मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल के साथ की कृषि, उद्यान, रेशम विकास विभागों की समीक्षा
- सेब, नाशपाती आदि फलों के बागों के पुनर्जीवीकरण और विस्तारीकरण की बनेगी योजना
- मुख्यमंत्री ने सुझाव के लिए भरसार विश्व विद्यालय और पं० गोविन्द बल्लभ पंत विश्व विद्यालय के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए।
- जंगली जानवरों से खेती को नुकसान से रोकने और ऐरोमैटिक पौधों की खेती पर विशेष फोकस के निर्देश।
आकाश ज्ञान वाटिका, सोमवार, 2 नवम्बर 2020, देहरादून (सू.ब्यूरो)। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीवीकरण व विस्तारीकरण के लिए भरसार विश्व विद्यालय और पं० गोविन्द बल्लभ पंत विश्व विद्यालय के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। किसानों के स्किल डेवलपमेंट की योजना बनाई जाए। उन्होंने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक और माइक्रो इरीगेशन का लाभ अधिकतम गाँवों तक पहुँचाना सुनिश्चित किया जाए। सूअर, बंदर आदि जंगली जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का सर्वे करते हुए अधिक प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को राहत पहुँचाने के लिए तार-बाड़, दीवार बनाने का काम प्राथमिकता से किया जाए। सीएम आवास में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि, उद्यान, रेशम विकास विभागों की समीक्षा की।
[box type=”shadow” ]आधुनिकतम तकनीक से फलों की खेती को लाभप्रद बनाया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में सेब व अन्य फलों की खेती को आधुनिकतम तकनीक के उपयोग द्वारा लाभप्रद बनाया जाए। आवश्यकता होने पर दूसरी किस्मों से बदला भी जा सकता है। इसके लिए औद्यानिकी विभाग ठोस काम करे। किसानों के स्किल डेवलपमेंट के लिए योजना बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीवीकरण व विस्तारीकरण के लिए भरसार विश्व विद्यालय और पं० गोविन्द बल्लभ पंत विश्व विद्यालय के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए।
फार्म मशीनरी बैंक से जुडें अधिकाधिक गाँव
मुख्यमंत्री ने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक किसानों के लिए काफी लाभप्रद हो रहे हैं। प्रयास किए जायें कि अधिक से अधिक गाँव इसके अंतर्गत आ सकें। माइक्रो इरीगेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। विभाग इसके लिए कार्ययोजना बनाए।
जंगली जानवरों से खेती को नुकसान का हो सर्वे
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में एक बड़ी समस्या जंगली जानवरों के कारण आ रही है। सूअर, बंदर आदि जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का व्यापक सर्वे किया जाए। जिन क्षेत्रों में सुस्या ज्यादा गम्भीर है, वहाँ प्राथमिकता के आधार पर तार-बाड़, दीवार आदि बनाने का काम किया जाए।
किसान सम्मान निधि में सावधानी से हो डाटा फीडिंग
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती का और विस्तार किए जाने की जरूरत है। जैविक उत्पादों के विपणन के लिए ग्रोथ सेंटरों का उपयोग किया जाए। ‘नमामि गंगे’ के तहत गंगा किनारे जैविक कृषि के लिए चयनित गाँवों में मानिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। किसान सम्मान निधि में किसी तरह की शिकायत न आए। इसके लिए डाटा फीडिंग सावधानीपूर्वक की जाए।
कृषि से जुड़ी शिक्षण संस्थान निकटवर्ती गाँवों में काम करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि कीड़ा जड़ी, मशरूम आदि उत्पादों पर रिसर्च की जाए। कृषि व औद्यानिकी से जुड़ी शिक्षण संस्थानों के छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान के लिए निकटवर्ती गाँवों में भेजे जायें। भरसार व पं० गोविन्द बल्लभ पंत विश्व विद्यालय अपने निकवर्ती गाँवों में कार्य करें। जल्द से जल्द चाय विकास बोर्ड की बैठक आयेाजित की जाए। अधिकारी फील्ड में जायें और वहॉँ किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को दूर करें।
3 K आर्गेनिक उत्तराखण्ड आउटलेट
कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियांल ने कहा कि प्रदेश के आर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए ‘3 K आर्गेनिक उत्तराखण्ड आउटलेट’ स्थापित किए जायेंगे। यहाँ 3 K (के) से तात्पर्य कृषि एवं कृषक कल्याण है। अगले 2 वर्ष में 1300 आउटलेट बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में किसानों को लाभकारी खेती के लिए पे्ररिंत किया जा रहा है। हरिद्वार में बहुत से किसानों ने गन्ने की खेती के स्थान लेमनग्रास की खेती शुरू की है। उन्हें इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है। एकीकृत फार्मिंग की कन्सेप्ट पर भी काम किया जा रहा है।
किसान सम्मान निधि में 8.57 लाख किसान लाभान्वित, 1444 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित
बैठक में बताया गया कि किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत पात्र 8.74 लाख कृषकों में से 8.57 लाख कृषकों को 852.04 करोड़ का भुगतान किया गया है। वर्ष 2017-18 से अब तक 230 कस्टम हायरिंग सेन्टर, 1444 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित हुए हैं। खाद्यान उत्पादन वृद्धि के लिए प्रदेश को निरन्तर 2 वर्ष भारत सरकार से प्रशंसा एवं कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है।
परम्परागत कृषि विकास योजना में 1 लाख 95 हजार किसान लाभान्वित
परम्परागत कृषि विकास योजना में 78000 हेक्टेयर क्षेत्रफल आच्छादित हुआ, 195000 कृषक लाभान्वित हुए। उत्तराखण्ड जैविक कृशि अधिनियम 2019 लागू किया गया है, जिससे जैविक कृशि को संगठित करने में सहायता प्राप्त होगी। वर्तमान में विभाग के प्रयास से यह क्षेत्रफल बढ़कर 1.54 लाख हेक्टेयर हुआ है।
8.82 लाख कृषको को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध
वर्ष 2017-18 से वर्तमान तक जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा हेतु 94 गाँव लाभान्वित हुये, जिनमें 101 कि०मी०॰ घेरबाड की गयी। प्रदेश के 8.82 लाख कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए। मृदा परीक्षण की संस्तुतियों को अपनाने से रू० 212 करोड़ लागत के 1.17 लाख मै० टन० उर्वरकों की कम खपत हुयी जिससे रू० 202.00 करोड़ अनुदान की बचत हुयी। उत्पादकता वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उर्वरकता में भी सुधार हो रहा है।
प्रदेश में 3900 जैविक क्लस्टर, नमामि गंगे में 42 ग्राम जैविक खेती के लिए चयनित
प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने हेतु संचालित योजना में वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक के लिए 3900 कलस्टरों का चयन किया गया। नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे बसे ग्राम पंचायतों में जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि गंगा नदी के जल को प्रदूषित होने से रोका जा सके। योजना के प्रथम चरण में वर्ष 2017-18 से गंगा बेसिन पर बसे 5 जनपदों के 42 ग्रामों को चयनित किया गया। इनमें 50 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल को स्वीकृति प्रदान की गयी है। जनपद हरिद्वार 10000 हेक्टेयर, टिहरी 20000 हेक्टेयर, चमोली 5000 हेक्टेयर, उत्तरकाशी 5000 हेक्टेयर, रूद्रप्रयाग 5000 हेक्टेयर, पौडी 4500 हेक्टेयर एवं देहरादून 500 हेक्टेयर को लिया गया है। लगभग 1,25,000 कृषकों को लाभान्वित किया जायेगा।[/box]
बैठक में सचिव श्री हरबंस सिंह चुघ, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ० पराग मधुकर धकाते, पं० गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ० तेज प्रताप, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्व विद्यालय, भरसार के कुलपति डॉ० अजीत कुमार कर्नाटक सहित विभागीय अधिकारी और वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा जिलाधिकारी उपस्थित रहे।