भारतीय नौसेना ने DRDO द्वारा विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का किया सफल परीक्षण
आकाश, ज्ञान, वाटिका, 11 दिसम्बर, 2022, मंगलवार, नई दिल्ली। भारत को मंगलवार के दिन बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। भारतीय नौसेना ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। पश्चिम तट पर तैनात नौसेना के लड़ाकू युद्धपोत आईएनएस विशाखापत्तनम से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है।
भारतीय नौसेना के सूत्रों ने बताया कि ये मिसाइल का समुद्र से समुद्र में मार करने वाला वैरिएंट था। इसने अधिकतम रेंज और सटीकता के साथ लक्ष्य वाले जहाज पर हमला किया।
DRDO ने बनाई है मिसाइल
विदित रहे कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया है। इस मिसाइल की रेंज हाल ही में 298 किमी. से बढ़ाकर 450 किमी. की गई थी। कम दूरी की ये रैमजेट, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज गति वाली है। इसे पनडुब्बी, पानी के जहाज, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को सौंपा जा चुका है।
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषतायें:
- ब्रह्मोस मिसाइल को देश में ही विकसित किया गया है
- ब्रह्मोस मिसाइल रूस और भारत का संयुक्त प्रोजेक्ट है
- इसमें Brah का मतलब है ‘ब्रह्मपुत्र’ और Mos का मतलब ‘मोस्कवा’
- ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी गिनती 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में की जाती है
- ब्रह्मोस में रैमजेट इंजन लगा है, जो इसकी गति को बढ़ाती है और सटीकता और ज्यादा घातक बनाती है
- ब्रह्मोस मिसाइल मैक 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकती है
- इसको दुश्मन के राडार पकड़ नहीं सकते हैं
- इस मिसाइल को भविष्य में मिग-29, तेजस और राफेल में भी तैनात करने की है
इससे पहले DRDO ने ‘प्रलय’ का किया था सफल परीक्षण
गौरतलब है कि इससे पहले, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का सफल परीक्षण किया था। डीआरडीओ ने 22 और 23 दिसंबर को प्रलय का सफल परीक्षण किया था। 22 दिसंबर को ओडिशा के तट से एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इसका पहला सफल परीक्षण किया गया था। दूसरी बार भी यही से फिर से उसका दोबारा परीक्षण किया गया।