Breaking News :
>>सीएम धामी से मिले नए डीजीपी दीपम सेठ>>तकनीकी विकास और आधुनिकता के प्रभाव से जूझते बच्चे>>मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने संविधान दिवस के अवसर पर ली शपथ>>संकाय सदस्यों की नियुक्ति से मेडिकल कॉलेजों को मिली ताकत>>आपदा न्यूनीकरण और क्षमता निर्माण परियोजनाओं के लिए 1115.67 करोड़ मंजूर>>संभल हिंसा- हालात में सुधार, स्कूल खुले लेकिन इंटरनेट सेवा अभी भी बंद>>मंत्री गणेश जोशी ने आल इण्डिया गोरखा एक्स सर्विसमैन वेलफेयर एसोसिएशन के दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में किया प्रतिभाग>>कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने युवा पीढ़ी को दिलायी संविधान संवत् रहने की शपथ>>संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र को किया संबोधित >>पुष्पा 2 का गाना ‘किसिक’ रिलीज, अल्लू अर्जुन के साथ अदाओं का जलवा दिखाती नजर आईं श्रीलीला>>कोहरा शुरू होते ही ट्रेनों की रफ्तार औसत 110 किमी प्रति घंटा से घटाकर की गई 75 किमी प्रति घंटा >>क्या आपके बच्चों को भी है मीठा खाने की लत? छुड़वाने के लिए अपनाएं ये तरीके>>ईएसआई कवरेज की धीमी प्रक्रिया पर मुख्य सचिव ने जताई नाराजगी>>अमेरिकी इतिहास में एक नए दौर की शुरुआत ट्रंप की जीत>>श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के नाम जुड़ी एक और उपलब्धि>>मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम बनेगा गैरसैंण ब्लाक का सारकोट गांव>>उत्तराखण्ड के नये डीजीपी ने किया कार्यभार ग्रहण>>वनवास का गाना ‘यादों के झरोखों से’ जारी, सोनू निगम और श्रेया घोषाल ने लगाए सुर>>दिल्ली सरकार ने बुजुर्गों को दिया बड़ा तोहफा, वृद्धा पेंशन फिर से की शुरू >>भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पहले टेस्ट मैच में 295 रनों से हराया
Articles

जमीनी हालात एनडीए के अनुकूल नहीं

हरिशंकर व्यास
लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के इतना कुछ करने के बावजूद बिहार में अब भी उम्मीद है। जमीनी हालात एनडीए के अनुकूल नहीं दिख रहे हैं। नरेंद्र मोदी की लहर या अयोध्या की राम लहर का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि मतदाता किसी लहर से प्रभावित होकर या भावनात्मक मुद्दे के असर में वोट डालने की मंशा नहीं जाहिर कर रहे हैं।

ध्यान रहे पिछली बार के चुनाव में राज्य की 40 में से 39 सीटें एनडीए को मिली थीं। भाजपा 17 सीटों पर लड़ी थी और सभी सीटों पर जीती थी। एक सीट सिर्फ नीतीश की पार्टी हारी थी। रामविलास पासवान की पार्टी भी अपने कोटे की छह सीटों पर जीत गई थी। इस बार हर कोई मान रहा है कि सीटें कम होंगी। जनता दल यू को ज्यादा नुकसान की संभावना जताई जा रही है। इसका कारण यह भी है कि इस बार भाजपा को रोकने के विपक्षी अभियान की शुरुआत बिहार से ही हुई थी।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ विपक्षी गठबंधन बनाने के जब प्रयास शुरू हुए तो सबसे पहले बिहार के ही नेताओं ने कहा था कि अगर 50 सीटें कम कर दी जाएं तो मोदी सरकार बहुमत गंवा देगी। तब नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि यह तो नंबर का खेल है और इस बार विपक्ष मोदी के नंबर्स कम कर देगा। उसके बाद ही आंकड़ों के खेल शुरू हुआ कि कहां से कितनी सीटें कम हो सकती हैं। नंबर्स के इस खेल में बिहार हमेशा अहम रहा। बिहार के अलावा बड़े राज्यों में कर्नाटक और महाराष्ट्र में भाजपा के नंबर्स कम होने की संभावना तभी से देखी जा रही है।

भाजपा और नरेंद्र मोदी को हरा कर सत्ता से बाहर कर देने के बरक्स यह एक दूसरा नैरेटिव था कि उसकी 40-50 सीटें कम कर दी जाएं। यह नैरेटिव बनने के बाद मोदी को समझ में आया कि ऐसा हो सकता है। तभी सबसे पहले यह सिद्धांत प्रतिपादित करने वाले नीतीश कुमार को तोडऩे का प्रयास शुरू हुआ।

उनकी पार्टी के नेताओं पर दबाव डाल कर या करीबी कारोबारियों पर कार्रवाई के जरिए भाजपा कामयाब हो गई। उसने नीतीश को फिर से गठबंधन में शामिल कर लिया। लेकिन इस बार नीतीश के पाला बदलने का बहुत सकारात्मक असर नहीं दिखा। लोगों में नाराजगी दिखी। भाजपा के अपने काडर में भी नीतीश को लेकर दूरी का भाव है। तभी एनडीए में तालमेल पहले जैसा नहीं है।

भाजपा बनाम जदयू और जदयू बनाम लोजपा की लड़ाई में कई सीटों पर भितरघात है। कहीं भाजपा के सवर्ण मतदाता नीतीश के उम्मीदवारों को हराने का दम भर रहे हैं तो कहीं जदयू के कोर मतदाता इस बार चिराग पासवान से 2020 के विधानसभा चुनाव का बदला निकालना चाहते हैं तो कहीं चिराग के मतदाता नीतीश के उम्मीदवारों को हराने का संकल्प जाहिर कर रहे हैं।

असल में 2020 में चिराग पासवान ने भाजपा का समर्थन किया था और नीतीश के हर उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था, जिससे नीतीश की पार्टी सिर्फ 43 सीट जीत पाई थी। बाद में नीतीश ने चिराग की पार्टी में विभाजन करा दिया था। सो, दोनों पार्टियों को कोर समर्थक एक दूसरे के खिलाफ स्टैंड लिए हुए हैं।

इस बार नीतीश जब से भाजपा के साथ लौटे हैं, तब से भाजपा के इकोसिस्टम से ही उनके ऊपर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं। बिहार के लोग यह भी देख रहे हैं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपनी पगड़ी नहीं खोली है। उन्होंने यह पगड़ी इस संकल्प के साथ बांधी थी कि नीतीश को सत्ता से हटा कर ही इसे खोलेंगे। इससे भी भाजपा और जदयू दोनों के समर्थकों में कंफ्यूजन है।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!