“विजय दिवस” पर सैनिकों को समर्पित कविता : “अमर जवान”
आकाश ज्ञान वाटिका, 16 दिसम्बर 2021, गुरुवार, देहरादून।
सरहद प्रहरी सैनिक कुमार, मेरे उपवन के नव बहार ।
भारत माता के शांति दूत, हे भारत भू के कर्णधार ।।
उत्थान पतन से दूर रहो, ना भौतिक सुख की चाह रखो ।
तुम सैनिक सदा जटिल पथ के, हरदम दुगना उत्साह रखो ।
टिक सके न सम्मुख कोई भी,तुम रण सज्जित हो बार बार।
हे भारत भू के कर्णधार ।।1।।
क्या चिंता कुपित दृष्टि की है, जो डाल सके तुम पर दुश्मन ।
केवल रण भेरी याद रखो, तोपों के स्वर में सदा मगन ।
सुख मृग तृष्णा से दूर रहो, रक्षण में सारे सुख बिसार ।
हे भारत भू के कर्णधार ।।2।।
ढह जाएं समोनत स्वर्ण भवन, गौरव सिंघासन राष्ट्र सबल ।
जब दुश्मन का संहार करो, बह जाते सम्मुख राष्ट्र प्रबल ।
नभ में रहकर भू को मापो, तप कर्म तुम्हारा निर्विकार ।
हे भारत भू के कर्णधार ।।3।।
पर्वत की छाती पर चढ़कर, तुम पथ पर बढ़ते जाते हो ।
सागर की लहरों के ऊपर, अविचल साहस दिखलाते हो ।
नदियों की धारा चीर – चीर, करते बाधा को आर -पार ।
हे भारत भू के कर्णधार ।।4।।
तुम्हें नहीं डरा सकता कोई, कृत्यों से अत्याचारों से ।
तुम्हें नहीं हटा सकता पीछे, शस्त्रों अस्त्रों के वारों से ।
मानवता के जो दुश्मन हैं, तुम करते हो उनका शिकार ।
हे भारत भू के कर्णधार ।।5।।
चंडी का खप्पर भरते हो, दुश्मन की शोणित हाला से ।
दुर्गम पथ पर अड़ जाते हो, राणा के सैनिक झाला से ।
तुम काल बनो आतंकों के, सुनते हो पीड़ित की पुकार ।
हे भारत भू के कर्णधार ।।6।।
भारत माता की सेवा में, यौवन के सुख का लोभ नहीं ।
दुर्गम पथ का ना पछतावा, अपने निर्णय पर क्षोभ नहीं ।
तुम भारत भू के गौरव हो, “हलधर” लेखन के सूत्रधार ।
हे भारत भू के कर्णधार ।।7।।
जय हिन्द। जय जवान।
साभार: कविवर जसवीर सिंह “हलधर”
मो. : 9897346173