पर्यावरण प्रेमी पंडित आदित्य सेमल्टी की प्रेरणादायी पहल : अब तक लगा चुके हैं सैकड़ों पौधे
- पर्यावरण प्रेमी पंडित आदित्य सेमल्टी के प्रकृति प्रेम का है हर कोई है मुरीद
आकाश ज्ञान वाटिका, 4 अगस्त 2021, शनिवार, देहरादून। आपने नेताओं को पर्यावरण बचाने, पौधे लगाने का संदेश देते तो खूब सुना और देखा होगा, लेकिन हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे पंडितजी की कहानी, जो केवल संदेश ही नहीं देता, बल्कि पौधे बचाने और लगाने के लिए पिछले कई वर्षों से काम कर रहा हैं।
अगर आपके यहाँ विवाह है और आप इन पंडितजी की सेवा चाहते है तो दक्षिणा देने से पहले आपको प्रकृति से प्यार करना सीखना होगा।
जीं हाँ, बात थोड़ी अजीब है, लेकिन यह सत्य है देहरादून शहर के लोअर नेहरू ग्राम में रहने वाले एक पंडितजी इन दिनों शहर ही नहीं, बल्कि जिले के बाहर भी नाम कमा रहे है। वह भी सिर्फ अपने पंडित के ज्ञान की वजह से नहीं, बल्कि पर्यावरण प्रेम को वजह से।
हम बात कर रहे हैं सिद्ध पीठ माँ चंद्रबदनी धाम के पुरोहित और भैरव धाम समिति के अध्यक्ष पंडित आदित्य सेमल्टी की। जिनके पर्यावरण प्रेम की चर्चायें देहरादून से टिहरी तक हैं।
पंडित आदित्य सेमल्टी का कहना है कि मैं खुद और अपनी टीम के साथ-साथ ग्रामीणों के साथ मिलकर सैकड़ों पौधे लगवा चुका हूँ। पंडित आदित्य सेमल्टी कहते हैं वह जहाँ भी जाते हैं, वहाँ पौधे लगाते हैं और स्थानीय लोगों को उनकी सार संभाल का संकल्प दिलवाते हैं।
वह कहते हैं सभी लोगों को विरासत में उनके परिवार से कुछ न कुछ मिलता है। उन्हें विरासत में पौधे ही मिले हैं ।
पंडित आदित्य सेमल्टी कहते हैं कि वे धार्मिक अनुष्ठानों से पहले यजमानों को पौधारोपण करवाते है।
उन्हें यजमान की दक्षिणा से ज्यादा पौधरोपण से मतलब होता है। वह कहते हैं पौधे मनुष्य के दोष दूर करने में भी उपयोगी साबित होते है। पेड़-पौधो का हमारे शास्त्र में जो महत्व है, उन्हें अब लोग नकारने लगे हैं। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण का उद्वेश्य लेकर चला हूँ जो सफल होने लगा है।
पंडित आदित्य सेमल्टी कहते हैं की वह छोटे पौधों से ज्यादा बड़े पौधों को लगाते हैं क्यों कि उनको जानवर नुकसान कम पहुँचाते हैं। साथ ही वह फलदार व छायादार वृक्षों को ज्यादा महत्व देते हैं।
पौधे लगाकर सुख-दु:ख की स्थायी याद बनाते पौधे
पंडित आदित्य सेमल्टी किसी की शादी, बर्थ डे पार्टी की खुशी में शामिल होने जाते या फिर किसी बुजूर्ग के निधन पर शोक जताने। वहाँ पर पौधा जरूर देकर आते हैं।
उनका मानना है कि किसी भी खुशी के मौके को चिर स्थायी बनाने के लिए हम फोटो खिंचवाते हैं, वीडियोग्राफी करते हैं, लेकिन यदि उस खुशी के मौके पर एक पौधा लगाकर उसकी सार संभाल करें तो कुछ सालों बाद उसकी याद खुद के दिल के साथ-साथ लोगों को उसकी छांव सुकून देती है।
वहीं बुजूर्गों को हम जाने के बाद याद करते हैं और उनकी याद में काफी कुछ करने की सोचते हैं। यदि उनकी याद में एक पौधा लगाकर उसी से बुजूर्ग की यादें जोड़ दी जाए तो वह पौधा जब पेड़ होता है वो एक बुजूर्ग की तरह हमारे और पूरे परिवार के साथ-साथ हर व्यक्ति के स्वास्थ्य का ध्यान रखता है।