Breaking News :
>>38वें राष्ट्रीय खेलों के दृष्टिगत शासन ने जारी किया संशोधित शासनादेश>>भारतीय संस्कृति और परंपराएं गुयाना में फल-फूल रही है- प्रधानमंत्री>>गंगा किनारे अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने वाले युवक- युवती पर मुकदमा दर्ज >>डिजाइनर सूट पहन रकुल प्रीत सिंह ने दिखाई दिलकश अदाएं, एक्ट्रेस की हॉटनेस देख फैंस हुए घायल>>कृषि मंत्री गणेश जोशी ने 28वी आई०सी०ए०आर० क्षेत्रीय समिति-प्रथम की बैठक में वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से किया प्रतिभाग>>….तो अब मसूरी को मिलेगी जाम के झाम से निजात>>ठंड में घुटने के दर्द से परेशान हैं? राहत पाने के लिए रोजाना 15 मिनट करें ये एक्सरसाइज>>मंत्री रेखा आर्या ने सुनी सस्ता गल्ला राशन डीलर्स की समस्याएं>>मेले में योगदान देने वाले कर्मी और छात्र -छात्राओं का हुआ सम्मान>>जलवायु संकट अभी भी मुद्दा नहीं>>उत्तराखण्ड नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जल्दी जारी होगी>>प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को डोमिनिका के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से किया गया सम्मानित>>कल से शुरू होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट, जाने मैच से जुडी बातें>>मुख्यमंत्री धामी ने सौंग बाँध परियोजना पर विस्थापन की कार्यवाही जल्दी करने के दिए निर्देश>>दूनवासियों के लिए खतरा बनी हवा, चिंताजनक आँकड़े निकलकर आए सामने>>फिल्म कांतारा : चैप्टर 1 की रिलीज डेट आउट, 2 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म>>उत्तराखण्ड बन रहा है खिलाड़ियों के लिए अवसरों से भरा प्रदेश : खेल मंत्री रेखा आर्या>>सर्दियों में टूटने लगे हैं बाल नारियल तेल से करें मालिश, बालों को मिलेगा पर्याप्त पोषण>>केदारनाथ विधानसभा के प्रत्याशियों की तकदीर ईवीएम में हुई कैद>>क्रेश बैरियरों की खराब स्थिति को लेकर महाराज ने रोष जाहिर किया
सम्पादकीय

विपक्ष सोशल मीडिया से बचे, रियलिटी बूझे

साभार : अजीत द्विवेदी
आकाश ज्ञान वाटिका, 3 सितम्बर 2023, रविवार, देहरादून। विपक्षी पार्टियों की तीसरी बैठक में बहुत कुछ तय होने की संभावना है। मुंबई में दो दिन की बैठक में ‘इंडिया’ की पार्टियां समन्वय समिति बनाने वाली हैं, संयोजक का नाम तय करने वाली हैं, सीट बंटवारे पर चर्चा होने की संभावना है, चुनाव रणनीति बनने वाली है और लोगो व थीम सॉन्ग जारी होने की भी बता कही जा रही है। लेकिन उससे पहले तमाम विपक्षी पार्टियों को अपनी ताकत व कमजोरी का आकलन करना होगा, जमीनी हालात समझने होंगे और भाजपा की ताकत का अंदाजा लगाना होगा। सोशल मीडिया में जो नैरेटिव बन रहा है उसको आधार बना कर अगर विपक्षी पार्टियां कुछ भी तय करती हैं तो वह बहुत घातक हो सकता है। हालांकि विपक्ष की पार्टियों में ज्यादातर नेता मंजे हुए हैं और लंबे राजनीतिक अनुभव वाले हैं लेकिन मुश्किल यह है कि सोशल मीडिया इन दिनों हर व्यक्ति के अंदर किसी न किसी तरह का भ्रम पैदा कर देता है।

सोशल मीडिया में सक्रिय हर व्यक्ति टिटहरी की तरह उलटा लटका है और समझ रहा है कि आसमान उसने थाम रखा है। नेताओं के लाखों फॉलोवर हैं तो वे समझ रहे हैं कि यह उनका जनाधार है। अगर ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस के नेता रोज ये आंकड़े नहीं पेश करते कि राहुल गांधी को सोशल मीडिया में ज्यादा पसंद किया जा रहा है और नरेंद्र मोदी को कम। इसी तरह पत्रकार और विचारक श्रेणी के लोग सोशल मीडिया में पोस्ट लिख कर क्रांति करने का भ्रम पाले हुए हैं। ऐसे पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया देख कर लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की गाड़ी पटरी से उतर गई है। ऐसा भ्रम इसलिए होता है क्योंकि वे तकनीक को नहीं समझते हैं।

सोशल मीडिया का अलगोरिद्म हर व्यक्ति को वही दिखाता है, जो उसको पसंद आता है। इससे सत्ता विरोधी लोग घर बैठे बदलाव की आहट सुनने लगते हैं। सो, मुंबई में जुट रही पार्टियों को इसका ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी भ्रम का शिकार न हों और उनकी रणनीति वास्तविक स्थितियों को ध्यान में रख कर बने। वास्तविकता यह है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट बढ़ा है और पिछले करीब 10 साल में शायद ही किसी राज्य में भाजपा का वोट कम हुआ है। राज्यों में वह हारी है तब भी उसका वोट बढ़ा है या पहले जितना बना रहा है। इस हकीकत को ध्यान में रख कर विपक्ष को अपनी रणनीति बनानी होगी।

भाजपा से लडऩे के लिए विपक्षी पार्टियों ने मोटे तौर पर एक गठबंधन बना लिया है। इस गठबंधन की ज्यादातर पार्टियां पहले भी साथ रही हैं और कई पार्टियां अब भी साथ मिल कर चुनाव लड़ती हैं। सबकी विचारधारा मोटे तौर पर एक जैसी है और राज्यों में वोट आधार भी एक जैसा है। इसलिए उसमें थोड़ी बहुत ऊंच-नीच का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। इसके बाद विपक्ष को केमिस्ट्री, कैंपेन और नैरेटिव की जरूरत है। उसके बाद कैंडिडेट की बारी आएगी। इन चार चीजों के बाद सबसे अंत में चेहरे की जरूरत है, वह नहीं भी हो तो ज्यादा फर्क नहीं पडऩे वाला है। विपक्ष के नेताओं को इस हकीकत को स्वीकार करना चाहिए कि उनके पास नरेंद्र मोदी से मुकाबला का कोई चेहरा नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी की एक विशिष्ठ छवि गढ़ी गई है और उसके बाद देश-विदेश की विस्तारित यात्राओं से वे इस छवि को और मजबूत कर रहे हैं। लेकिन मोदी 13 साल मुख्यमंत्री रहे हैं और साढ़े नौ साल से प्रधानमंत्री हैं। गुजरात से ही उनकी हिंदू हृदय सम्राट की छवि है। मजबूत व निर्णायक नेता के तौर पर उनकी पहचान पिछले कुछ सालों में और मजबूत हुई है। वे राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और मजबूत नेतृत्व तीनों का प्रतीक हैं। इसलिए उनके मुकाबले कोई चेहरा पेश करने की बजाय विपक्ष अगर नैरेटिव पर ध्यान दे तो वह बेहतर होगा।

विपक्ष को मुख्य रूप से नरेंद्र मोदी के दो कार्यकाल के कामकाज पर फोकस करना चाहिए। उनके वादे लोगों को याद दिलाने चाहिए। लोगों से पूछना चाहिए कि अच्छे दिन आए या नहीं? पेट्रोल-डीजल की मार कम हुई या नहीं? महंगाई की मार कम हुई या नहीं? डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत कहां तक पहुंची? कितने लोगों को रोजगार मिला? किसानों की आय दोगुनी करने का क्या हुआ? स्मार्ट सिटी कहां हैं? भाजपा ने 2014 के चुनाव में जितने भी नारे गढ़े थे उन्हें फिर से सामने लाना होगा और लोगों को उसके बरक्स उनकी वास्तविक स्थिति दिखानी होगी। ध्यान रहे यह केंद्र की मोदी सरकार की सबसे कमजोर नस है और इसे प्रधानमंत्री भी समझ रहे हैं। तभी उनकी सरकार ने रसोई गैस सिलिंडर की कीमत दो सौ रुपए घटा कर महंगाई की दिशा मोडऩे का काम शुरू कर दिया है। अब अगले आठ-नौ महीने सरकार का काम लोगों को राहत देना होगा। नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं, ईंधन के दाम घटाए जा रहे हैं, अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर दिखाई जा रही है, जी-20 से भारत के वैश्विक नेतृत्व की पताका फहराई जा रही है और अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन की तैयारी चल रही है।

विपक्ष को इसके बरक्स अपना नैरेटिव गढऩा होगा। सत्ता विरोध की लहर तैयार करने से लेकर मुफ्त की रेवड़ी बांटने और जाति का गणित बैठाने जैसे कई उपाय हैं, जिन्हें विपक्ष आजमा सकता है। नैरेटिव के बाद सबसे जरूरी चीज केमिस्ट्री है। यानी पार्टियों के बीच ऐसा रसायन दिखना चाहिए, जिसकी प्रतिक्रिया स्वाभाविक व सकारात्मक हो। ध्यान रहे राजनीति में सबसे जरूरी चीज रसायन है। अगर वह नहीं बना तो बड़ी से बड़ी पार्टियों का गठबंधन धराशायी हो जाएगा। अभी तक भाजपा की ओर से यह प्रचार किया जा रहा है कि विपक्ष की पार्टियों में कोई केमिस्ट्री नहीं है। उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे मोदी विरोध के नाम पर इक्कठा हुए हैं या भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रही कार्रवाई से बचने के लिए इक्कठा हुए हैं या सत्ता के लालच में एकजुट हो रहे हैं। ये तीनों बातें नकारात्मक हैं और विपक्ष की संभावना को कमजोर करने वाली हैं। उन्हें बताना होगा कि वे देश और नागरिकों के हितों के लिए एकजुट हो रहे हैं। उन्हें सत्ता का लालच नहीं है और न केंद्रीय एजेंसियों का डर है। मोदी विरोधी की बात का भी जवाब देना होगा क्योंकि अगर मोदी विरोध का नैरेटिव बना तो भाजपा को बहुत फायदा हो जाएगा। सो, विपक्षी पार्टियों को आपसी मतभेद खत्म करके और अपने हितों को किनारे रख कर अपनी केमिस्ट्री दिखानी होगी।

जिस चीज पर विपक्षी पार्टियों को सबसे कम ध्यान देना होगा वह है कि नेता कौन बनेगा। विपक्ष को नेता पद की बात छोड़ देनी चाहिए। क्योंकि अगर इस बात को लेकर विवाद हुआ कि संयोजक कौन बनेगा, अध्यक्ष कौन बनेगा, मोदी के मुकाबले चेहरा कौन होगा तो उससे पार्टियों की आपसी फूट जाहिर होगी और जनता के बीच यह मैसेज जाएगा कि यह गठबंधन सत्ता के लिए अभी से खींचतान कर रहा है तो जीतने के बाद क्या होगा। इस मामले में एक राय सामने आनी चाहिए। विपक्ष सामूहिक नेतृत्व पेश करे और यह बताए कि वह जनता की तरफ से चुनाव लड़ रहा है। सरकार बनाम जनता की लड़ाई बनाने के प्रयास पर फोकस होना चाहिए। चेहरा सामने आते ही चेहरे की पड़ताल होने लगेगी और तुलना शुरू हो जाएगी। इसलिए विपक्ष को इससे बचना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि हर मसले पर आम सहमति जाहिर हो।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!