साभार : अमित बैजनाथ गर्ग
आकाश ज्ञान वाटिका, मंगलवार, 14 मई 2024, देहरादून। गैर संचारी रोग यानी कि एनसीडीज के तहत आने वाले कैंसर को लेकर लैंसेट कमीशन की ओर से हालिया जारी नई रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है और 2040 तक हर साल इससे 10 लाख महिलाओं की मौत होने का खतरा है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि 2020 तक पिछले पांच वर्षों में लगभग 78 लाख महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का पता चला था, जबकि उसी साल इस बीमारी से करीब 6.85 लाख महिलाओं की मौत हो गई थी। रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में औसतन हर 12 महिलाओं में से एक को 75 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 2020 में दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर के 23 लाख मामले सामने आए थे, जो 2040 तक बढ़कर 30 लाख से अधिक हो सकते हैं।
असल में कैंसर की बीमारी से दुनियाभर में होने वाली मौतें दूसरे स्थान पर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज भारत में हैं। साल 2022 में दुनिया में 1.93 करोड़ नए कैंसर मरीज सामने आए हैं, जिनमें 14 लाख से अधिक भारतीय हैं। इतना ही नहीं, भारत में सालाना बढ़ते कैंसर के मामलों के चलते 2040 तक इनकी संख्या में 57.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की आशंका है। कैंसर से भारत में साल 2020 में 7.70 लाख, 2021 में 7.89 लाख और 2022 में 8.08 लाख रोगियों की मौत हुई है। देश में कैंसर के मामलों की कुल संख्या साल 2022 में 14.61 लाख रही। वहीं 2021 में यह 14.26 लाख और 2020 में 13.92 लाख रही। भारत के हर 10 में से एक व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में कैंसर से जूझता है और 15 में एक की मृत्यु इस बीमारी से हो जाती है। भारत में हर साल करीब 15 लाख कैंसर से जुड़े मामले रिपोर्ट किए जाते हैं।
आखिर कैंसर क्या है? असल में शरीर में होने वाली असामान्य और खतरनाक स्थिति, जिसमें कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है, उसे कैंसर कहते हैं। हमारे शरीर में कोशिकाओं का लगातार विभाजन होना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिस पर शरीर का पूरा नियंत्रण रहता है, लेकिन जब किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण नहीं रहता है, तो वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। इसे ही कैंसर कहा जाता है। ज्यादातर कैंसर ट्यूमर के रूप में होते हैं, लेकिन ब्लड कैंसर के मामले में ट्यूमर नहीं होता है। एक बात यह भी ध्यान रखने योग्य है कि हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। भारत में कैंसर के प्रकार में छह तरह के कैंसर ज्यादा होते हैं, जिसमें फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल है।
आसान शब्दों में कहें तो कैंसर शरीर में होने वाली असामान्य स्थिति है, जिसमें कोशिकाएं असाधारण रूप से बढ़ने लगती हैं और बढ़ी हुई चर्बी की एक गांठ बन जाती है, जिसे ट्यूमर कह सकते हैंं। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। आमतौर पर कैंसर में होने वाले ट्यूमर दो तरह के होते हैं। पहला बिनाइन ट्यूमर और दूसरा मैलिग्नैंट ट्यूमर। मैलिग्नैंट ट्यूमर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलता है, जबकि बिनाइन नहीं फैलता है। सभी कैंसर के लक्षण उसके प्रकार और स्थान के अनुसार अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जो देखे जा सकते हैं जैसे शरीर का वजन अचानक कम होना या बढ़ना, ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना, त्वचा में गांठ बनना या रंग में बदलाव होना, पाचन संबंधी समस्या, कब्ज या दस्त होना, आवाज बदलना, जोड़ों-मांसपेशियों में दर्द, घाव ठीक होने में समय लगना, भूख कम लगना, लिम्फ नोड्स में सूजन आदि।
यूँ तो कैंसर होने के पीछे कोई ज्ञात कारण नहीं है, लेकिन कुछ पदार्थ जिन्हें कार्सिनोजन कहा जाता है, वे प्रमुख कारणों में से एक हैं। ये कारक कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते हैं। कैंसर के प्रमुख जोखिम कारकों में तंबाकू या उससे बने उत्पाद जैसे सिगरेट, गुटखा या चुइंगम आदि का लंबे समय तक सेवन फेफड़े या मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है। लंबे समय तक शराब पीना लिवर कैंसर को बढ़ावा देता है। साथ ही शरीर के अन्य कई हिस्सों में कैंसर के खतरे को बढ़ावा देता है। कैंसर के लिए जीन भी एक प्रमुख कारण है। यदि परिवार में किसी को कैंसर का इतिहास है, तो इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा होती है। वायरस जो कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं, उनमें हेपेटाइटिस बी और सी होते हैं, जो 50 प्रतिशत तक लिवर कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। साथ ही ह्यूमन पैपिलोमा वायरस 99.9 प्रतिशत मामलों में सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। अनहेल्दी फूड्स या रिफाइंड खाद्य पदार्थ, जिनमें फाइबर की मात्रा कम होती है, वे कोलन कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं। बार-बार एक्स-रे करवाने के कारण भी रेडिएशन के सम्पर्क में आने से कैंसर होने के खतरे को बढ़ावा मिलता है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)