पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पंचतत्व में विलीन
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पंचतत्व में विलीन हो गईं लेेकिन देेश के विकास, सुुुरक्षा व समृृृद्धि के लिए दिया गया उनका योगदान हमेेशा याद रहेगाा ।
सुषमा स्वराज को राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त है। वह पहली महिला मुख्यमंत्री भी हैं। वह पहली महिला केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी हैं। सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता भी हैं।
राजनीतिक सफर
- सुषमा स्वराज चार साल तक जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्या रह चुकी हैं।
- चार साल तक इन्होंने हरियाणा राज्य में जनता पार्टी की अध्यक्षा का पद संभाला है।
- साल तक वह भारतीय जनता पार्टी की अखिल भारतीय सचिव रहीं हैं।
- 1977 में, जब सुषमा स्वराज ने हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी तो ये पहली बार विधान सभा के लिए चुनी गईं थीं। वे भारत में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं और इन्होंने 1977 से 1979 तक जिनमें सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे आठ पद संभाले।
- 1987 में सुषमा स्वराज को हरियाणा विधान सभा से फिर से चुना गया था। इस बार वे 1987 से 1990 तक सिविल आपूर्ति, खाद्य और शिक्षा के पद संभालते हुए कैबिनेट मंत्री रहीं।
- अप्रैल 1990 में, सुषमा स्वराज को राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था।
- 1996 में सुषमा स्वराज 11वीं लोकसभा के दूसरे कार्यकाल की सदस्य बनीं।
- 1996 में, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार के दौरान, इन्होंने सूचना और प्रसारण की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा वार्ता के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठाया था।
- 1998 में इन्हें तीसरी बार 12वीं लोकसभा की सदस्या के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था।
- 13 अक्टूबर से 3 दिसंबर 1998 तक, इन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित किया गया।
- नवंबर 1998 में इन्हें दिल्ली विधानसभा के हौज खास विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया, लेकिन इन्होंने लोकसभा सीट को बरकरार रखने के लिए विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था।
- अप्रैल 2000 में सुषमा स्वराज को पुनः राज्यसभा की सदस्या के रूप में निर्वाचित किया गया था।
- 30 सितंबर 2000 से 29 जनवरी 2003 तक इन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पद पर सेवा की।
- 19 मार्च से 12 अक्टूबर 1998 तक, वे सूचना एवं प्रसारण और दूरसंचार (अतिरिक्त प्रभार) विभाग में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहीं।
- 29 जनवरी 2003 से 22 मई 2004 तक, वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा संसदीय मामलों की मंत्री रहीं।
- अप्रैल 2006 में इन्हें पुनः पांचवे सत्र के लिए राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था।
- 16 मई 2009 को सुषमा स्वराज को छठी बार 15वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में चुना गया था।
- वे लोकसभा में 3 जून 2009 को विपक्ष की उप नेता बनी।
- 21 दिसंबर 2009 को सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता बनी थीं और तब इन्होंने श्री लालकृष्ण आडवाणी के बाद यह पद ग्रहण किया था।
- 26 मई 2014 को सुषमा स्वराज भारत सरकार में विदेश मामलों की केंद्रीय मंत्री बनीं।.
- वह विभिन्न समितियों की सदस्य रह चुकी हैं जो निम्नलिखित हैं-
- सार्वजनिक उपक्रम समिति
- पुस्तकालय समिति
- हरियाणा विधानमंडल की विधान समिति
- राज्यसभा सरकारी आश्वासन पर आधारित समिति
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति
- वह निम्नलिखित समितियों की सदस्य रह चुकी हैं-
- कानून और न्याय मंत्रालय की हिंदी सलाहाकर समिति
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सलाहकार समिति
- संचार मंत्रालय समिति
- राज्यसभा की सामान्य प्रयोजन समिति
- संसद की कार्यवाही को प्रसारित करने की समिति
- संचार मंत्रालय की टिकट संग्रहण सलाहकार समिति
- भारतीय संसदीय समूह की कार्यकारी सदस्या
- सुषमा स्वराज को राज्यसभा के उप-अध्यक्षों की सूची में नामित किया गया था
- वह निम्नलिखित समितियों की अध्यक्ष रहीं-
- संसद परिसर में खानपान प्रबंध संयुक्त समिति
- याचिका समिति, राज्य सभा
सम्मान
- सुषमा स्वराज को हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ वक्ता पुरस्कार दिया गया।
- सुषमा स्वराज को वर्ष 2008 और 2010 में दो बार सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार मिला था। वह उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र महिला सांसद हैं।
श्रद्धांजलि – श्रीमती सुषमा स्वराज को
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मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसूं लायी है।
याद आपकी जनगण मन में शोक गीत बन आयी है।
युगों युगों तक आप रहोगी भारत भू के कण कण में।
छवी आपकी सदा दिखेगी गांव नगर के प्रांगण में ।
हृदय घात कलयुग का दानव इतना तो एहसास हुआ ।
मृत्यु सूचना मिलने पर भी तनिक नहीं विस्वास हुआ ।
आज खुसी के इस मौके पर गम से भरी विदायी है ।।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी है ।।1
काल चक्र है सत्य सनातन सबको एक दिन जाना है ।
लेकिन समय पूर्व उठ जाना हम सब पर जुर्माना है ।
अटल विहारी की अनुजा दुर्गा अवतार सरीखी थी ।
भाषा सोम्य सरल लेकिन लक्ष्मी तलवार सरीखी थी ।
काश्मीर का तोहफा लेकर श्यामा के घर धायी है ।।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी है ।।2
भाषण में संबोधन सबको ग्रंथ सरीखा लगता था ।
भाषा रूपी ज्ञान सभी को मंत्र सरीखा लगता था ।
दीन हीन की पीड़ा को वो अच्छी तरह समझती थी ।
हिन्दू मुस्लिम के आंगन में वो सम भाव बरसती थी ।
रो रो कर बेहोश लेखिनी अधिक नहीं लिख पायी है ।।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी है ।।3
शब्द शब्द को जोड़े जैसे फूल पिरोएं धागों में ।
वाणी में अमृत था उसके भाव लिप्त थे भागों में ।।
आदर्शों की शिखर मालकिन लोहा भारत मानेगा ।
कथनी औ करनी सुषमा की बच्चा बच्चा जानेगा ।
अक्षर शोकाकुल हैं “हलधर”पंक्ति पंक्ति घबरायी है ।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी है ।।4
साभारः कविवर जसवीर सिंह ‘हलधर’