१९ दिनों तक चली लम्बी उठापटक के बाद आखिरकार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू
आकाश ज्ञान वाटिका। १२ नो नवम्बर, २०१९ मंगलवार। १९ दिनों तक चली लम्बी उठापटक के बाद आखिरकार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नरेंद्र मोदी कैबिनेट की सिफारिश को स्वीकार करते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। इससे पहले नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को अपनी स्वीकृति दे दी थी, इसके बाद गृह मंत्रालय ने इस फाइल को राष्ट्रपति के पास भेजी थी। राष्ट्रपति ने राज्य में संविधान की धारा-356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने का ऐलान कर दिया है। पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यिारी ने राज्य की मौजूदा हालत की रिपोर्ट केंद्र को भेजी थी। रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि संविधान के मुताबिक राज्य में सरकार नहीं बन सकती है। उन्होंने रिपोर्ट में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी।
विदित रहे कि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही वहाँ सत्ता को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया था। चुुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर आने वाली भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिली थीं जबकि उसके सहयोगी दल शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। बीजेपी-एनडीए मिलकर आसानी से सरकार बना सकती थीं लेकिन शिवसेना ने ढाई-ढाई साल सीएम के पद को लेकर बीजेपी का विरोध किया। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही वहां की विधानसभा निलंबित अवस्था में आ गई है। राज्य में इस वक्त छः महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा है। लेकिन अगर कोई भी पार्टी या गठबंधन पहले आंकड़ों का जुगाड़ करता है तो इसे छः महीने से पहले भी खत्म किया जा सकता है। राज्यपाल ने अपनी अनुशंसा में कहा था कि राज्य में सरकार बनाने की कोई संवैधानिक व्यवस्था नही है इसलिए, वहाँ पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। गवर्नर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 15 दिन हो गए हैं मुझे किसी दल की सरकार बनने की संभावना नही लगी। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से राज्य में सरकार गठन के लिए पूरी कोशिशें की गईं, लेकिन ऐसी स्थिति में सरकार गठन की संभावना नजर नहीं आती है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का विचार था कि चुनाव नतीजे आने के 15 दिन बाद भी कोई दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए राष्ट्रपति शासन ही सबसे सही विकल्प है।