परिवार व समाज की बुनियाद हैं – बुजुर्ग
परिवार व समाज की बुनियाद हैं बुजुर्ग,
गहरी सोच व अनुभव के भंडार हैं बुजुर्ग,
सफलता की कुंजी, श्रद्धा के पात्र हैं बुजुर्ग,
हमारे समग्र विकास के चिंतक हैं बुजुर्ग ।
भारतीय संस्कृति के संरक्षक हैं बुजुर्ग,
हमारे संरक्षक एवं मार्गदर्शक हैं बुजुर्ग,
सिर्फ व सिर्फ सम्मान के भूखे हैं बुजुर्ग,
परिवार व समाज की शान हैं बुजुर्ग ।
बुजुर्ग अर्थात वरिष्ठजन घर-परिवार व समाज की धरोहर होने के साथ-साथ हमारे संरक्षक एवं मार्गदर्शक भी होते हैं । वह परिवार व समाज की नींव (बुनियाद) हैं। बुजुर्ग सम्पूर्ण समाज के लिए अनुभवों का भंडार, सफलता की कुंजी और श्रद्धा के पात्र होते हैं। बुजुर्ग हमारे घर-परिवार व समाज की शान हैं। यदि परिवार व समाज उनके गहरे व प्रभावशाली अनुभवों का लाभ उठाये तो वह परिवार व समाज हमेशा सुखी, समृद्ध व प्रगतिशील बना रहेगा। हमें अपने माता-पिता के साथ-साथ समाज के अन्य समस्त बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए, जिससे हमारा भविष्य सफल तो होगा ही, साथ में हमारी संस्कृति भी संरक्षित रहेगी। भारतीय संस्कृति और तीज-त्यौहार भी हमें बुजुर्गों की सेवा व सम्मान करने की शिक्षा व प्रेरणा देती है।
वास्तव में बुजुर्गों की सेवा ईश्वर की पूजा के बराबर मानी जाती है, इसलिए जो लोग बुजुर्गों का मान-सम्मान करते हैं उन्हें कभी कष्ट नहीं उठाने पड़ते हैं। बुजुर्गों के आशीर्वाद में निःस्वार्थ भाव से सफलता की कामना छुपी होती है। वह लोग हमेशा सफलता की बुलंदियों को छूते हैं जो घर-परिवार और समाज में बुजुर्गों का मान सम्मान करते हैं। जब–जब बुजुर्गों अर्थात वरिष्ठ पीढ़ी ने हमारा नेतृत्व किया है, तब–तब हमारा समग्र व सर्वांगीण विकास हुआ है । हमेशा बुजुर्गों से प्रेमपूर्वक सम्मानजनक आचरण रखना चाहिए, जो हमारे खुद के हित व सफलता के लिए आवश्क है। बुजुर्गों से हमको सदैव कुछ न कुछ सीखने को मिलता है जिससे निश्चित रूप से हमारे व्यक्तित्व का निरन्तर विकास होता रहता है।
बुजुर्ग अर्थात वरिष्ठजनों ने हमें बहुत कुछ दिया है, बदले में वह हमसे कुछ नहीं चाहते हैं, वह तो सिर्फ व सिर्फ प्यार व सम्मान के भूखे हैं।
बुढ़ापे में स्वस्थ व खुश रहने के लिए दवा से ज्यादा अपनों का प्यार व सम्मान काम आता है। अतः हमें भौतिकतावाद को परित्याग कर अपनी सस्कृंति के अनुरूप बुजुर्गों का सम्मान व आदर करना चाहिए।
घनश्याम चंद्र जोशी
सचिव
आकाश शिक्षा एवं सांस्कृतिक विकास समिति