क्लीनिक अधिनियम के तहत् उत्तराखण्ड में पंजीकृत होने के उपरांत ही क्लीनिक का संचालन किया जा सकता है
आकाश ज्ञान वाटिका। मंगलवार, 18 फ़रवरी, 2020, देहरादून (सूचना)। जिलाधिकारी डाॅ० आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में क्लीनिक एस्टबलिशमेन्ट अधिनियम 2010 और उत्तराखण्ड शासन की इस सम्बन्ध में 2015 की अधिसूचना के सम्बन्ध में जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण की बैठक आयोजित की गयी।
बैठक में जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति ने 59 ऐसे क्लीनिक जिनके अभिलेख पूर्ण न होने के चलते पंजीकरण अस्वीकार किया गया था के सम्बन्ध में निर्णय लिया कि ये सभी तत्काल अपने अभिलेख पूर्ण करते हुए पंजीकरण करवायें तथा जब-तक यह क्लीनिक अधिनियम के तहत् उत्तराखण्ड में पंजीकृत नहीं होते तब-तक क्लीनिक का संचालन नहीं कर सकते। जिलाधिकारी ने इसका उल्लंघन करने की दशा में क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट एक्ट के तहत् सख्त कार्यवाही करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसमें पंजीकरण के लिए और अधिक समय नही दिया जा सकता।
नैदानिक स्थापनों (क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट) एक्ट के अन्तर्गत 5 ऐसे अपंजीकृत क्लीनिकों जिनकों मानकों का उल्लंघन के चलते पूर्व में सील किया गया था तथा अर्थदण्ड आरोपित किया गया था। जिसमें से 4 संस्थान स्वामियों ने अर्थदण्ड की धनराशि जमा कर दी है, जबकि एक क्लीनिक न्यू वेदान्त अस्पताल ईसी रोड देहरादून ने अर्थदण्ड जमा नहीं किया था। इस सम्बन्ध में जब संस्थान के स्वामी को अर्थदण्ड जमा करने का नोटिस निर्गत किया गया, उसके प्रतिउत्तर में सम्बन्धित द्वारा संस्थान से कोई लेना-देना नहीं होने की बात कही है। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने समिति को विस्तृत जांच करते हुए वस्तुस्थिति स्पष्ट करनें तथा यदि संस्थान अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था तो अधिनियम के तहत् कठोर कार्यवाही करने के भी निर्देश दिये। क्लीनिकों के नवीनीकरण के बढ़े हुए शुल्क पर कुछ आवेदकों द्वारा की गयी आपत्ति के सम्बन्ध में समिति ने निर्णय लिया कि सम्बन्धित आवेदक महानिदेशक स्वास्थ्य के स्तर पर आवश्यक पहल करे, किन्तु तब-तक निर्धारित की गयी दरों के तहत् ही नवीनीकरण शुल्क लिया जायेगा।
बैठक मे होम्योपैथी सेवाओं को भी मेडिकल वेस्ट का निस्तारण के सम्बन्ध सम्बन्धित चिकित्सकों ने समिति को अवगत कराया कि होम्योपैथी में किसी भी प्रकार का कोई मेडिकल वेस्ट जनरेट नही होता अतः इस सम्बन्ध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से किसी प्रकार की अनापत्ति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को मेडिकल वेस्ट निस्तारण नियमावली का विस्तृत अध्ययन करते हुए तथा बोर्ड के अन्य सदस्यों से विचार-विमर्श करते हुए समिति की अगली बैठक तक इस सम्बन्ध में वस्तुतिस्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये।
बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ० मीनाक्षी जोशी संयुक्त निदेशक विधिक सेवा गिरीश चन्द्र पंचैली, जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास डाॅ० अखिलेश मिश्रा, डाॅ० वन्दना सेमवाल, जिला समन्वयक पीसीपीएनडीटी ममता बहुगुणा, प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड से अमित पोखरियाल सहित सम्बन्धित चिकित्सक और सदस्य उपस्थित थे।