मेहबूबा मुफ्ती के साथ तो भाजपा पिछले दिनों सरकार बना चुकी है। असल में भाजपा को जम्मू में भरोसा है । कश्मीर में पहले चरण के चुनाव में आठ सीटों पर तो भाजपा ने अपने उम्मीदवार ही नहीं उतारे हैं । असल में पिछले कुछ दिनों से भाजपा शासित राज्यों में जो हिन्दुत्व का मुद्दा उठ रहा है, उस कारण कश्मीर में भाजपा को मुस्लिम चेहरा ढूंढने में तकलीफ़ हो रही है । परन्तु चुनाव विश्लेषक बतलाते हैं कि इस बार कश्मीर में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी । परन्तु उसे इतनी सीटें नहीं मिलेंगी कि वह अपनी सरकार बना सके।

इस बार कश्मीर में बहुत सी नई पार्टियां उभर आईं हैं। बहुत से इंडिपेन्डेन्ट भी चुनाव लड़ रहे हैं  । भाजपा को इन्हीं से उम्मीद है । कम से कम सात स्थानीय पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं। लगभग 32 उम्मीदवार स्वतंत्र लड़ रहे हैं । भाजपा को उम्मीद है कि केन्द्र की तरह वह इन स्वतंत्र उम्मीदवारों और सात अलग-अलग पार्टियों की सपोर्ट से अपनी सरकार बना लेगी । परन्तु मुख्य प्रश्न यह है कि केन्द्र में भाजपा पिछले दस सालों से सत्तारूढ़ है । उसे केन्द्र में अन्य पार्टियों से ज्यादा सपोर्ट की आवश्यकता नहीं है । कश्मीर के मसले पर ऐसी बात नहीं होगी।

कश्मीर की असली समस्या आज भी आतंकवाद है । पाकिस्तान से घुसपैठिए रोज ही कश्मीर में गोलीबारी करते हैं । पिछले पांच सालों में हजारों नहीं तो सैंकड़ों फौजी मारे जा चुके हैं । यह सही है कि कश्मीर में अब पर्यटन काफी बढ़ गया है । परन्तु देश भर में हो रहे मौसम के बदलाव के कारण कश्मीर में अब ए.सी. चलने लगे हैं, तो क्यों कोई कश्मीर जायेगा? एक दिक्कत और है । यदि कश्मीर में गैर भाजपा गठबंधन से सरकार बनती है तो उसकी स्थिति दिल्ली जैसी होगी, जहां सारे अधिकार एल.जी. के पास होंगे।

यदि भाजपा की सरकार बनती है मिली जुली तो सारे अधिकार एल.जी. से छीनकर सरकार को दे दिये जायेंगे । वो फिर यह प्रश्न उठेगा कि दिल्ली के साथ भेद-भाव हो रहा है । असल में सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि कश्मीर में चुनाव करवाए जाएं, नहीं तो शायद केन्द्र की भाजपा सरकार अभी चुनाव टाल देगी । फिर लद्दाख में चुनाव क्यों नहीं? यह भी प्रश्न उठ रहा है । असल में भारत की राजनीति ने जो नई करवट ली है, वह भाजपा के लिए भी उतनी सरल नहीं है । उसको भी अग्नि परीक्षा देनी होगी।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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