पॉलीथिन बेचने वालों पर लगेगा एक लाख जुर्माना
देहरादून, बाजार में बेधड़क उपयोग हो रही पॉलीथिन को लेकर नगर निगम अब सख्ती के मूड में है। महापौर सुनील उनियाल गामा ने होलसेलरों का सामान जब्त कर उनसे एक लाख रुपये का जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अवैध रूप से संचालित हो ठेलियों का पूरा रिकार्ड मांगा गया है। सभी डेयरियों की सूची मांगी गई है।
नगर निगम के पार्षद कक्ष में महापौर ने नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी और वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह के साथ निगम के सफाई सुपरवाइजरों व निरीक्षकों की बैठक बुलाई। महापौर ने प्रतिबंधित पॉलीथिन पर कार्रवाई के आदेश देते हुए होलसेलरों पर पूरा माल जब्त करने के निर्देश दिए।
साथ ही फुटकर दुकानदारों पर भी चालान की कार्रवाई करने को कहा। इसके साथ ही शहर में खुली हर डेयरी का रिकार्ड मांगा गया। जिसमें बताना होगा कि डेयरी में कितने पशु और वहां से गोबर का निस्तारण कैसे हो रहा। महापौर ने सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति का रिकार्ड भी तलब किया। चेतावनी दी कि यदि वार्ड में सफाई कर्मी नदारद होंगे तो सुपरवाइजरों व निरीक्षकों पर कार्रवाई होगी।
अवैध रूप से लग रही ठेलियों पर शिकंजा कसते हुए महापौर ने इनका भी रिकार्ड मांगा है। वार्ड निरीक्षक को बताना होगा कि उसके क्षेत्र में कितनी ठेलियां हैं। इनमें कितनी लाइसेंसी हैं और कितनी गैर-लाइसेंसी।
लार्वा मिला तो 500 रुपए जुर्माना
डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए महापौर ने घर-घर का निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। महापौर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी डेंगू का लार्वा न हो। यदि किसी घर में लार्वा मिलता है तो गृहस्वामी पर 500 रुपये जुर्माना लगाया जाए। गंदगी मिलने पर 50 रुपये जुर्माना लिया जाए।
मीट दुकानों का भी मांगा रिकार्ड
महापौर ने शहर में संचालित हो रही मीट की दुकानों का रिकार्ड भी मांगा है। सफाई सुपरवाइजरों को इनका लाइसेंस चेक करने को कहा गया। हालांकि, यह अलग बात है कि निगम से मीट दुकानों का लाइसेंस जारी नहीं होता। ये लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग जारी करता है।
बताने होंगे कितने किए चालान
महापौर ने सफाई अधिकारियों से डेयरियों की गंदगी पर किए गए चालान का दो दिन में ब्योरा मांगा है। इसे लेकर अधिकारियों में हड़कंप मचा है। वहीं, सुपरवाइजरों को दुकानों का सर्वे करने का निर्देश भी दिया। बताना होगा कि 2014 में नया टैक्स लागू होने से पहले क्षेत्र में कितनी दुकानें थी और वर्तमान में कितनी हैं।