प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में 749 नये अतिथि शिक्षकों को मिली तैनाती
विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर अधिकारियों ने जारी किये आदेश
कहा दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मिलगी बेहतर शिक्षा
देहरादून। शिक्षा विभाग ने सूबे के 11 जनपदों के दूरस्थ विद्यालयों में विज्ञान, गणित एवं अंग्रजी विषय के 749 अतिथि शिक्षकों को नई तैनाती दी है। इन विद्यालयों में वार्षिक स्थानान्तरण के उपरान्त काफी संख्या में पद रिक्त हो गये थे जिनको भरने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अभिवावकों द्वारा शिक्षकों की तैनाती की मांग की जा रही थी। जिसके क्रम में विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में रिक्त पदों को अतिथि शिक्षकों से भरने के निर्देश दिये थे जिसके क्रम में अधिकारियों द्वारा तत्काल प्रभाव से यह कार्यवाही की गई है।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार वर्ष 2018 में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापाक, एलटी एवं प्रवक्ता के रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती का निर्णय लिया गया था जिस हेतु उक्त पदों की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये गये थे जिसके तहत तद्समय लगभग 4200 अतिथि शिक्षकों को विभिन्न विद्यालयों में रिक्त पदों के सापेक्ष तैनाती दी गई थी जबकि तद्समय 1000 अभ्यर्थी तैनाती पाने से वंचित रह गये थे। वर्तमान में राज्य के विभिन्न राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता संवर्ग के 749 रिक्त पदों के सापेक्ष रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, अंग्रजी एवं गणित विषयों में जनपदवार एवं विषयवार मैरिट सूची तैयार कर तैनाती कर दी गई है।
डॉ. रावत ने बताया कि हरिद्वार एवं उधमसिंह नगर जनपदों को छोड़कर शेष 11 जनपदों में अतिथि शिक्षकों की तैनाती हेतु मुख्य शिक्षा अधिकारियों को अभ्यर्थियों की मैरिटवार सूची भेज दी गई है ताकि उनको विद्यालयों में शीघ्र तैनाती दी जा सके। जिसके तहत जनपद चमोली में 101, पिथौरागढ़ 112, पौड़ी 88, अल्मोड़ा 157, नैनीताल 35, चम्पावत 41, बागेश्वर 68, रूद्रप्रयाग 76, टिहरी 40, उत्तरकाशी 14 तथा देहरादून के पर्वतीय क्षेत्रों में 17 अतिथि शिक्षकों को प्रवक्ता संवर्ग के रिक्त पदों के सापेक्ष तैनाती दी गई है।
विभागीय मंत्री ने उम्मीद जताई है कि इन नये अतिथि शिक्षकों की तैनाती से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिल पायेगी।