नए साल पर दो लाख से ज्यादा कार्मिकों को एरियर और भत्तों की सौगात
देहरादून। प्रदेश के दो लाख से ज्यादा कार्मिकों के लिए नया वर्ष नई सौगात लेकर आया है। आखिरकार सरकार उनकी मुराद पूरी करने जा रही है। उन्हें सातवें वेतनमान के बकाया एरियर के साथ ही भत्तों का तोहफा भी मिलेगा। सातवें वेतनमान के भत्तों के निर्धारण को लेकर वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। यह रिपोर्ट अगली कैबिनेट में रखी जाएगी।
सातवें वेतनमान का बकाया एरियर और भत्तों की मांग को लेकर राज्य के कर्मचारी लंबे समय से आंदोलनरत हैं। सरकारी, सार्वजनिक निगमों-उपक्रमों के साथ ही विभिन्न अर्द्धसरकारी संस्थानों के कर्मचारियों के तमाम संगठन संयुक्त मोर्चा बनाकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। लोकसभा चुनाव की दहलीज पर दस्तक देने से ऐन पहले राज्य सरकार ने सरकारी कार्मिकों के असंतोष को दूर करने की ठान ली है। आगामी मार्च माह में चुनाव आचार संहिता लागू होने के अंदेशे के चलते सरकार ऐहतियात बरत रही है। कर्मचारी संगठनों के दबाव के बावजूद खराब माली हालत के चलते राज्य सरकार इस मामले को लटकाए हुए थी।
खास बात ये है कि राज्य कर्मचारियों को दोनों तोहफे जल्द मिलने जा रहे हैं। कर्मचारियों को सातवें वेतनमान एक जनवरी, 2016 से लागू किया गया है। एक जनवरी, 2017 से सातवें वेतन का बकाया एरियर का भुगतान कर्मचारियों को किया जा चुका है। अब एक जनवरी, 2016 से लेकर 31 दिसंबर, 2016 तक एरियर का भुगतान होना बाकी है। यह रकम छोटी-मोटी नहीं, बल्कि 300 करोड़ के करीब है। इसके लिए सरकार ने जरूरी बंदोबस्त कर लिए हैं। इस संबंध में जल्द आदेश जारी किए जाएंगे।
हिमाचल और उप्र के फार्मूले पर भी विचार
वहीं, सातवें वेतनमान के भत्तों को देने की हिम्मत भी सरकार जुटा रही है। वित्त मंत्री की अध्यक्षता में सब कमेटी की रिपोर्ट सरकार को मिल चुकी है। इस रिपोर्ट को अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाना तकरीबन तय है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सब कमेटी ने पड़ोसी सातवें वेतनमान के भत्तों (मकान किराया भत्ता, महंगाई भत्ता व यात्रा भत्ता) को लेकर पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश के फार्मूले का भी अध्ययन किया। इसमें सबसे अहम मकान किराया भत्ते का पेच है।
कर्मचारियों की मानीं तो देना होगा 101 करोड़
सूत्रों की मानें तो उत्तरप्रदेश ने नए वेतन में मकान किराया भत्ते को मूल वेतन का 20 फीसद और हिमाचल प्रदेश ने 10 फीसद तक रखा है। उत्तराखंड यदि भत्ते को 20 फीसद तक रखता है तो उसे 55 करोड़ और 30 फीसद की स्थिति में 83 करोड़ का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। हालांकि राज्य कर्मचारियों की ओर से जिस स्लैब की मांग की जा रही है, उसे मानने की स्थिति में सरकारी खजाने पर करीब 101 करोड़ का बोझ पड़ना तय है। राज्य कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों की भांति भत्ते नहीं दिया जाना तकरीबन तय माना जा रहा है। वहीं नए वेतनमान के सभी भत्तों को मिलाया जाए तो कुल सालाना आर्थिक बोझ 367 करोड़ तक पड़ेगा। यानी उक्त दोनों तोहफे कर्मचारियों को देने की स्थिति में राज्य सरकार को 667 करोड़ का अतिरिक्त खर्च उठाना होगा। संपर्क करने पर वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि उक्त दोनों मामलों को अगली कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।