चंपावत जनपद में ऐड़ी ब्यानधूरा मंदिर के मैदान के पास मिली दो प्राचीन मूर्तियाँ, एसडीएम ने ब्यानधूरा मंदिर के पुजारी को दिए सुरक्षा के इंतजाम के निर्देश
आकाश ज्ञान वाटिका, 30 जनवरी 2022, रविवार, चम्पावत। देवभूमि उत्तराखंड के चंपावत जिले में ऐड़ी ब्यानधूरा मंदिर के मैदान के पास 14 जनवरी को दो प्राचीन मूर्तियां मिलीं हैं। प्रशासन को इसकी सूचना शनिवार को मिली। हेमवती नंदन बहुगुणा राजकीय डिग्री कॉलेज खटीमा के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ० प्रशांत जोशी ने बताया कि मुगलगढ़ी से मिली महिला और पुरुष की ये पत्थर की मूर्तियाँ कुषाणकालीन हो सकती हैं।
अजय नाम के एक व्यक्ति ने शनिवार को एसडीएम हिमांशु कफल्टिया को फोन पर इन मूर्तियों की सूचना दी। अजय ने बताया कि 14 और 15 जनवरी को पूजा के लिए ब्यानधूरा के ऐड़ी मंदिर गए थे। तब उन्होंने इन मूर्तियों की फोटो खींची थी। एसडीएम ने बताया कि ब्यानधूरा के पुजारी पंडित शंकर दत्त जोशी को मूर्तियों की जानकारी देकर उन मूर्तियों की सुरक्षा के इंतजाम के निर्देश दिये हैं।
हेमवती नंदन बहुगुणा राजकीय डिग्री कॉलेज खटीमा के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ. प्रशांत जोशी का कहना है कि ब्यानधूरा मंदिर के पास के मैदान को मुगलगढ़ी कहा जाता है। चित्र के आधार पर उन्होंने इन मूर्तियों को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि दो मूर्तियों में से एक महिला की और दूसरी पुरुष की है। हाथ जोड़ने की मुद्रा में खड़ी महिला ने जूड़ा बांधा है,कानों में विशाल अलंकृत कुंडल, गले में हार, सुसज्जित अधोवस्त्र धोती पहनी है।
सिर पर पगड़ी धारण किए हुए पुरुष की प्रतिमा के एक हाथ में डोरा जैसा है, जबकि दूसरा हाथ सीने से लगा है। हाथों में कड़ा देखा जा सकता हैं। पुरुष की नाभि का अंकन भी स्पष्ट देखा जा सकता हैं। पुरुष ने धोती जैसा कोई वस्त्र कमर के नीचे धारण किया है। डॉ. जोशी का कहना है कि ये मूर्तियां जिस क्षेत्र में मिली हैं, उसे स्थानीय लोग मुगलगढ़ी नाम से पुकारते हैं। काली कुमाऊं रागभाग के लेखक प्रो. राम सिंह के अनुसार इस क्षेत्र में पाए जाने वाले ध्वंसावशेष और मूर्तियां कुषाणकालीन हैं। काली कुमाऊं क्षेत्र में शक, कुषाण, हूणों के आगमन के भी साक्ष्य बहुतायत से मिलते हैं।