प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलेंगी ममता बनर्जी, कई अहम् मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
आकाश ज्ञान वाटिका, 05 अगस्त 2022, शुक्रवार, नई दिल्ली। बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी चार दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंची है। ममता के साथ उनके भतीजे सांसद व तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी आए हैं। तृणमूल सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात करेंगी। शाम 4.30 बजे पीएम के साथ उनकी मुलाकात की संभावना है। प्रधानमंत्री संग बैठक में ममता बंगाल का केंद्र के पास बकाया फंड समेत राज्य से संबंधित मुद्दों को उठाएंगी। बकाया फंड को लेकर वह पहले पीएम मोदी को पत्र भी लिख चुकी हैं।
प्रधानमंत्री के बाद ममता का शुक्रवार शाम 6.30 बजे नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी शिष्टाचार मुलाकात का कार्यक्रम है। राष्ट्रपति बनने के बाद मुर्मू के साथ ममता की यह पहली मुलाकात होगी। इससे पहले शुक्रवार दिन में ममता के संसद भवन जाने का भी कार्यक्रम हैं। वहां ममता संसद के चल रहे मानसून सत्र में विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं व सांसदों से मुलाकात करेंगी। इसके साथ ही ममता का संसद के दोनों सदनों में अपनी पार्टी के सांसदों के साथ बैठक का भी कार्यक्रम है।
इसके बाद सात अगस्त को ममता नीति आयोग की बैठक में भी शामिल होंगी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस बैठक में आमंत्रित किया गया है। हालांकि ममता इस तरह की बैठकों से पूर्व में किनारा करती रही हैं।
काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का यह दौरा
गौरतलब है कि बंगाल में शिक्षक भर्ती से लेकर कोयला व पशु तस्करी मामले में तृणमूल के नेता लगातार सीबीआइ और ईडी के रडार पर हैं। इन सबके बीच ममता का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इधर, इस दौरे में ममता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मुलाकात करती हैं कि नहीं इस पर भी सभी की नजरें हैं। क्योंकि पिछले दिल्ली दौरे में ममता ने सोनिया से मुलाकात नहीं की थी।
विदित रहे कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट करने ममता पिछली बार दिल्ली गई थीं। उस दौरान विपक्षी नेताओं के साथ उन्होंने बैठक की थीं, लेकिन फिर उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के चयन में तृणमूल पूरी तरह से अलग रहीं। यहां तक कि तृणमूल उपराष्ट्रपति चुनाव के मतदान से भी खुद को अलग रखने की घोषणा कर चुकी है।