बाल गीत – “छोटा सा बच्चा हो जाऊँ”
आकाश ज्ञान वाटिका, देहरादून, 27 सितम्बर, 2020, रविवार।
“बाल गीत”
[highlight]“माँ तेरी गोदी सो जाऊँ, छोटा सा बच्चा हो जाऊँ”[/highlight]
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माँ तेरी गोदी सो जाऊँ, बचपन में जाकर खो जाऊँ ।
यदि ऐसा वरदान मिले, मैं छोटा सा बच्चा हो जाऊँ ।
हाथ न छोड़ूँ कभी भी तेरा, तेरा आँचल मेरा डेरा,
तूने जल्दी बड़ा कर दिया, बचपन अभी अधूरा मेरा ।
मेरा साथ निभाना तब तक ,जग की सब पीड़ा धो जाऊँ,
माँ तेरी गोदी सो जाऊँ, छोटा सा बच्चा हो जाऊँ।।1।।
सही खिलौने देना मुझको, कभी न रोने देना मुझको,
काला टीका लगा सजाना, कभी न खोने देना मुझको ।
ऐसे गीत सिखाना मैया, बीज प्यार के मैं बो जाऊँ,
माँ तेरी गोदी सो जाऊँ, छोटा सा बच्चा हो जाऊँ ।।2।।
मुझे निराला, पंत बनाना, गाँधी जैसा संत बनाना,
बोस भगत बिस्मिल सुखदेवा, शेखर जैसा कन्त बनाना ।
ओज गीत दिनकर से गाउँ, करुणा कृदंन गा रो जाऊँ,
माँ तेरी गोदी सो जाऊँ, छोटा सा बच्चा हो जाऊँ।।3।।
द्वेष न आये इस काया में, रखना आँचल की छाया में,
माँ तुझ पर मिटने का जज्बा, घुल ना जाय मोह माया में ।
भाई चारे वाली रोटी, “हलधर” इस जग में पो जाऊँ,
माँ तेरी गोदी सो जाऊँ, छोटा सा बच्चा हो जाऊँ ।।4।।
साभार: कविवर जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून
मो०: 9897346173
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