क्या कांग्रेस में हो पाएगी हरक सिंह रावत की वापसी ? चौथे दिन भी राह तकते रह गए हरक
सभी तथ्यों का संज्ञान लेकर होगा पार्टी का निर्णय : हरीश रावत
आकाश ज्ञान वाटिका, 20 जनवरी 2022, गुरुवार, देहरादून। चौथे दिन बुधवार को भी पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत राह तकते रह गए और कांग्रेस से कोई बुलावा नहीं आया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी में हरक सिंह की वापसी के विरोध के अपने रुख पर कायम है। हरक के एक लाख बार माफी मांगने के बयान के बाद भी लगता है हरीश रावत की नाराजगी दूर नहीं हो पाई है। पार्टी हाईकमान ने अब इस मामले में सुलह-समझौते का जिम्मा प्रदेश के नेताओं के ही जिम्मे कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस में शामिल होने के लिए हरक को और एक-दो दिन और इंतजार करना पड़ सकता है। उनकी पैरोकारी में उतरे कांग्रेसी नेता वापसी के लिए सहमति बनाने के प्रयासों में जुटे हैं। उधर, प्रदेश में कांग्रेस नेताओं को भी हरक सिंह की वापसी अच्छी नहीं लग रही है। यही कारण है कांग्रेस के अनेक नेता खुलकर हरक विरोध करने लगे हैं।
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को भाजपा से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद की कांग्रेस में वापसी का मामला दिन प्रतिदिन उलझता जा रहा है। 2016 में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने अभी तक उनके लिए दरवाजे खोले नहीं है। बुधवार दोपहर उनके कांग्रेस में शामिल होने को लेकर चर्चाएं थीं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को पार्टी की ओर से दिल्ली में ही मौजूद रहने को कहा गया। लेकिन बुधवार भी निकल गया और हरक सिंह रावत राह तकते रह गए।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नाराजगी को पूरी तवज्जो दी गई। हरक की वापसी को चार दिन लटकाया गया। भाजपा ने पार्टी और मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर हरक सिंह रावत को लेकर जो सख्त संदेश दिया तो कांग्रेस ने भी वापसी को लटकाकर उन्हें शर्तों के मामले में घुटने पर आने को मजबूर कर दिया है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अब हरक सिंह के बजाय उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को ही लैंसडौन से टिकट दे सकती है।
यह भी जानकारी मिल रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरीश रावत का इस मामले में सख्त रुख बना हुआ है। चुनाव के मौके पर हरक की वापसी को आम सहमति बनाने के लिए हाईकमान ने कहा है। हरक के माफी मांगने के बाद हरीश रावत ने कहा कि उनकी अब कोई नाराजगी नहीं है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यक्ति होने के नाते वह नाराज नहीं रह सकते। साथ ही उन्होंने 2016 में 45 हजार करोड़ का बजट प्रस्तुत करने के दौरान सरकार गिराने को लेकर नाराजगी जताने में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि किसे लेना है और किसे नहीं, इस बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रभारी को निर्णय लेना है। यह उनका विषय नहीं है। साथ ही यह भी जोड़ा कि पार्टी को सभी तथ्यों का संज्ञान लेकर ही इस बारे में फैसला लेना चाहिए।