उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा की, व्यापारियों तथा उद्योग जगत ने किया किनारा
आकाश ज्ञान वाटिका, 27 सितम्बर 2021, सोमवार, लखनऊ। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के सोमवार को भारत बंद का आह्वान का उत्तर प्रदेश में खास असर होने की संभावना नहीं है। उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों ने इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की घोषणा की है जबकि व्यापारियों तथा उद्योग जगत ने इससे किनारा किया है। योगी आदित्यनाथ सरकार इस विरोध की आड़ में किसी भी अवांछित प्रक्रिया से निपटने के लिए तैयार है।
उत्तर प्रदेश में किसानों के समर्थन में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी ने भी भारत बंद में शामिल होने की घोषणा की है। प्रदेश में सभी विपक्षी राजनैतिक दलों के किसानों के समर्थन में आने को लेकर सरकार ने भी सभी जगह पर सुरक्षा-व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार के जल्दबाजी में बनाए गए तीन कृषि कानूनों से असहमत व दुखी देश के किसान इसकी वापसी की मांग को लेकर दस माह से आंदोलित हैं। किसानों ने इसके विरोध में सोमवार को भारत बंद की घोषणा की है। भारत बंद के शांतिपूर्ण आयोजन को बसपा का समर्थन है। इसके साथ ही बसपा केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करती है। समाजवादी पार्टी ने कृषि कानून के विरोध में सोमवार को घोषित भारत बंद को पूर्ण समर्थन देने की बात कही है। सपा ने भी केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है
केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 10 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसान संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। इन सभी संगठनों के पिछले भारत बंद की विफलता को देखते हुए इसका असर दिल्ली और आसपास के राज्यों तक सीमित रहने की संभावना है। किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान आपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं करने का भरोसा भले ही दिया है, लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार हर स्तर पर अलर्ट है। सरकार ने किसी को भी इस दौरान परेशानियों का सामना करने से बचाव का उपाय किया है।
उत्तर प्रदेश खाद्य पदार्थ उद्योग व्यापार मंडल किसानों के सोमवार को प्रस्तावित भारत बंद के खिलाफ है। व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र के नेतृत्व में विभिन्न गल्ला मंडियों के आढ़ती, व्यापारी, मंडी के बाहर खाद्य पदार्थ की बिक्री करने वाले लोगों ने इस बंद का विरोध किया है। सभी कारोबारियों ने कृषि उत्पादों से जुड़े बिलों का समर्थन करते हुए एक संशोधन की मांग रखी। इनका कहना है कि कृषि कानूनों के अध्यादेश से प्रदेश की गल्ला मंडियों व सब्जी मंडियों के बाहर कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री पर मंडी शुल्क समाप्त हो गया है। साथ ही मंडी समितियों के कई कागजातों की लंबी प्रक्रिया भी समाप्त हो गई है। खरीद-बिक्री के लिए लाइसेंस लेने की भी अब जरूरत नहीं रह गई है। इसका लाभ व्यापारियों को मिल रहा है।
कृषि कानून के विरोध में सोमवार को भारत बंद की घोषणा के मद्देनजर प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि रेलवे स्टेशन, बस अड्डा समेत अन्य सभी प्रमुख स्थलों पर अतिरिक्त सतर्कता बरते जाने के कड़े निर्देश दिए हैं। प्रदेश में संवेदनशील स्थानों पर कानून-व्यवस्था ड्यूटी के लिए 28 कंपनी अतिरिक्त पीएसी भी मुस्तैद की गई है। एडीजी का कहना है कि खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था रहेगी। जिससे कहीं शांति न बिगड़े। इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों को किसान नेताओं से निरंतर संवाद बनाए रखने को भी कहा गया है। इस दौरान सभी जगह वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाए कि आम लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। यातायात व्यवस्था बाधित न हो। आज के विरोध प्रदर्शन में किसी प्रकार की गड़बड़ी करने वाले शरारती तत्वों से पूरी सख्ती से निपटे जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।