आकाश ज्ञान वाटिका — पर्यावरण संगोष्ठी
पर्यावरण संगोष्ठी में आकाश द्वारा अभिवादन एवं विचार
आज की इस पर्यावरण संगोष्ठी में उपस्थित समस्त सम्मानित प्रेरणा श्रोत मेरे अभिभावकों को सादर प्रणाम्। इस पर्यावरण संगोष्ठी में आप सभी का अभिनन्दन्।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन कायम है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी पर वह सभी साधन सन्तुलित रूप से उपलब्ध हैं जिसका होना जीवन के लिए आवश्यक है। इस धरती के सभी जीवित व अजीवित चीजों से पर्यावरण की संरचना होती है। पर्यावरण के लिए आवश्यक सभी चीजें इस धरती पर एक निश्चित अनुपात में उपलब्ध हैं। यदि पर्यावरण के एक भी अवयव की उपलब्धता में परिवर्तन हो जाता है तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने लगता है, जिसका प्रभाव जीवन पर पड़ता है। अनेक प्रकार के अवांछनीय परिवर्तन को मानव ही बढ़ावा देते हैं, जिसके भोगी भी हम ही होते हैं। उत्तराखण्ड में हाल ही में जो त्रासदी आयी, उसके भी कहीं न कहीं दोषी स्वंय हम ही हैं। आज पहाड़ वीरान सा लगने लगा है, लोग पलायन कर रहे हैं। जंगलों को काटकर बहुमंजली इमारतें बनायी जा रही हैं। हरियाली के लिए मशहूर देवभूमि आज खुद हरियाली के लिए तरस रही है। बड़े—बड़े पर्वत शिखर जो देश के रक्षक होते थे आज खुद अपनी रक्षा की गुहार लगा रहे हैं। पर्वतों को तोड़कर सड़कें बनायी जा रही हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ का सिलसिला यहीं नहीं रूका, आज तो नदी का अविरल प्रवाह को भी रोका जा रहा है।
मैं मानता हॅू विकास जरूरी है, लेकिन विकास ऐसा होना चाहिए जिससे प्रकृति के अव्यवों में तनिक भी परिवर्तन न हो। ऊर्जा प्रदेश बनाना खुशी का विषय है लेकिन बड़े—बड़े बॉध बनाये जाना कहीं न कहीं जानबूझ कर खतरे को निम्ंत्रण देना है। आज जब भी मैं छुट्टियों में अपने गॉव जाता हॅू, मुझे बहुत ही सकून मिलता है। लेकिन परेशान सिर्फ यह है कि वहां पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। शिक्षा की दशा दयनीय है तो पता चला कि अस्पतालों में डॉक्टर वर्षो से नहीं हैं। आज जरूरत है इन मूलभूत समस्याओं का समाधान करने की न कि विकास के नाम पर पर्यावरण से छेड़छाड़ करने की। हमें वृक्षारोपण को महत्व देना होगा। वृक्ष की रक्षा करनी होगी। पॉलीथीन उन्मूलन अभियान चलाना होगा। अपनी माटी, अपने मुल्क से प्यार करना होगा। पहाड़ का आदमी पहाड़ में ही रोजगार पाकर जीवन यापन कर सके ऐसा काम करना होगा। मैं भी दृढ़ संकल्पित हॅू कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद अपनी पहली—सेवा पहाड़ पर ही दुंगा।
अन्त मैं, मैं आप सभी को सादर अभिनन्दन करता हॅू।
जय भारत ! जय उत्तराखण्ड !
धन्यवाद।
आकाश जोशी
कक्षा 9
दी हैरिटेज स्कूल, देहरादून