दो महिला कर्मियों ने सीएमएस पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद बताये
सहकर्मी पर गलत ढंग से आरोप पत्र पर हस्ताक्षर करवाने का लगाया आरोप
आकाश ज्ञान वाटिका, देहरादून । कोरोनेशन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व एक वरिष्ठ चिकित्सक पर अस्पताल में कार्यरत तीन महिला कर्मियों ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था । आरोप लगाने वाली तीन महिला कर्मियों में से खुद दो कर्मियों ने इस आरोप को बेबुनियाद साबित करते हुए, अपनी ही सहकर्मी पर यह आरोप लगा दिया और कहा कि उसने गलत ढंग से हमसे पत्र पर हस्ताक्षर करा लिये थे । उक्त दोनों महिलाओं ने यह बात सवीकार की कि उनकी समस्या महिला वार्ड में ड्यूटी लगाने से थी तथा इसमें उत्पीड़न जैसी कोई बात नहीं थी । विदित हो कि कोरोनेशन अस्पताल में कार्यरत तीन महिला कर्मियों ने एक पत्र के माध्यम से अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बी सी रमोला एवं वरिष्ठ पैथोलाजीस्ट डॉक्टर जे पी नौटियाल पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगया था ।
रविवार 1 सितम्बर 2019, तीन महिलाओं में से दो महिला कर्मी अपने द्वारा लगाये गये आरोपों से मुकर गई जिससे यह साफ जाहिर होता है कि आरोप बेबुनियाद व आधारहीन थे । आकाश ज्ञान वाटिका टीम द्वारा इस तथ्य को गहराई से जानने व हकीकत तक पहुँचने की कोशिश की तो जो तथ्य सामने आये वह इस प्रकार हैं कि आजकल अस्पताल में डेंगू के मरीजों कि संख्या बहुत ज्यादा हो गई है तथा अस्पताल के सीएमएस अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए व डेंगू से निपटने के लिये इन महिला कर्मियों की ड्यूटी महिला डेंगू वार्ड में महिला इंचार्ज के आधीन लगा दी, जो किसी भी तरह से गलत नहीं है क्योंकि सीएमएस की यह जिम्मेदारी व अधिकार क्षेत्र बनता है कि वह जरूरत पड़ने पर व इमरजेंसी होने पर अपने अनुसार कर्मचारियों से काम ले सकते हैं । विस्तृत जानकारी एवं प्रकरण की हकीकत जाँच के उपरान्त ही मालुम हो पायेगी। मालुम हुआ कि जब खुद सीएमएस द्वारा उच्च स्तरीय जांच की माँग की गई तो दो महिला कर्मी खुद अपने द्वारा लगाये गये आरोपों से मुकरने लगे तथा लिखित रूप में माफीनामा देकर, तीसरी महिला कर्मी पर ही गलत तरह से आरोप पत्र पर हस्ताक्षर कराने के आरोप लगा दिये । यहाँ यह भी जानने वाली बात है कि महिला कर्मी जहाँ कार्य करती थी उस विभाग में बहुत कम मरीज आते हैं। इमरजेंसी की हालत (डेंगू के इस प्रकोप) में खुद भी एक कर्मचारी की यह जिम्मेदारी बनती है कि यदि अपने स्तर पर अतिरिक्त कार्य भी करना पड़े तो वह अपना नैतिक कर्तव्य समझकर करे । ऐसे हालात में कर्मचारियों की ड्यूटी आवश्कतानुसार एक जगह से दुसरी जगह लगाना एक जिम्मेदार व्यक्ति व इंचार्ज का अधिकार क्षेत्र बनता है ।
इस प्रकरण पर सीएमएस डॉ0 बी सी रमोला का कहना है कि “डेंगू वार्ड बनने के बाद महिला कर्मियों की महिला इंचार्ज के अण्डर ड्यूटी लगाई गई थी । इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए ताकि वास्तविकता/सच्चाई सबके सामने आये । अस्पताल परिसर में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और किसी भी वक्त इनकी रिकॉर्डिंग देखी जा सकती है ।”
कोरेनेशन अस्पताल के वरिष्ठ पैथोलाजीस्ट डॉ0 जे पी नौटियाल का कहना है कि “यह आरोप बेबुनियाद हैं और उन्होंने यह भी कहा कि ‘सरकारी सिस्टम में अब काम कराना भी मुस्किल हो गया है।”
रविवार, 1 सितम्बर को प्रान्तीय चिकित्सा स्वास्थ संघ एवं उत्तराखण्ड नर्सेस सर्विसेज एसोसिएशन की एक बैठक इसी प्रकरण में की गई तथा इसमें इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया गया । बैठक में इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने की माँग की गई ।