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तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

तीन तलाक़ (तलाक़-ए-बिद्दत) पारित

आकाश ज्ञान वाटिका, देहरादून, मंगलवार, ३० जुलाई। इस्लाम धर्म में विवाह, जिसे निकाह कहा जाता है, एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आज़ाद मर्ज़ी से एक दूसरे के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फ़ैसला है। इसकी तीन शर्ते हैं: पहली यह कि पुरूष वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारियों को उठाने की शपथ ले, एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, मेहर के रूप में औरत को दे और इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये।
कुछ आधुनिक शिक्षा से प्रभावित व्यक्तियों का दावा है कि पवित्र क़ुरआन में तलाक़ को न करने लायक़ काम का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि इसको ख़ूब कठिन बनाया गया है। तलाक़ देने की एक विस्तृत प्रक्रिया दर्शाई गई है। परिवार में बातचीत, पति-पत्नी के बीच संवाद और सुलह पर जोर दिया गया है। पवित्र कुरान में कहा गया है कि जहाँ तक संभव हो, तलाक़ न दिया जाए और यदि तलाक़ देना ज़रूरी और अनिवार्य हो जाए तो कम से कम यह प्रक्रिया न्यायिक हो। इसके चलते पवित्र क़ुरआन में दोनों पक्षों से बात-चीत या सुलह का प्रयास किए बिना दिए गए तलाक़ का जिक्र कहीं भी नहीं मिलता। इसी तरह पवित्र क़ुरआन में तलाक़ प्रक्रिया की समय अवधि भी स्पष्ट रूप से बताई गई है। एक ही क्षण में तलाक़ का सवाल ही नहीं उठता। खत लिखकर, टेलीफ़ोन पर या आधुनिकाल में ईमेल, एस एम एस अथवा वॉट्सऍप के माध्यम से एक-तरफा और ज़ुबानी या अनौपचारिक रूप से लिखित तलाक़ की इजाज़त इस्लाम कतई नहीं देता। एक बैठक में या एक ही वक्त में तलाक़ दे देना गैर-इस्लामी है।

तीन तलाक़ (तलाक़-ए-बिद्दत)
तलाक़ ए बिद्दत (ट्रिपल तलाक़) के तहत जब एक व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक़ बोल देता है या फ़ोन, मेल, मैसेज या पत्र के ज़रिए तीन तलाक़ दे देता है तो इसके बाद तुरंत तलाक़ हो जाता है। इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। ट्रिपल तालक़, जिसे तलाक़-ए-बिद्दात, तत्काल तलाक़ और तालक़-ए-मुघलाजाह (अविचल तलाक़) के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामी तलाक़ का एक रूप है जिसे भारत में मुसलमानों द्वारा इस्तेमाल किया गया है।

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017
22 अगस्त, 2017 को उच्चतम न्यायालय ने शायरा बानो बनाम भारत संघ और अन्य के मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 3:2 के बहुमत से तीन तलाक़ (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इसके साथ ही 6 महीने में कानून निर्माण हेतु केंद्र सरकार को आदेश दिया। इसी के निमित्त सरकार द्वारा संसद में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को संसद में पेश किया गया।
28 दिसंबर, 2017 को विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोक सभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को पेश किया। इसी दिन इस विधेयक को लोक सभा ने पारित कर दिया।
विधेयक के अनुसार, तलाक से अभिप्राय, तलाक-ए-बिद्दत या किसी भी दूसरी तरह का तलाक, जिसके परिणामस्वरूप मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तलाक (जिसे पलटा न जा सके) दे देता है। तलाक-ए-बिद्दत, मुस्लिम पर्सनल कानून के अंतर्गत ऐसी प्रथा है, जिसमें मुस्लिम पुरुष द्वारा अपनी पत्नी को एक साथ तीन बार तलाक कहने से तलाक हो जाता है।
विधेयक के अनुसार तलाक कहने को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध घोषित किया है। तलाक कहने वाले पुरुष को तीन वर्षों तक के कारावास की सजा हो सकती है और उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। जिस मुस्लिम महिला को तलाक दिया गया है, वह अपने अवयस्क बच्चों की अभिरक्षा (Custody) हासिल करने के लिए अधिकृत है। इसका निर्धारण मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा। तलाक प्राप्त करने वाली मुस्लिम महिला, अपने पति से अपने और खुद पर निर्भर बच्चों के लिए गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अधिकृत है। भत्ते की राशि प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित की जाएगी।

भारतीय लोकतंत्र का स्वर्णिम दिन

मंगलवार (३० जुलाई २०१९) को राज्यसभा में पारित हो गया तीन तलाक़ (तलाक़-ए-बिद्दत) बिल

लोकसभा से पहले से ही पारित हो चुका तीन तलाक बिल बिल मंगलवार (३० जुलाई २०१९) को राज्यसभा में पेश हुआ और पारित भी हो गया। राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े वहीं इस बिल के विपक्ष में 84 वोट पड़े। राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा के बाद बिल को सेलेक्‍ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्‍ताव पर वोटिंग हुई। सदन में पर्ची के माध्‍यम से वोटिंग कराई गई। कई सांसदों ने बिल को कमेटी के पास भेजने की मांग की थी। लेकिन वोटिंग में सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया। सेलेक्ट कमेटी को बिल भेजने के प्रस्ताव के पक्ष में 84 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 100 वोट पड़े।
इससे पहले राज्‍यसभा में इस बिल की चर्चा को दौरान तीन तलाक बिल का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चर्चा में हिस्‍सा लेने वाले सभी सांसदों का आभार जताते हुए कहा कि पैगंबर साहब ने हजारों साल पहले ही इसे गलत बता दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. तुष्टीकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया । मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है।” मोदी ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया, “सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है । इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं ।”

क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया, “ये एक ऐतिहासिक दिन है जब राज्यसभा में तीन तलाक़ बिल पास हो गया। इससे पहले ये लोकसभा से पास हो चुका था। मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय देने के अपने वादे को पूरा किया। अब और तलाक़ तलाक़ तलाक़ नहीं।”

मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों से पास करवा लिया है। अब तीन तलाक और हलाला के नाम पर मुस्लिम महिलाओं का शोषण नहीं होगा।

ये हैं तीन तलाक बिल के प्रावधान:

  • तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना ।
  • तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है।
  • तीन साल तक की सजा का प्रावधान है ।
  • यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है । जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा ।
  • पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है ।
  • पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा ।
  • पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है। इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा ।

राज्यसभा में कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों के साथ साथ अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस ने भी तीन तलाक संबंधी विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग की. विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसका मकसद ‘मुस्लिम परिवारों को तोड़ना’ बताया. उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सवाल उठाया कि जब तलाक देने वाले पति को तीन साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा तो वह पत्नी एवं बच्चे का गुजारा भत्ता कैसे देगा?
तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़कर जीतने वालीं आतिया साबरी बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि मुझे जब ये पता चला कि तीन तलाक बिल राज्यसभा में भी पास हो गया है तो बड़ी खुशी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं की भावनाओं को समझा है। जो बुरा वक्त हमने देखा है, अब वह आने वाली पीढ़ी को नहीं भुगतना पड़ेगा। सबसे पहले मैं सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के विरोध में गई थी। वर्ष 2017 में मुझे न्याय भी मिला था।

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी बिल के राज्यसभा सभा में पास होने की सराहना की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने लाखों मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक के चंगुल से मुक्त कराया है। बिल के पारित होने के बाद अब मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

देश भर की मुस्लिम महिलाओं के बीच ख़ुशी का माहौल है। मुंबई में मुस्लिम महिलाओं ने केक काटकर खुशियाँ मनाई। महिलायें एक दुसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशियों का इज़हार कर प्रधान मंत्री मोदी का आभार व्यक्त कर रही हैं।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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