Breaking News :
>>उत्तराखंड बनेगा राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों में हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने वाला पहला राज्य >>प्रतीक गांधी-दिव्येंदू की फिल्म ‘अग्नि’ का धांसू टीजर आउट, रिलीज तारीख से भी उठा पर्दा>>दुर्घटनाओं का बढ़ना चिंता का विषय, रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक उपायों पर दिया जाए ध्यान- मुख्यमंत्री धामी >>महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में लगी भीषण आग, 10 मासूमों की मौत>>क्या दूध पीने से कम हो जाती है एसिडिटी, आइए मिलकर जानें इस मिथक की सच्चाई>>कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने केदारनाथ में तेज किया प्रचार-प्रसार, कांग्रेस पर लगाया जनता की अनदेखी का आरोप>>चौथे टी20 मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 135 रनों से हराया, 3-1 से सीरीज की अपने नाम >>मुख्यमंत्री धामी ने ‘आदि गौरव महोत्सव’ कार्यक्रम में किया प्रतिभाग>>अमेरिका के साथ भारत के संबंध अब भी अच्छे>>सीएम धामी ने पीएम जनमन योजना के लाभार्थियों को प्रदान किए प्रमाण पत्र>>पीएम स्वनिधि योजना में उत्तराखंड ने हासिल किया शत – प्रतिशत लक्ष्य>>देश तभी सही मायने में विकसित होगा जब विकास की मुख्यधारा में होंगे आदिवासी समुदाय- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू >>कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए आज हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, मां गंगा को नमन कर लगाई आस्था की डुबकी>>उत्तराखंड पीसीएस मुख्य परीक्षा स्थगित, आयोग ने जारी की सूचना>>पेड़-पौधे लगाते समय हो जाएं सावधान, नहीं तो बढ़ सकता है इन 6 बीमारियों का खतरा>>कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने केदारनाथ उपचुनाव में तेज किया प्रचार, कांग्रेस पर किए तीखे हमले>>दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए GRAP-3 लागू, आज से कई गतिविधियों पर प्रतिबंध>>श्रीनगर बैकुंठ चतुर्दशी मेला राज्य की अनमोल धरोहर- मुख्यमंत्री>>दशकों से अमेरिका और वैश्वीकरण एक-दूसरे का पर्याय>>सरकार होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही है- महाराज
उत्तराखण्ड

जंगलों में आग हुई विकराल, लपटों के बीच भागकर छात्राओं ने बचाई जान

देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग ने और विकराल रूप धर लिया है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 24 घंटे के दौरान आग की घटनाओं में 275 का इजाफा हुआ है। जंगल की आग के गांवों के नजदीक तक पहुंचने से ग्रामीणों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उत्तरकाशी में आग की लपटों में घिरी छात्राओं ने भाग कर जान बचाई। यही नहीं, चकराता में सेना के कैंप के पास पहुंची आग पर काबू पाने को सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला। वहीं, मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद वन महकमे ने आग बुझाने को संसाधन झोंक दिए हैं। वनकर्मियों समेत 5435 लोगों का अमला आग बुझाने में जुटा है।

प्रदेशभर में धधक रहे जंगलों की आग अब गांव-घरों की देहरी तक पहुंचने लगी है। बुधवार को उत्तरकाशी जिले में स्कूल से लौट रही छह छात्राएं वनाग्नि की चपेट में आकर झुलस गईं। शुक्र ये कि सभी की हालत खतरे से बाहर है। इसी जिले में आग बुझाते वक्त एक महिला भी गिरकर घायल हो गई।
वहीं, चकराता में सेना के कैंप के नजदीक तक आग पहुंचने पर सेना ने न सिर्फ इस पर काबू पाया, बल्कि आसपास निगरानी भी बढ़ा दी है। वहीं, प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी पहाड़ से लेकर मैदान जंगल बुधवार को भी दिनभर सुलगते रहे।

आग की भयावहता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 15 फरवरी से शुरू हुए इस फायर सीजन के दौरान मंगलवार तक प्रदेश में वनाग्नि की 761 घटनाएं हुई थीं। बुधवार शाम तक यह आंकड़ा 1036 पहुंच गया। आग से 2038 वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है और 37.84 लाख की क्षति आंकी गई है।
आग पर काबू पाने के लिए विभाग ने मानव संसाधन झोंक दिया है। बुधवार को 3899 वनकर्मी, 1528 स्थानीय लोग, पुलिस व एनडीआरएफ के 16 जवान आग बुझाने में जुटे रहे। नोडल अधिकारी वनाग्नि बीपी गुप्ता के अनुसार 318 वाहन और नौ पानी टैंकर भी इस कार्य में प्रयुक्त किए जा रहे हैं। ग्रामीणों की भी तमाम स्थानों पर मदद ली जा रही है।

जंगल की आग (बुधवार तक)

क्षेत्र————— घटनाएं——प्रभावित क्षेत्र—–क्षति

गढ़वाल————–443———1164.1——-2268812.5

कुमाऊं—————278———-587.23——1164024.5

वन्यजीव संगठन—-50———-109.136——-83121

शिवालिक———–265———-177.3———-268681.5

(क्षेत्र हेक्टेयर और क्षति रुपये में)

स्कूल से घर लौटते छह छात्राएं झुलसीं

उत्तरकाशी में जंगलों की विकराल होती अब जिंदगी पर भी भारी पडऩे लगी है। बुधवार को उत्तरकाशी के दूरस्थ क्षेत्र धरासू में स्कूल से घर लौट रहीं छह छात्राएं जंगल में आग से घिर गईं। किसी तरह उन्होंने लपटों के बीच भागते हुए जान तो बचा ली, लेकिन वे झुलस गईं। जान बचाने के प्रयास में उनके कपड़े प्राथमिक उपचार के बाद सभी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

मंगलवार को पौड़ी के केंद्रीय विद्यालय तक जंगल की ज्वाला पहुंची थी तब किसी तरह 650 छात्र-छात्रों को सुरक्षित निकाला गया। घटना दोपहर बाद दो बजे की है। धरासू के पास जखारी और मालनाधार पड़ोसी गांव हैं। इन गांवों के बच्चे तीन किलोमीटर दूर राजकीय इंटर कालेज मालनाधार में पढ़ने जाते हैं। तीन किलोमीटर का यह मार्ग जंगल से होकर गुजरता है। बीते दो दिन से जंगल सुलग रहा है।

ग्रामीण आग बुझाने की कोशिश भी कर रहे हैं। छुट्टी के बाद रोज की तरह कल्पना, वंदना, प्रीति, करिश्मा, मुस्कान पांचों निवासी ग्राम जखारी और शिवानी निवासी ग्राम पटारा घर लौट रहीं थीं। बच्चों ने बताया कि जैसे ही वे जंगल में वाले रास्ते पर कुछ दूर पहुंची। वैसे ही लपटें विकराल हो गईं। इससे छात्राएं घबरा गईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत कर भागना शुरू कर दिया।

भागते हुए उनके कपड़े और बस्ते आग की चपेट में आ गए। हाथ और पांव भी झुलस गए। सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर वे ठहरीं और आसपास के ग्रामीणों को सूचना दी। इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। इन छात्राओं की उम्र 12 से 14 साल के बीच है और वे सातवीं और आठवीं कक्षा में पढ़ती हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना के बावजूद वन विभाग का कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा।

उत्तरकाशी के प्रभागीय वनाधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि डुंडा ब्लाक क्षेत्र में आग से छह बच्चियों के झुलसने की घटना संज्ञान में है। उन्होंने बताया कि घटना के वक्त धरासू के रेंज अधिकारी भी बनचौरा के जंगलों में आग बुझाने के लिए गए थे, टीम को मौके पर भेजा गया है।

2016 से भी नहीं लिया महकमे ने सबक

71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में इस मर्तबा जिस तरह जंगल धधक रहे हैं, उससे हर तरफ बेचैनी का आलम है। साथ ही यह आशंका भी घर करने लगी है कि आग कहीं 2016 को न दोहरा दे। तब जंगलों की आग इतनी विकराल हुई थी कि यह पांच हजार फुट की ऊंचाई पर बांज के जंगलों तक पहुंच गई थी। बावजूद इसके वन महकमे ने आग से निबटने के मद्देनजर इससे सबक लेने की जरूरत नहीं समझी।

इस फायर सीजन में अब तक प्रदेशभर में 2038 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग से प्रभावित हो चुका है। लगभग सभी जगह जंगल धधक रहे हैं। हालांकि, बुझाने के प्रयास हो रहे, मगर आग है कि थमने का नाम नहीं ले रही। एक जगह आग बुझती नहीं, कि दूसरी जगह भड़क जा रही है। उस पर उछाल भरते पाने ने परेशानी और बढ़ा दी है।
ऐसे में हर किसी की जुबां पर यही सवाल तैर रहा कि यदि आग पर काबू नहीं पाया गया तो यह वर्ष 2016 न दोहरा दे। बता दें कि 2016 में आग ने विकराल रूप धारण किया था। यह न सिर्फ गांव-घरों की दहलीज तक बल्कि पांच हजार फुट तक बांज के घने जंगलों तक पहुंच गई थी।

आग पर काबू पाने के लिए सेना और हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी थी। तब आग से पिछले 10 सालों में सबसे अधिक 4433 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था और 46.50 लाख की क्षति आंकी गई थी।

तब महकमे की ओर से दावानल पर नियंत्रण के मद्देनजर इससे सबक लेकर हर साल समय रहते प्रभावी कदम उठाने की बात कही थी। अलबत्ता, 2017 में मौसम के साथ देने से आग की घटनाएं कुछ कम हुई तो विभाग इसे भूल गया। इसी का नतीजा रहा कि इस बार आग ने विकराल रूप धरा तो विभाग के होश उड़े हुए हैं। यही नहीं, जिस तरह से आग भड़की हुई है, उससे आने वाले दिनों में स्थिति और बिगडऩे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

राज्य में दावानल

वर्ष————-प्रभावित क्षेत्र———क्षति

2018———–2037.766———-37.84 (अब तक)

2017———–1244.64————18.34

2016———-4433.75————-46.50

2015————701.36—————7.94

2014————-930.33—————4.39

2013————-384.05—————4.28

2012————2826.30—————3.03

2011————–231.75—————0.30

2010————1610.82—————-0.05

2009————-4115——————-4.79

2008————-2369——————2.68

(क्षेत्र हेक्टेयर और क्षति लाख में)

डीएम जवाबदेह, डीएफओ के भी पेच कसे

प्रदेशभर में बेकाबू होती जंगलों की आग पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सख्त रुख अपनाया है। बुधवार को वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए वनाग्नि की समीक्षा के दौरान उन्होंने हिदायत देते हुए कहा कि जिलों में आग की घटनाओं की जवाबदेही जिलाधिकारियों की होगी। साथ ही वन विभाग के अफसरों को भी आड़े हाथ लिया और निर्देश दिए कि प्रभागीय वनाधिकारियों की परफार्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट में आग की रोकथाम को किए गए प्रयास व परिणाम को भी शामिल किया जाए।

जंगल की आग विकराल होने के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों से पूछा कि यदि उनकी तैयारी पूरी थी तो इसके परिणाम क्यों नहीं मिले। उन्होंने विभाग के नोडल अधिकारी वनाग्नि बीपी गुप्ता और गढ़वाल वन प्रभाग पौड़ी के डीएफओ लक्ष्मण सिंह रावत को फटकार भी लगाई। साथ ही कार्यप्रणाली में सुधार के निर्देश दिए। बता दें कि गढ़वाल प्रभाग में आग की घटनाएं अधिक हैं।

समीक्षा के दौरान बात सामने आई कि वनाग्नि की रोकथाम को तय 12.37 करोड़ के बजट का अभी तक 50 फीसद ही जारी किया गया है। इस पर मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि ‘आग अभी लगी है, आप पैसे कब के लिए बचा रहे हैं’ उन्होंने यह राशि तत्काल जारी करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जनपदों में आपदा प्रबंधन मद में पांच-पांच करोड़ की राशि दी गई है, जिसकी 10 फीसद राशि का उपयोग उपकरण क्रय करने में किया जा सकता है। लिहाजा, सभी डीएम आपदा प्रबंधन मद का समुचित प्रयोग करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की आग सिर्फ वन विभाग की समस्या नहीं है। अंतरविभागीय समन्वय कर पूरी क्षमता के साथ इससे लड़ा जाना चाहिए।

उन्होंने वन विभाग से भी कहा कि वह बारिश का इंतजार करने की बजाए, आग बुझाने के अपने प्रयासों में और तेजी लाए। उन्होंने कहा कि जहां एक्टिव फायर की रिपोर्ट नहीं है, वहां भी सजग रहने की जरूरत है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव डॉ.रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, राधिका झा, अरविंद ह्यांकी, अपर सचिव आशीष श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।

हेलीकॉप्टर से आग बुझाना नहीं संभव

प्रदेश के जंगलों में बेकाबू हुई आग पर नियंत्रण के मद्देनजर सरकार जरूरत पडऩे पर हेलीकॉप्टरों की मदद लेने की तैयारी कर रही है, वहीं वन विभाग के मुखिया जय राज का कहना है कि यहां हेलीकॉप्टर से वनाग्नि पर काबू पाना संभव नहीं है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को चमोली के भ्रमण के दौरान कहा था कि जंगल की आग पर काबू पाने के लिए जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाएगी। सरकार ने हेली कंपनियों से टाईअप किया है। इसके विपरीत, बुधवार को वन विभाग के मुखिया जय राज ने अल्मोड़ा में कहा कि प्रदेश केपर्वतीय क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर से वनाग्नि पर काबू पाना संभव नहीं है। हेलीकॉप्टर से इतनी मात्रा में प्रभावित क्षेत्रों में पानी डालना संभव नहीं है। फिर इस सेवा में खर्च भी काफी अधिक होता है।

जंगल में आग लगाने के आरोप में तीन गिरफ्तार

मसूरी में कैम्पटी रेंज के दूधली भदराज बीट के जंगल में आग लगाने के आरोप में में वन विभाग की टीम ने सरतली गांव के तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद जमानत पर छोड़ दिया गया।
प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी कहकशां नसीम ने बताया कि तीनों आरोपितों को वन विभाग टीम ने बिनोग वाइल्डलाइफ सेंचुरी से सटे जंगल में आग लगाते हुए मौके पर पकड़ा था।

कोतवाली पुलिस के अनुसार, मसूरी वन प्रभाग की ओर से सरतली गांव के किशन सिंह, संसार सिंह और भावसिंह के खिलाफ जंगल में आग लगाने को लेकर तहरीर दी गई थी। जिसके आधार पर तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

धधक रहे जंगल

इन दिनों छैज्यूला पट्टी के सिलगांव क्षेत्र के भटोली, घण्डियाला, सैंजी, भेडियाणा, पाली, सरतली, कसोन, काण्डा, गांवखेत आदि गांवों के चारों ओर फैले जंगल एक सप्ताह से धधक रहे हैं।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!