बड़ा सवाल : देहरादून में खनन माफिया किसकी सह पर बेखौफ धड़ल्ले से अवैध खनन कर रहे हैं ?
आकाश ज्ञान वाटिका, 24 नवम्बर 2020, मंगलवार, देहरादून। जिले में फर्जी रवन्ने पर अवैध खनन की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि खनन माफिया सिर्फ बेखौफ ही नहीं है बल्कि उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़े स्तर पर संरक्षण भी हासिल है। लंबे समय से डोईवाला, विकासनगर, कैंट, ऋषिकेश, सहसपुर, वसंत विहार, राजपुर और रायपुर क्षेत्र विवादों से घिरे आ रहे हैं। गुजरे कुछ वर्षो से इन सभी क्षेत्रों में नदियों में अवैध खनन जोरों पर चल रहा है। पहले रात में चोरी-छिपे धंधा चलता था, पर आजकल दिनदहाड़े नदियों का सीना चीरा जा रहा।
दून में खनन माफिया किसकी सरपरस्ती में धड़ल्ले से नदियों का सीना छलनी कर रहे, इस सवाल का जवाब शायद ही कोई दे पाए। जिले का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, हर जगह खनन माफिया पुलिस से दो हाथ आगे नजर आ रहे। अक्सर खनन माफिया और पुलिस के गठजोड़ भी उजागर हो चुके हैं और आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन खनन माफिया की दबंगई बदस्तूर जारी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह फर्जी रवन्ने पर चल रहे अवैध खनन के ‘खेल’ का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया, उससे भी पूरी व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह भी कि जिला प्रशासन और पुलिस क्यों इससे नजरें फेरे रहे।
पछवादून में खनन माफिया पुलिस, प्रशासन व वन विभाग की टीम पर दबंगई दिखाकर लगातार हमले कर रहे हैं। प्रभावी कार्रवाई न होने से माफिया बेखौफ हैं। गुजरे 6 साल में ही पुलिस और प्रशासन की टीम पर जानलेवा हमले के करीब 10 मामले सामने आ चुके हैं। विकासनगर क्षेत्र में यमुना का एक किनारा उत्तराखंड और दूसरा किनारा हिमाचल प्रदेश में लगता है। दोनों प्रदेशों के बीच यमुना का सीमांकन भी नहीं है। जिस वजह से पुलिस और प्रशासन की छापेमारी यहां बेअसर साबित होती है। जब माफिया के विरुद्ध उत्तराखंड के अधिकारी छापे की कार्रवाई करते हैं तो माफिया उन पर हमले, पथराव जैसी कार्रवाई करते हैं या हिमाचल की सीमा में भाग जाते हैं।
खनन माफिया की आड़ में वैध तरीके से रेत-बजरी लाने वाले ट्रकों की ओवरलोडिंग रोकने में भी पुलिस नाकाम साबित हो रही। दूसरे राज्यों से क्रशर से खनन सामग्री लाने का दावा करने वाले ट्रकों में अधिकृत सीमा से दोगुना माल लादकर लाया जा रहा। हर मार्ग पर पुलिस बैरियर होने के बावजूद ट्रक बेधड़क निकल जाते हैं।
दून-पांवटा, दून-हरिद्वार राजमार्ग समेत खनन से जुड़े तमाम मार्गों पर ओवरलोड ट्रकों को रोकने के लिए दिए प्रशासन के सीसीटीवी कैमरों के आदेश हवाई साबित हो रहे हैं। जून-2012 में तत्कालीन डीएम व एसएसपी ने सीसीटीवी कैमरों के साथ ही फ्लाइंग स्क्वायड नियुक्त करने के दावे किए थे, लेकिन अफसरों के जाते ही दावे फाइलों में सिमटकर बंद हो गए।
दून की तरह हरिद्वार जनपद में भी अवैध खनन का धंधा जोरों ने फलफूल रहा। हरिद्वार में चेकिंग के दौरान पुलिस-प्रशासन पर हमले के कईं मामले सामने आ चुके हैं।
जिलाधिकारी डॉ0 आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि सभी उपजिलाधिकारियों को पुलिस और परिवहन विभाग के साथ समन्वय बनाकर खनन माफिया पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही खनिज विभाग की टीम को भी औचक निरीक्षण कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।