उत्तराखण्ड को सम्रद्ध बनाने पर प्रवासी मीट में समस्या औऱ समाधान पर हुई चर्चा
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे मंत्री, विधायक, नौकरशाह, कर्मचारियों की पोल खोलने को प्रेशर ग्रुप का गठन
आकाश ज्ञान वाटिका, 25 दिसम्बर 2021, शनिवार, देहरादून। आज उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के बुद्धिजीवी समाज ने उत्तराखंड प्रवासी समाज के साथ एक संवाद वार्ता/प्रवासी मीट बैठक रखी गई। प्रवासी मीट में देश के तमाम राज्यों से आए लोगों के अलावा उत्तराखंड के बुद्धिजीवी लोगों ने शिरकत की। उत्तराखंड राज्य की समृद्धि के लिए किस प्रकार कार्य किया जा सकता है इस पर सभी ने अपने- अपने विचार रखे। प्रवासी मीट में प्रवासियों ने अपनी समस्याएं भी रखीं तो स्थानीय लोगों ने उस पर अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए।
इस बैठक में राजधानी निवासी समाज ने प्रश्न उठाये कि सरकार पहल करे न करे आप लोग तो यह पहल करो कि जितने भी इंडस्ट्रियलिस्ट यहाँ उपस्थित हैं वे यहाँ अपनी फैक्ट्री लगायें व पहाड़ के नौनिहालों को रोजगार उपलब्ध करवाए। इसके बाद जो प्रवासी उत्तराखंडियों ने अपना दुखड़ा बताया तो सचमुच कान खोल देने वाला था। एक इंडस्ट्री के मालिक ने बताया कि उन्होंने उत्तराखण्ड के सेलाकुई में प्लांट लगाया सोचा यहां से वे पहाड़ के युवाओं को व्यापार देगा। बेटी ने अपने इलाके में ठेठ सुदूर पहाड़ में पेट्रोल पंप लगाया सोचा उसके गांव के लोगों को 80 रुपये लीटर का पेट्रोल पेटी डीलरों से डेढ़ सौ रुपये में न खरीदना पड़ेगा। लेकिन हासिल क्या हुआ-पटवारी से लेकर एसडीएम व एसडीएम से लेकर सचिवालय तक पूरा करप्शन ही करप्शन है।
उन्होंने कहा पहाड़ में पहाड़ का ही बिजनेशमैन फेल है क्योंकि जिन्हें हम चुनकर विधान सभा भेजते हैं वही करप्शन में इतना लिप्त हो जाते हैं कि उनके आगे पहाड़ व पहाड़ी मानसिकता रखने वाले हम लोग बौने नजर आते हैं। उन्हें तो वे व्यवसायी इस प्रदेश में चाहिए जो सेलाकुई या हरिद्वार उधमसिंह नगर में टिन शेड्स डाले, सब्सिडी खुद भी खाए व अधिकारी कर्मचारी व विधायक मंत्रियों को खिलाये व फुर्र हो जाय। यही कारण है कि सेलाकुई में ऐसी सैकड़ों फैक्टरियां बन्द पड़ी हैं जो सब्सिडी खाकर रफ्फूचक्कर हो गए। हमने प्लांट विधि विधान से लेकिन आये दिन छोटे से लेकर बड़ा घूसखोर अफसर ऑब्जेक्शन लगाता रहा। जब घूस नहीं मिली तो चालान कर मशीनें सीज कर गया। राजनेताओं से बात हुई तो बोले- फ़ाइल के साथ गांधी जी को भी चिपका दिया करें स्मूथली काम हो जाएगा।
सचमुच ऐसे सिस्टम से तंग आकर एक बिजनेसमैन ने अपनी फैक्ट्री किसी व्यवसायी को किराए पर सौंपकर करोड़ों का नुकसान होकर फिर से पलायन कर दिया।
राजधानी निवासी, पत्रकार, समाजसेवी, राजनीतिक दलों के व्यक्ति, संस्कृतिकर्मी इस पीड़ा को सुनते रहे। क्योंकि इसके आगे कहने सुनने को बचा ही क्या था। आखिर तय हुआ कि हम न किसी दल के लिए न किसी राजनेता के लिए और न ही किसी अधिकारी के पक्ष में खड़े होंगे। भविष्य में ऐसे प्रकरण सामने आए तो ऐसे व्यक्तियों को एक साथ सोशल साइट, बीच चौराहे व संगठन की शक्ति से बेपर्दा करेंगे जो कमीशन व करप्शन की चादर ओढ़े सियार हमारे अपनों के घर वापसी के दरवाजे बंद किये हुए हैं।