झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन हेमंत एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की राह पर

झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में आने के संकेतों के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन में आम-अवाम की दिलचस्पी बढ़ गई है। झारखंड के नौंवें मुख्यमंत्री रह चुके हेमंत एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की राह पर हैं। वर्ष 2013-2014 में उन्होंने झारखंड में झामुमो गठबंधन की सरकार चलाई थी। हेमंत सोरेन ने रांची के बीआइटी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। वे चित्रकारी और फोटोग्राफी के खासे शौकीन हैं। पिता शिबू सोरेन के मंझले संतान हेमंत का जन्म 10 अगस्त 1975 में हुआ था। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन उन्हें राजनीतिक संबल देती हैं।
झामुमो के युवा चेहरे हेमंत को राजनीति अपने पिता शिबू सोरेन से विरासत में मिली है। बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मौत के बाद हेमंत ने पढ़ाई छोड़ दी और झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुख्य चेहरा बन गए। इस बार के झारखंड विधानसभा चुनाव की बात करें तो हेमंत ने विपक्षी महागठबंधन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई और भाजपा विरोधी वोटों के बिखराव को रोककर सत्ता में वापसी की राह बनाई। इस बार वे मुख्यमंत्री का पद संभालते हैं तो उनके लिए यहां 11वीं सरकार बनाने का गौरव हासिल होगा।
पिछले चुनाव की बात करें तो वर्ष 2014 में झारखंड मुक्ति मोर्चा दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी, उसे 23 सीटें मिली थीं, तब हेमंत सोरेन बतौर नेता प्रतिपक्ष झारखंड विधानसभा में अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे थे। हेमंत की शख्सियत की बात करें तो वे अपने ऊपर किसी तरह के भ्रष्टाचार का दाग नहीं होने का दावा करते हैं। युवा होने की वजह से नौजवानों में वे खासे लोकप्रिय हैं।
हेमंत के राजनीतिक सफर की बात करें तो वे सबसे पहले 2005 में विधानसभा के लिए चुनाव लड़े, लेकिन स्टीफन मरांडी से हार गए। अगले चुनाव में हेमंत ने वर्ष 2009 में जीत का स्वाद चखा। 2010 में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की सरकार में वे उपमुख्यमंत्री भी बने। हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेकर मुंडा सरकार गिरा दी थी। हेमंत 2013 में तब मुख्यमंत्री बने जब कांग्रेस और राजद के सहयोग से झामुमो की सरकार बनी। उन्होंने 28 दिसंबर 2014 तक झारखंड में शासन किया।