श्रावण मास में पूरे महीने जागेश्वर धाम में लगता है श्रावणी मेला
भाजपा जिलाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिलख्वाल व भाजपा नेता सुभाष पाण्डे सहित उपस्थित अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर श्रावणी मेले के समापन कार्यक्रम का किया शुभारंभ
आकाश ज्ञान वाटिका, शुक्रवार, १६ अगस्त, २०१९। उत्तराखंड के प्रमुख देवस्थालो में “जागेश्वर धाम या मंदिर” प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है | जागेश्वर भगवान सदाशिव के बारह ज्योतिर्लिगो में से एक है । यह ज्योतिलिंग “आठवा” ज्योतिलिंग माना जाता है | इसे “योगेश्वर” के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा मंदिर समूह है | यह मंदिर कुमाऊँ मंडल के अल्मोड़ा जिले से 38 किलोमीटर की दुरी पर देवदार के जंगलो के बीच में स्थित है | जागेश्वर को उत्तराखंड का “पाँचवा धाम” भी कहा जाता है | जागेश्वर मंदिर में 125 मंदिरों का समूह है | जिसमे 4-5 मंदिर प्रमुख है जिनमें विधि के अनुसार पूजा होती है | जागेश्वर धाम में
सारे मंदिर समूह केदारनाथ शैली से निर्मित हैं | जागेश्वर अपनी वास्तुकला के लिए काफी विख्यात है। बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित ये विशाल मंदिर बहुत ही सुन्दर हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपस्थली है | यहाँ नव दुर्गा, सूर्य, हमुमानजी, कालिका, कालेश्वर प्रमुख हैं |
हर वर्ष श्रावण मास में पूरे महीने जागेश्वर धाम में श्रावणी मेला लगता है। इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजन आदि चलता है । पूरे देश से श्रद्धालु इस धाम के दर्शन के लिए आते है | यहाँ विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं । जागेश्वर मंदिर में हिन्दुओं के सभी बड़े देवी-देवताओं के मंदिर हैं । दो मंदिर विशेष हैं पहला “शिव” और दूसरा शिव के “महामृत्युंजय रूप” का । महामृत्युंजय में जप आदि करने से मृत्यु तुल्य कष्ट भी टल जाता है । 8वी ओर 10वी शताब्दी मे निर्मित इस मंदिर समूहों का निर्माण कत्यूरी राजाओं ने करवाया था परन्तु लोग मानते हैं कि मंदिर को पांडवों ने बनवाया था। लेकिन इतिहासकार मानते हैं कि इन्हें कत्यूरी और चंद शासकों ने बनवाया था । इस स्थल के मुख्य मंदिरों में दन्देश्वर मंदिर, चंडी का मंदिर, कुबेर मंदिर, मिर्त्युजय मंदिर, नौ दुर्गा, नवा-गिरह मंदिर, एक पिरामिड मंदिर और सूर्य मंदिर शामिल हैं। महामंडल मंदिर, महादेव मंदिर का सबसे बड़ा मंदिर है, जबकि दन्देश्वर मंदिर जागेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर है।
जागेश्वर धाम में सावन के पवत्रि माह में चलने वाले श्रावणी मेले का श्रद्धा के साथ आगाज होने के बाद आज शुक्रवार, 16 अगस्त को समापन होगा।
प्रसिद्व धाम जागेश्वर में एक माह से चल रहे श्रावणी मेले का शुक्रवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया। कलाकारों ने कुमाऊंनी, गढ़वाली सहित विभिन्न प्रांतों की संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी। इस वर्ष श्रावणी मेले में लाखों श्रद्धालुओं ने जागेश्वर मंदिर के दर्शन किये।
भाजपा जिलाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिलख्वाल व भाजपा नेता सुभाष पाण्डे सहित उपस्थितअतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर श्रावणी मेले के समापन कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भाजपा नेता सुभाष पाण्डे व भाजपा जिलाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिलख्वाल ने अपने-अपने विचार व्यक्त कर मेले के सफल समापन पर, सभी लोगों को बधाई देने के साथ साथ प्रशासन के लोगों का सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। इस दौरान कई सांस्कृतिक संस्थाओं के कलाकारों ने रंगारग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। मेलाधिकारी एसडीएम, भनोली, मोनिका ने मेले में सभी सहयोगी विभागों, पुलिस कर्मियों, पुजारियों, स्वयंसेवकों, स्वयं सहायता समूहों व अन्य सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। प्रबंधक मंदिर समिति भगवान भट्ट ने इस वर्ष मेले के दौरान विभिन्न विभागों के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
पतित पावन जटागंगा के तट पर समुद्रतल से लगभग पांच हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र जागेश्वर की नैसर्गिक सुंदरता अतुलनीय है। कुदरत ने इस स्थल पर अपने अनमोल खजाने से खूबसूरती जी भर कर लुटाई है। लोक विश्वास और लिंग पुराण के अनुसार जागेश्वर संसार के पालनहार भगवान विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगोंमें से एक है।
हर – हर महादेव।