सशस्त्र सेना झंडा दिवस – जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता व सम्मान को प्रदर्शित करने का दिन
सशस्त्र सेना झंडा दिवस – 7 दिसम्बर
जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता व सम्मान को प्रदर्शित करने का दिन
सशस्त्र सेना झंडा दिवस, सन 1949 से प्रतिवर्ष 7 दिसम्बर को भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण हेतु भारत के नागरिकों से धन-संग्रह के प्रति समर्पित एक दिन है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर हुए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य है-
१. युद्ध के समय हुई जनहानि में सहयोग,
२. सेना में कार्यरत कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण और सहयोग हेतु,
३. सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण हेतु।
इस दिवस पर धन का संग्रह सशस्त्र सेना के प्रतीक चिन्ह झंडे को वितरित कर किया जाता है। इस झंडे में तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते है।
झंडा दिवस यानी देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन का एक पावन दिवस है । यह उन जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता व सम्मान को प्रदर्शित करने का दिन है, जिन्होंने देश की तरफ आंख उठाकर देखने वाले दुश्मन का वीरता के साथ मुकाबला किया और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए । सेना में रहकर जिन्होंने न केवल सीमाओं की रक्षा की, बल्कि आतंकवादी व उग्रवादी से मुकाबला कर शांति स्थापित करने में अपनी जान न्यौछावर कर दी।
23 अगस्त 1947 को केंद्रीय मंत्रीमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिवार के कल्याण के लिए झंडा दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके बाद सात दिसंबर 1949 से झंडा दिवस की शुरूआत हुई। बाद में वर्ष 1993 से इसे सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
सशस्त्र झंडा दिवस पर जांबाज सैनिकों व उनके परिजनों के प्रति नागरिक सम्मान व एकजुटता को दर्शाने करने का दिन है, अत: प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वे ७ दिसंबर को सैनिकों के सम्मान व उनके कल्याण में बढ़चढ़ कर अपना योगदान दें। इस दिन धनराशि का संग्रह किया जाता है। यह धन लोगों को झंडे का एक स्टीकर देकर एकत्रित किया जाता है। इस तरह वे शहीद या हताहत हुए सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। जो भी धन-राशि इस माध्यम से एकत्रित होती है, वह झंडा दिवस कोष में जमा कर दी जाती है जिसका उपयोग युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या हताहत हुए सैनिकों के कल्याण व पुनर्वास में खर्च की जाती है। यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड की माध्यम से खर्च की जाती है। देश के हर नागरिक को चाहिए कि वह झंडा दिवस कोष में अपना अधिक से अधिक योगदान दें, ताकि हमारे देश का झंडा आसमान की ऊंचाइयों को छूता रहे और हमारे वीर जवानों का मनोबल हमेशा ऊँचा रहे ।