स्वच्छ पर्यावरण – युवाओं ने जन आंदोलन के रूप में इस चुनौती को स्वीकार किया है
पर्यावरण संरक्षण के प्रति युवाओं का रुझान
मानव जीवन प्रकृति पर आश्रित है। अतः प्रकृति का संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है। पर्यावरण संरक्षण व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों द्वारा प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा हेतु सकारात्मक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और मौजूदा प्राकृतिक वातावरण को स्वच्छ एवं संरक्षित रखना है।
प्रकृति जीवन के लिए स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल और कंद-मूल, फल व अनेकों खाने की चीजें उपलब्ध कराती है। ऐसी पृथ्वी माँ की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य बौ जाता है। आज धरती माँ अनेकों संकटों से घिरी है। आज मानव विकास की अंधी दौड़ व खुद की असंख्य चाहतों के आगे विवश होकर प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों से भ्रमित होता जा रहा है, जिसका प्रतिफल, पर्यावरण प्रदूषण के रूप में, खुद हमारे लिए घातक सिद्ध हो रहा है। लगभग सौ साल पहले धरती पर घने जंगल थे, कल-कल बहती स्वच्छ नदियाँ बहती थीं, निर्मल झील व पावन झरने थे। जंगलों में विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु निवास करते थे। आज जंगल वीरान होते जा रहे हैं, नदियाँ प्रदूषित होती जा रही हैं। झील व झरने सूखते जा रहे हैं। जंगलों से पेड़ और वन्य जीव गायब होते जा रहे हैं। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है।
आज पर्यावरण संरक्षण एक बहुत बड़ा मुद्दा बन कर रह गया है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग होकर सर्कार के साथ साथ आज आम जन भी स्वच्छ पर्यावरण का संकल्प लेकर इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने लगा है। युवाओं, छात्रों व प्रकृति प्रेमियों का रुझान आज पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कार्यों की ओर बढ़ता जा रहा है।
आज एक प्रकृति प्रेमी व समाजसेवी, नेहरू कॉलोनी निवासी जय थपलियाल ने जो बातें आकाश ज्ञान वाटिका न्यूज़ पोर्टल के सम्पादक घनश्याम चन्द्र जोशी के साथ साझा की, वह वास्तव में सराहनीय एवं प्रेरणाप्रद हैं। जय थपलियाल ने कहा, “आज अपने कुछ मित्रों के साथ चकराता के के पास एक स्थान में वृक्षारोपण का अवसर मिला l मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आज युवाओं की सोच में पर्यावरण के प्रति एक अहम बदलाव आ रहा है l मेरे मित्रों ने निस्वार्थ भाव से यह वृक्षारोपण अभियान जगह-जगह चलाने का संकल्प लिया है l मुझे अति प्रसन्नता है कि हमारे भारतवर्ष के यशस्वी प्रधानमंत्री ने जो लाल किले से स्वच्छ पर्यावरण का आह्वान किया था, यह मेरे मित्रों ने जन आंदोलन के रूप में तथा एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है l अतः मुझे यह कहने में कोई भी संकोच नहीं है कि आज युवाओं की सोच बदल रही है हमारा देश बदल रहा है और निश्चित रूप से हम अपने देश के कई हिस्सों में जहाँ वृक्ष नहीं है, सब मिलकर अधिक से अधिक वृक्ष लगायें और अपने देश को हरा भरा बनाने का संकल्प लें l”
जन जन में चेतना जगानी है, सुरक्षित व सुन्दर प्रकृति बनानी है।