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उत्तराखण्ड

छात्रवृत्ति घोटाला : मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद डिग्री कॉलेज शिक्षण संस्थान में गबन की हुई पुष्टि

आकाश ज्ञान वाटिका। हाई कोर्ट के आदेश पर गठित एसआइटी ने मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद डिग्री कॉलेज में दशमोत्तर एससी-एसटी, ओबीसी छात्रवृत्ति में अनियमितता का मामला पकड़ा है। जांच में कॉलेज की ओर से जिला समाज कल्याण विभाग के साथ सांठगांठ करते हुए लगभग 14 लाख 88 हजार 500 रुपये के गबन की पुष्टि हुई है। इस संबंध में जांच अधिकारी आशीष कुमार ने कॉलेज के खिलाफ थाना मुनिकीरेती में मुकदमा दर्ज कराया है।

थाने में दर्ज रिपोर्ट में बताया गया है कि जनपद स्तर पर आवंटित 32 शिक्षण संस्थान और कॉलेजों से उनके द्वारा सूचनाएं एकत्रित की जा रही है। इस पर कैलाश गेट मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद डिग्री कॉलेज शिक्षण संस्थान के अभिलेखों को प्राप्त किया गया।

इस शिक्षण संस्थान के संबंध में जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी छात्रवृत्ति की सूची का मिलान किया गया। जांच में पाया गया कि शिक्षण संस्थानों के छात्रों को वर्ष 2014-15 में छात्रों को दशमोत्तर छात्रवृत्ति दी गई है। प्राप्त अभिलेखों के मिलान के बाद इसमें कई कमियां और अनियमितता प्रकाश में आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस डिग्री कॉलेज का संचालन 2012 से हो रहा है। जिला समाज कल्याण विभाग ने 2014-15 में यहां छात्रवृत्ति दी। इस वर्ष 53 अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं द्वारा उक्त धनराशि प्राप्त करने हेतु आवेदन किया गया था। इसमें विभाग ने 47 छात्र छात्राओं को प्रति छात्र 33 हजार रुपये के हिसाब से छात्रवृत्ति दी गई, जबकि डिग्री कॉलेज की ओर से मात्र 25 छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरित की गई।

जांच अधिकारी के मुताबिक डिग्री कॉलेज के अभिलेखों की जांच के बाद पता चला कि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले इन 25 छात्रों का प्रवेश 2014-15 में ही बीएससी कक्षा में हुआ था। जो विद्यालय से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद बिना परीक्षा दिए ही विद्यालय छोड़ कर चले गए। विद्यालय के अभिलेखों में इन छात्रों का पता व मोबाइल नंबर स्पष्ट अंकित नहीं है।

जांच अधिकारी ने बताया कि अर्बन अल्मोड़ा को-ऑपरेटिव बैंक में इन छात्रों के खाते खोले गए। बैंक द्वारा प्रत्येक 25 छात्रों के बैंक खाते में 33 हजार रुपये छात्रवृत्ति आना बताया गया। जिस पर स्वामी पूर्णानंद भी कॉलेज ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने बैंक को छात्रों द्वारा एक पत्र लिखवाकर उनके खातों में आई 30-30 हजार की धनराशि कॉलेज के केनरा बैंक ऋषिकेश में आरटीजीएस किया गया। वहीं, 2500 रुपए स्वयं छात्र-छात्राओं द्वारा निकालना प्रदर्शित किया गया है।

एसआइटी सदस्य के मुताबिक समाज कल्याण कार्यालय ने जांच के दौरान जिन 47 छात्रों की सूची उपलब्ध कराई उनमें से नौ छात्र-छात्राओं के नाम कॉलेज की सूची में नहीं पाए गए। कॉलेज द्वारा अपने सूची में मात्र 25 छात्रों को छात्रवृत्ति आवंटन करना दर्शाया गया है।

दोनों सूची का मिलान किया गया तो 13 छात्रों के नाम सूची में अंकित पाए गए। इन्हें छात्रवृत्ति वितरित की गई या नहीं यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसके लिए एसआइटी ने गहन जांच की बात रिपोर्ट में कही है।  मुनिकीरेती के थाना प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि एसआइटी सदस्य व उप निरीक्षक आशीष कुमार की संबंधित रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर लिया गया है।

नरेंद्र पंवार ने कराया 25 छात्रों का दाखिला

एसआइटी द्वारा पूर्णानंद डिग्री कॉलेज में छात्रवृत्ति को लेकर की गई अनियमितता की जांच में यह बात भी सामने आई है कि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले 25 छात्र-छात्राओंका इस डिग्री कॉलेज में नरेंद्र पंवार ऋषिकेश निवासी द्वारा दाखिला कराया गया था। जांच अधिकारी के मुताबिक अधिकतर छात्रवृत्ति आवेदन पत्र पर नरेंद्र नाम के व्यक्ति का मोबाइल नंबर होना पाया गया है। जांच के दौरान यह मोबाइल नंबर स्विच ऑफ पाया गया। छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले सभी छात्रों के खाता खोलने वाले फार्म में भी एक ही हस्तलेख से फार्म भरना पाया गया।

छात्रों के गांव जाकर भरवाए गए फार्म

अर्बन अल्मोड़ा कोऑपरेटिव बैंक में संबंधित छात्र छात्राओं के केवाईसी फार्म से प्राप्त कुछ मोबाइल नंबर पर एसआइटी सदस्य ने जब बातचीत की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। जांच अधिकारी के मुताबिक छात्र मनोज, मनीष, राहुल के मोबाइल नंबर पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि गांव मलेथा देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में वर्ष 2014-15 में कुछ लोग उनके पास आए थे।

पूर्णानंद कॉलेज में निशुल्क एडमिशन कराने के साथ कुछ पैसे देने की बात इन्होंने की थी। सभी ने इनके द्वारा लाए गए फार्म और अभिलेखों में हस्ताक्षर कर दिए थे। जबकि यह छात्र कभी भी कॉलेज नहीं गए और ना ही इन्होंने कोई परीक्षा दी। बातचीत में इन छात्रों ने एसआइटी को बताया कि संबंधित लोगों ने उन्हें उक्त बैंक में बुलाया और अभिलेखों में हस्ताक्षर करते हुए ढाई हजार रुपये दिए। केवाईसी फार्म में दर्ज कई मोबाइल नंबर बंद पाए गए।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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