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सम्पादकीय

इजराइल के विवेक की परीक्षा

साभार : श्रुति व्यास

आकाश ज्ञान वाटिका, बुधवार, 18 अक्टूबर 2023, देहरादून। क्या गाजा में रह रहे फिलिस्तीनियों को वहां की जमीन खाली करने लिए 24 घंटे की जो डेडलाईन दी गई थी वह समाप्त हो गई है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दक्षिण इजराइल में बड़ी संख्या में मौजूद सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा है कि ‘‘अगला चरण शुरू होने वाला है”। इससे पहले इजरायली सुरक्षा बल (आईडीएफ) के एक प्रवक्ता ने 12 अक्टूबर को कहा कि ‘‘गाजा में जो होने वाला है उसे देखना मुश्किल होगा”।सवाल है गाजा पट्टी को खाली करवाकर इजराइल, क्या हमास के खिलाफ युद्ध जीत सकता है?

फिलहाल पूरी दुनिया की निगाह गाजा पट्टी पर है। दुनिया जहां मौतों की सुनामी के लिए तैयार हो रही है वही इजराइल को यह समझाने का प्रयास भी हो रहा हैं कि वह जो करने जा रहा है उसके नतीजे प्रलयकारी होंगे। इससे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जिस तरह का रोष और गुस्सा पनपेगा उससे इजराइल और मध्यपूर्व हमेशा के लिए बदल जाएंगे।
इजराइल ने घोषणा की है कि वह धरती से हमास का नामोनिशां मिटा देगा। इजराइल का गुस्सा जायज है। पिछले हफ्ते जो हुआ वह बर्बर था और उसने होलोकास्ट की भयावह यादें ताजा कर दीं। इसमें भी कोई संदेह नहीं कि हमास एक आतंकी संगठन है जो युवाओं के दिमाग में ज़हर भरता है, और उन्हें ईरान से हथियार और प्रशिक्षण उपलब्ध करवाता है। फिर उन्हें खूनखराबा करने के लिए खुला छोड़ देता है। हमास के आतंकी केवल घृणा के हकदार हैं और उनकी हरकतों को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। हमास के हमले का इजराइल को जरा सा भी अंदेशा नहीं था। यह उसके गुप्तचर तंत्र की बड़ी विफलता थी।तभी इजराइल सदमे में है। वहां के लोगों के दु:ख की कोई सीमा नहीं है। वे अपमानित महसूस कर रहे हैं, गुस्से से उबल रहे हैं और आपसी मतभेद भुलाकर एकसाथ लडऩे के लिए तैयार हैं। बीबी (नेतन्याहू)  गाजा को बदल डालना चाहते हैं ताकि आतंकी फिर कभी इजराइल के लोगों के लिए खतरा न बन सकें।
परंतु आंख के बदले आंख क्या सबको अंधा नहीं बना देगी?

गाजा के 23 लाख रहवासियों को सजा दी जा रही है। उन्हें हर तरह से पंगु बनाकर मरने के लिए छोड़ दिया गया है। पिछले 10 दिनों से गाजा पट्टी में न तो पानी पहुँच रहा है, न बिजली, न ईधन, न खाद्य सामग्री और ना ही दवाएं। गाजा पट्टी की सभी सीमाएं सील हैं। गाजा से शरणार्थियों के सामूहिक रूप से मिस्र में आने के राजनैतिक परिणामों और सुरक्षा संबंधी जोखिमों से मिस्र वाकिफ है। उसने चेतावनी दी है कि यदि गाजा के लोग किसी दूसरे देश में गए तो यह उनका अपना अलग देश पाने के सपने का अंत होगा। डॉक्टरों की एक मानवतावादी संस्था ने इजराइल पर आरोप लगाया है कि गाजा की सीमाएं पूरी तरह सील कर, वहां  अंधाधुंध बमवर्षा कर और जमीनी हमले का डर दिखाकर इजराइल फिलीस्तीनियों को सामूहिक सजा दे रहा है, जो पूरी तरह से गैर-कानूनी है।

दुनिया भी अब इजाइल से कह रही है कि वह थोड़ी मानवता दिखाए। मिस्र से विनती की जा रही है कि वह अपनी सीमाएं गाजा के लोगों के लिए खोले। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि प्रजातंत्रों को न्यूनतम मानकों का पालन करना चाहिए।लौकतांत्रिक देश आतंकियों के घिनौने और घटिया स्तर तक नहीं गिर सकते। अमरीकी लेखक और बुद्धिजीवी इजराइल को चेतावनी दे रहे हैं कि वह वही गलती न करे जो “हमने 9/11 के बाद की थी”। 9/11 के बाद दुनिया में और बर्बादी आई, असुरक्षा भाव और बढ़ा, और बड़ी संख्या में लोग कट्टरपंथी बने और हिंसा का अनवरत सिलसिला चल पड़ा।वैसा ही नतीजा कही 10/7 का भी न हो।

आतंकवाद का मुकाबला दृढ़ता से किया जाना चाहिए परंतु इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून को तिलांजलि नहीं दी जा सकती। गाजा से लाखों लोगों को बाहर धकेलकर वहां इजराइल की फौज को भेजने से न तो शांति सुनिश्चित होगी और ना ही सुरक्षा। बल्कि इजराइल की बदले की इस कार्यवाही से और बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी युवा हमास और हिज्बुल्ला की गोद में बैठ जाएंगे। इजराइल को यह समझना चाहिए कि फिलिस्तीन के सभी नागरिकों को सामूहिक रूप से सजा देकर वह कभी अपने आप को सुरक्षित नहीं बना सकेगा। बल्कि इसके कारण वेस्ट बैंक, अरब देशों और दुनिया के दूसरे हिस्सों में फिलिस्तीनियों के अधिकारों के पक्ष में आवाज तेज होगी।

हो सकता है कि सैनिक ताकत से इजराइल गाजा में ‘एक नया यथार्थ’ निर्मित कर दे। परंतु अंतत: इससे इजराइल की एकता और उसके लोगों में भाईचारा प्रभावित होगा। इसके अलावा दुनिया के दूसरे हिस्सों में रह रहें यहूदियों के लिए भी खतरा पैदा हो जाएगा। पूरी दुनिया में यहूदियों के खिलाफ हिंसक घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है। निसंदेह यह शर्मनाक है और इससे ऐसा वातावरण बन रहा है मानो एक विश्वव्यापी संकट शुरू होने वाला है। इजराइल के घटनाक्रम को एक सप्ताह बीत चुका है और सब चाह रहे है कि अगला कदम सोच-समझकर ही उठाए। इसमें कोई संदेह नहीं कि हमास को कमजोर करना जरूरी है।पर हमास की हार आज नहीं तो कल हो ही जाएगी।जबकि बड़े पैमाने पर शुरू हुयआ आतंकवाद के खिलाफ युद्ध लंबा, जटिल और अप्रिय होगा।

ऐसी उम्मीद है कि इजराइल पूरी दुनिया से उसे मिल रहे समर्थन और सहानुभूति को खोने की राह पर नहीं चलेगा। ज्योंहि गाजा में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौतों की खबरें आना शुरू होंगीं, इजराइल के प्रति सहानुभूति और सद्भाव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। अगर इजऱाइल को ऐसा लगता है कि गाजा में मौतों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा तो वह गलत सोच रहा है।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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