इस समय यासीन मलिक नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद है।
कश्मीर में भारतीय वायुसेना (IAF) के चार कर्मियों की हत्या के मामले में यासीन मलिक के खिलाफ जम्मू स्थित TADA कोर्ट में एक अक्टूबर को सुनवाई होगी। मलिक पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ. रुबिया सईद के अपहरण का मामला भी चल रहा है। इस समय मलिक नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद है।
जानकारी के अनुसार श्रीनगर में एयरफोर्स के चार अधिकारियों और एक नागरिक की आतंकियों द्वारा हत्या के मामले में 30 साल बाद न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। हत्या के इस मामले में जेकेएलएफ के चीफ यासीन मलिक को बुधवार यानी आज जम्मू की टाडा अदालत में पेश किया जाना है।
यासीन मलिक पिछले 30 साल से टाडा अदालत में पेश होने से बचता फिर रहा है। इसके पहले उसे दो बार पेश होने का आदेश दिया गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुआ। एजेंसी के अनुसार, अब जम्मू की टाडा अदालत ने बुधवार को उसकी पेशी के लिए तीसरी बार गैर जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट 22 अगस्त को जारी किया गया था।
टाडा अदालत ने तिहाड़ जेल के प्रभारी को यासीन मलिक की पेशी सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। रुबिया अपहरण केस में सीबीआइ चालान के मुताबिक, श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में आठ दिसंबर 1989 को रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके अनुसार रुबिया मिनी बस से ललदेद अस्पताल श्रीनगर से नौगाम स्थित अपने घर जा रही थी। इसी दौरान कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने उसका अपहरण कर लिया।
सीबीआइ ने जांच पूरी करने के बाद 18 सितंबर 1990 को जम्मू की टाडा अदालत में आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया। सीबीआइ के दूसरे चालान के मुताबिक 25 जनवरी 1990 की सुबह श्रीनगर के रावलपोरा में किराए पर रह रहे एयरफोर्स अधिकारी गाड़ी के लिए सनत नगर क्रॉ¨सग पर खड़े थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर अंधाधुंध फाय¨रग कर दी। मौके पर एक महिला समेत करीब 40 एयरफोर्स के अधिकारी मौजूद थे जो गंभीर रूप से घायल हुए। दो अधिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अधिकारियों और एक नागरिक ने बाद में दम तोड़ दिया। सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ टाडा कोर्ट जम्मू में चालान पेश किया था।
हमने परेशानी झेली और मलिक आरामदायक जिंदगी जीता रहा
श्रीनगर में 1990 में हुए एक आतंकी हमले में शहीद एयरफोर्स के चार अधिकारियों में स्क्वार्डन लीडर रवि खन्ना भी शामिल थे। उनकी पत्नी निर्मल खन्ना ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि यासीन मलिक पिछले 30 सालों से आरामदायक जिंदगी जीता रहा, लेकिन अब उम्मीद जगी है कि उनके पति की शहादत को न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पिछले तीस सालों में शहीदों के परिवारों को न जाने कितनी परेशानियां झेलनी पड़ीं। यहां तक कि पेंशन के मामले में मुझे खुद दिल्ली से जम्मू के बीच कई बार आना जाना पड़ा। मुझे अपने दो बच्चों को पालने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 69 वर्षीय निर्मल खन्ना ने एजेंसी को बताया कि पति को खोने के बाद मेरा जीवन तनाव भरा हो गया। मैं पिछले कुछ सालों से ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रही हूं।