शहीद रविंद्र रावत (पोलू) की ४७वीं जयंती पर वार्ड-५६ स्थित पोलू स्मारक में मोमबत्तियाँ जलाकर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की
आकाश ज्ञान वाटिका, देहरादून। १२ नवंबर, २०१९, मंगलवार। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में शहीद हुए, नेहरू कॉलोनी, देहरादून निवासी शहीद स्व० रविंद्र रावत (पोलू) की आज ४७वीं जयंती है। उनकी जयंती पर, वार्ड-५६ धर्मपुर के पार्षद अमित भंडारी ने स्थानीय लोगों के साथ, उनके स्मारक (पोलू स्मारक) में जाकर, मोमबत्तियाँ जलाकर उन्हें भावभीनि श्रद्धांजलि अर्पित कर शत शत नमन किया। उत्तराखंड राज्य के लिए शहीदों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। आज जिस राज्य में हम चैन से जीवन बसर कर रहे हैं, उसे प्राप्त करने का इतिहास काफी संघर्षमय व कठिन रहा है, अनेक लोगों को अपनी जान की क़ुरबानी देनी पड़ी, उन्हीं में से एक क्रान्तिकारी वीर है शहीद रविंद्र रावत (पोलू)।
आकाश ज्ञान वाटिका परिवार की ओर से उत्तराखंड राज्य आंदोलन के वीर सपूत शहीद रविंद्र रावत (पोलू) को उनके ४७वें जन्मदिवस (जयंती) पर शत शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।
अलग उत्तराखंड राज्य प्राप्ति की माँग सर्वप्रथम सं १८९७ में उठी। जिसके उपरांत समय समय पर कई बार अलग अलग रूप में उत्तराखंड राज्य प्राप्ति की यह माँग उठती रही। वर्ष १९९४ में उत्तराखंड राज्य आंदोलन का स्वरुप ही बदल गया और यह जन आंदोलन के रूप में समूचे पहाड़ी क्षेत्रों (वर्तमान उत्तराखण्ड) के साथ-साथ, अन्य स्थानों पर रह रहे उत्तराखण्ड वासियों के दिलों तक फ़ैल चूका था। विशाल जन समूह घरों से निकलकर सड़कों पर उतर चूका था। आम जन (पुरुष, महिलायें, बच्चे), कवि, पत्रकार, नेता आदि सभी अपनी अपनी सक्रिय भूमिका, अलग अलग स्वरुप में निभाते हुए, आंदोलन को लक्ष्य तक पहुंचाने हेतु दृढ़-संकल्पित हो गए। अन्ततः ९ नवम्बर, २००० को उत्तराखंड, एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आ गया और भारतवर्ष का २७वां राज्य बन गया।
उत्तराखंड राज्य प्राप्ति का यह आंदोलन काफी जटिल राहों से गुजरता हुआ अपने मुकाम तक पहुँचा। आंदोलन का स्वरुप क्रमशः उग्र होता गया। १ अक्टूबर, १९९४ को देहरादून समेत सम्पूर्ण पहाड़ी क्षेत्रों से भारी संख्या में आंदोलनकारी घरों से निकलकर दिल्ली की ओर कूच कर गए और २ अक्टूबर, गांधी जयंती के मौके पर, राजघाट पर घरना-प्रदर्शन कर तत्कालीन उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार के रवैये के खिलाफ आक्रोश प्रकट करने का मन बना चुके थे। लेकिन १ अक्टूबर की रात में रामपुर तिराहा (मुज़्ज़फरनगर) में पुलिस ने निर्दोष आंदोलनकारियों पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी एवं महिलाओं के साथ अमानवीय वर्ताव किया गया। पुलिस की गोलियों ने छः आंदोलनकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इन्हीं में से एक नेहरू कॉलोनी, देहरादून निवासी रविंद्र रावत (पोलू) पुत्र स्व. श्री कुंदन सिंह रावत था। शहीद रविंद्र रावत की याद में नेहरू कॉलोनी, बी – ब्लॉक में एक शहीद स्मारक (पोलू स्मारक) का निर्माण किया गया है।