मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रखर राष्ट्रवादी एवं अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर दी विनम्र श्रद्धांजलि
आकाश ज्ञान वाटिका, मंगलवार, 23 जून 2020, देहरादून। जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी का एक प्रमुख लक्ष्य था। उन्होंने संदन में धारा-370 को समाप्त करने की भी पुरजोर वकालत की। इसके लिए उन्होंने अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में अपना संकल्प व्यक्त किया था कि “या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा।” अपने इस संकल्प को पूरा करने के लिये वह वर्ष 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े तथा वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनका देहांत हो गया। आज इस दिन 23 जून को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रखर राष्ट्रवादी एवं अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि दी।
[box type=”shadow” ]“भारतीय संस्कृति के नक्षत्र, अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक, राजनीति व शिक्षा के क्षेत्र में सुविख्यात डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का पूरा जीवन राष्ट्र की एकता और अखंडता को समर्पित रहा। वे प्रखर राष्ट्रवादी थे। वे अपने सिद्धांतों से कभी पीछे नहीं हटे। डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी अखण्ड और एक भारत के लिए कश्मीर को देश की मुख्यधारा में लाना चाहते थे। उनका कहना था कि एक देश एक विधान होना चाहिए। धारा-370 को हटाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया और अपने जीवन का बलिदान किया। अखण्ड भारत के लिए उन्होंने जो बलिदान दिया, कभी नहीं भुलाया जा सकता है। मा० प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने धारा-370 को समाप्त कर डाॅ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार किया। डाॅ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि वंदन। “विनम्र श्रद्धांजलि”।” मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत
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