प्रदेश के 46 महाविद्यालयों में प्रयोगशालाओं को मिलेंगे नये उपकरण
पाँच करोड़ की धनराशि स्वीकृत
महाविद्यालयों को नैक की मान्यता लेने में रहेगी सहूलियत
आकाश ज्ञान वाटिका, मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024, देहरादून। प्रदेश के 46 राजकीय महाविद्यालयों में संचालित विभिन्न विषयों की प्रयोगशालाएं नवीन उपकरणों से लैस होंगी। इसके लिये राज्य सरकार ने रूपये 5.30 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है, जो कि भारत सरकार की स्कीम फाॅर स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फाॅर कैपिटल इवेंस्टमेंट 2023-24 योजना के तहत प्रदान की गई है। महाविद्यालयों में प्रयोगशालाओं के अपडेशन से जहां छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक कार्य करने में आसानी होगी वहीं शिक्षकों को भी प्रयोगात्मक कार्यां को समझाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही महाविद्य़ालयों को नैक मूल्यांकन कराने में भी सहूलियत मिलेगी।
सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालयों को नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के अनुरूप विभिन्न स्तरों पर सुदृढ़ किया जा रहा है। इसके लिये महाविद्यालयों में संरचनात्मक ढ़ांचा एवं शैक्षिक गतिविधियों को लगातार मजबूत किया जा रहा है। इसी क्रम में प्रदेश के 46 राजकीय महाविद्यालयों में संचालित विभिन्न विषयों की प्रयोगशालाओं का अपडेशन कर उनमें उच्च कोटि के उपकरण मय फर्नीचर के साथ उपलब्ध कराये जायेंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने रू0 5.30 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है। डाॅ. रावत ने बताया कि प्रयोगशाला उपकरण क्रय करने हेतु भारत सरकार की स्कीम फाॅर स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फाॅर कैपिटल इवेंस्टमेंट 2023-24 योजना के तहत धनराशि प्रदान की गई है।
जिससे चयनित महाविद्यालयों में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, गृह विज्ञान, सैन्य विज्ञान, शिक्षाशास्त्र, मानव विज्ञान आदि विषयों की प्रयोगशालाओं में उपकरणों की खरीद की जायेगी। योजना के अंतर्गत राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानीखेत, अल्मोड़ा को विभिन्न विषयों की प्रयोगशाला उपकरण हेतु रूपये 14 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसी प्रकार पीजी काॅलेज सोमेश्वर एवं राजकीय महाविद्यालय जैती को रूपये 12-12 लाख की धनराशि मंजूर की गई। बागेश्वर जनपद के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालय कपकोट एवं गरूड़ को रूपये 10-10 लाख तथा राजकीय महाविद्यालय काण्डा के लिये रूपये 12 लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। चम्पावत जनपद के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालय देवीधुरा को रूपये 12 लाख तथा राजकीय महाविद्यालय अमोरी को रूपये 10 लाख की धनराशि प्रदान की गई है। पिथौरागढ़ जनपद के अंतर्गत राजकीय स्नातकोत्तर काॅलेज बेरीनाग के लिये रूपये 12 लाख तथा मुनस्यारी पीजी काॅलेज के लिये रूपये आठ लाख स्वीकृत किये गये हैं।
नैनीताल में पीजी काॅलेज रामनगर को रूपये 14 लाख, डिग्री काॅलेज मालधनचैड़ को रूपये आठ लाख तथा डिग्री काॅलेज कोटाबाग तथा पीजी काॅलेज हल्दूचैड़ को रूपये 12-12 लाख स्वीकृत किये गये हैं। ऊधमसिंह नगर जनपद में डिग्री काॅलेज सितारगंज तथा बाजपुर के लिये रूपये 12-12 लाख की धनराशि मंजूर की गई है। पौड़ी गढ़वाल में पीजी काॅलेज कोटद्वार एवं थलीसैंण को रूपये 14-14 लाख, डिग्री काॅलेज रिखणीखाल, भाबर कोटद्वार, सतपुली एवं पीजी काॅलेज जयहरीखाल को रूपये 12-12 लाख तथा मजरा महादेव महाविद्यालय को रूपये आठ लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। टिहरी गढ़वाल में पीजी काॅलेज नई टिहरी को रूपये 14 लाख, पीजी काॅलेज अगरोड़ा, नरेन्द्र नगर एवं लम्बगांव को रूपये 12-12 लाख तथा पीजी काॅलेज नैनबाग तथा चन्द्रबदनी को रूपये 10-10 लाख प्रदान किये गये हैं। चमोली जनपद के तहत पीजी काॅलेज गोपेश्वर, कर्णप्रयाग एवं जोशीमठ को रूपये 12-12 लाख तथा लाॅ कालेज गोपेश्वर के लिये रूपये आठ लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। देहरादून जनपद में पीजी काॅलेज डाकपत्थर, डिग्री काॅलेज रायपुर तथा डोईवाला को रूपये 14-14 लाख तथा डिग्री काॅलेज त्यूनी के लिये 12 लाख की धनराशि प्रदान की गई है।
इसी प्रकार उत्तरकाशी जनपद में पीजी काॅलेज उत्तरकाशी, बड़कोट, चिनयालीसौड़ तथा पुरोला के लिये रूपये 12-12 लाख तथा रूद्रप्रयाग जनपद में डिग्री काॅलेज रूद्रप्रयाग के लिये रूपये 12 लाख तथा डिग्री काॅलेज जखोली के लिये रूपये आठ लाख स्वीकृत किये गये हैं। हरिद्वार जनपद में डिग्री काॅलेज खानपुर तथा चुडियाला के लिये रूपये आठ-आठ लाख की धनराशि योजना के अंतर्गत स्वीकृत की गई है। विभागीय मंत्री डाॅ. रावत ने कहा कि चयनित महाविद्यालयों में प्रयोगशाला उपकरण उपलब्ध कराने के लिये शीघ्र ही शासन स्तर से आदेश जारी कर दिये जायेंगे। इस संबंध में विभागीय उच्चाधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। महाविद्य़ालयों में नवीन प्रयोगशाला उपकरणों की उपलब्धता से जहां छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक कार्यों को करने में आसानी होगी साथ ही उनमें शोध के कार्यों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इसके अलावा महाविद्यालयों को नैक की मान्यता लेने में भी आसानी रहेगी।