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उत्तराखण्डताज़ा खबरेंविशेष

आई हजारों आफतें, मैं कभी झुका नहीं, मैं कभी रुका नहीं, मैं उत्तराखण्ड हूँ ……………..

आकाश ज्ञान वाटिका, १६ सितम्बर, २०२०, बुधवार।

मैं उत्तराखंड हूँ …….

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आई हजारों आफतें, मैं कभी झुका नहीं, मैं कभी रुका नहीं, मैं उत्तराखण्ड हूँ।
लड़ रहा कोरोना से, सजग हूँ, सशक्त हूँ, सतर्क हूँ, मैं तैयार हूँ, हाँ मैं उत्तराखण्ड हूँ।।

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उत्तर भारत में स्थित राज्य उत्तराखण्ड, का निर्माण 9 नवम्बर 2000 को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में हुआ। सन 2000 से 2000 तक यह राज्य ‘उत्तरांचल’ नाम से जाना जाता था। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर “उत्तराखण्ड” कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से लगी हैं। सन 2000 में नए राज्य ‘उत्तरांचल’ के रूप में गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था।

देहरादून, उत्तराखण्ड की राजधानी है तथा गैरसैण ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया है। राज्य का उच्च न्यायालय (High Court) नैनीताल में स्थित है।
देवों की इस धरा में चार-धाम सहित अनेक देवी-देवताओं के प्रसिद्ध मन्दिर हैं। हरि का द्वार हरिद्वार सहित अनेकों तीर्थस्थल यहाँ पर स्थित हैं। सुहावने मौसम, खूबसूरत वादियों के कारण देवभूमि उत्तराखंड में वर्ष पर्यन्त पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। अपनी अनुपम संस्कृति, कला एवं तीज-त्योहारों के लिए उत्तराखंड देश ही नहीं विदेशों में भी जाना जाता है।

भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं।

यहाँ के लोगों का रहन-सहन अत्यंत सौम्य, सरल, व्यावहारिक एवं संस्कारिक है, लेकिन लोग साहसी हैं। यहाँ के अधिकांश युवा देशसेवा को अपनी कर्मस्थली चुनते हैं, इसीलिए भारतीय सशस्त्र सेनाओं में हैं।

देवभूमि उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियाँ काफी कठिन हैं। पहाड़ों में पुरुषों के साथ साथ महिलायें भी कठिन परिश्रम करती हैं। यहाँ के लोगों ने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अनेकों आपदाओं का सामना किया हैं लेकिन हर परिस्थिति में हिम्मत के साथ काम किया है तथा हमेशा सफलता हाँसिल की है।

आज सम्पूर्ण विश्व के सामने एक अघोषित चुनौती, कोरोना के रूप में खड़ी है, देवभूमि उत्तराखंड भी इस चुनौती का सामना कर रही है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी होती जा रही है। देवभूमि के लोग इस चुनौती का सामना भी, अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करते हुए कर रहे हैं और अवश्य ही हम मिलकर कोरोना से जीत हाँसिल करेंगे। सरकार व प्रशासन द्वारा कोविड-19 की इस वैश्विक महामारी से निज़ात पाने के लिए प्रयासरत है। हम सभी को शासन प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन कर, मिलकर एवं अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर खुद भी इस महामारी से बचना है एवं अन्य लोगों को भी बचाना है। हम सभी की यही सोच होनी चाहिए, मिलकर हम अवश्य ही कोरोना को हरायेंगे।

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[box type=”shadow” ]कोरोना संक्रमण से बचने के लिए:

  • शासन-प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करें।
  • मास्क का प्रयोग करें।
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें (दो गज की दूरी बनाये रखें)।
  • आरोग्य सेतु एप्प का उपयोग करें।
  • जब आवश्यक हो तभी बहार निकालें। भीड़-भाड़ वाली जगहों में अनावश्यक जाने से बचें।
  • नाक, मुँह व आखों को हाथों से नहीं छुयें।
  • किसी भी प्रकार के सामान को घर में लाते हैं तो पहले उसे ठीक से धोकर रखें / उपयोग में लायें। यहाँ तक कि फल, सब्जी व दूध को जिस थैली/पन्नी में लाते हैं, पहले उसको ठीक से पानी से धोयें तथा फिर अपने हाथों को भी धोकर सैनिटाइज करें।
  • यदि आपको लगता है कि आप किसी ऐसे क्षेत्र, जहाँ पर कोरोना संक्रमण की शंका हो, से आकर अपने घर में प्रवेश कर रहे है तो घर के अंदर प्रवेश करते ही पहले अपने हाथों को सैनिटाइज करें फिर अच्छी तरह से हाथ, पॉव, मुँह धोकर, पुनः हाथों को सैनिटाइज करें। यदि आवश्यकता हो तो नहाकर कपड़ो को धो डालें तथा घर के गेट, हैंडिल व रेलिंग आदि को सैनिटाइज करें।
  • हाथों को बार-बार धोते रहें एवं सैनीटाइज़ करें।
  • काढ़ा, गरम चाय एवं गरम पानी का सेवन करें।
  • शरीर की रोगो से लड़ने की क्षमता को बढ़ायें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को जाँचते (monitor) रहें।[/box]

[highlight]आइये ! हम सब मिलकर कोरोना को हरायेंगे।[/highlight]

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Ghanshyam Chandra Joshi

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